बसपा सरकार के चीनी मिल घोटाले में दर्ज हुई एफआईआर पर मायावती बोलीं यह है भाजपा सरकार की ​साजिश

Update: 2019-04-27 18:16 GMT

मायावती ने कहा CBI और ED का दुरुपयोग भारतीय राजनीति में अब तक किसी ने इस तरह नहीं किया था, जिस तरह भाजपा कर रही है। सपा-बसपा गठबंधन बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है, जिससे भाजपा घबरा गई है। सीबीआई ने चीनी मिल मामले में भाजपा के इशारे पर केस दर्ज किया है...

वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट

सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) ने उत्तर प्रदेश के 7सरकारी चीनी मिलों के विनिवेश में वर्ष 2010-11 में कथित अनियमितताओं को लेकर एफआईआर दर्ज की है। इस कथित अनियमितता से सरकारी खजाने को 1179 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को खरीदने के दौरान दस्तावेजों में हेराफेरी करने के आरोप में सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

बसपा सरकार के दौरान हुए कथित चीनी मिल बिक्री घोटाले में सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन शाखा ने आईपीसी 420, 468, 471, 477ए और कंपनी एक्ट में एफआईआर दर्ज की है। नई दिल्ली के राकेश शर्मा, सुमन शर्मा, गाजियाबाद के धर्मेंद्र गुप्ता, सहारनपुर के सौरभ मुकुंद, नसीम अहमद, मो जावेद और वाजिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

चीनी मिल बिक्री घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश योगी सरकार ने की थी।मायावती सरकार में यूपी राज्य चीनी निगम की मिलों की बिक्री में घोटाले का आरोप है। बसपा सरकार में चीनी निगम की 21 मिलों को बेचने में घोटाले का आरोप है। 7 बंद पड़ी चीनी मिलों को भी बेचा गया था।

इस मामले में मायावती कहती हैं, भाजपा सरकार सरकारी एजेंसिंयों का हमेशा से दुरुपयोग करती आई है। CBI और ED का दुरुपयोग भारतीय राजनीति में अब तक किसी ने इस तरह नहीं किया था, जिस तरह भाजपा कर रही है। मोदी की नजर उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर है, लेकिन पिछले तीन चरण के जो मतदान हुए हैं उसमें भाजपा की स्थिति खराब हो रही है। सपा-बसपा गठबंधन बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है, जिससे भाजपा घबरा गई है। सीबीआई ने चीनी मिल मामले में भाजपा के इशारे पर केस दर्ज किया है। यह मेरे खिलाफ साजिशन कदम उठाया गया है।

सीबीआई ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के तौर पर मायावती के कार्यकाल के दौरान 21 सरकारी चीनी मिलों की बिक्री में हुई कथित अनियमितता की जांच शुरू की है, जिससे बसपा सुप्रीमो की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीबीआई ने कथित अनियमितताओं की जांच के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की है और छह प्रारंभिक जांच (पीई) शुरू की हैं।

जांच एजेंसी ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के किसी अधिकारी या राज्य के किसी नेता को नामजद आरोपी नहीं बनाया है।सीबीआई ने उन सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है,जिन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड की मिलों की खरीद के दौरान फर्जी दस्तावेज जमा किए थे।

राज्य सरकार ने 21 चीनी मिलों की बिक्री और देवरिया,बरेली, लक्ष्मीगंज, हरदोई, रामकोला, चिट्टौनी और बाराबंकी में बंद पड़ी सात मिलों की खरीद में फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी।पहले लखनऊ पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी। ऐसे आरोप हैं कि मायावती की अगुवाई वाली सरकार ने 10 चालू मिलों सहित 21 मिलों को बाजार दर से कम पर बेच दिया था, जिसके कारण सरकारी खजाने को 1,179 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। चीनी निगम की 10 संचालित व 11 बंद पड़ी चीनी मिलों का विक्रय 2010-2011 में किया गया था।

सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने चीनी मिल बिक्री घोटाले में लखनऊ के गोमतीनगर थाने में सात नवंबर 2017 को दर्ज कराई गई एफआइआर को अपने केस का आधार बनाया है। सीबीआई बसपा शासनकाल में 21 चीनी मिलों की बिक्री में हुई धांधली की जांच करेगी। सात चीनी मिलों में हुई धांधली में सीबीआइ ने धोखाधड़ी व कंपनी अधिनियम समेत अन्य धाराओं में रेगुलर केस दर्ज किया है, जबकि 14 चीनी मिलों में हुई धांधली को लेकर छह प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की गई हैं।

बसपा सरकार के कार्यकाल में औने-पौने दामों में सरकारी चीनी मिलों को बेंचा गया था। सीबीआइ पहले से ही इस घोटाले के तार खंगाल रही थी। राज्य सरकार ने सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन आर्गनाईजेशन (एसएफआइओ) से मामले की जांच कराई थी, जिसके बाद राज्य चीनी निगम के प्रबंध निदेशक की ओर से गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी की एफआइआर दर्ज कराई गई थी, जिसमें सात लोगों को फर्जी दस्तावेजों के जरिये देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज, हरदोई, रामकोला, छितौनी व बाराबंकी स्थित सात चीनी मिलें खरीदने का आरोपित बनाया गया था।

नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड ने देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज (कुशीनगर) व हरदोई इकाई की मिलें खरीदने के लिए 11 अक्टूबर 2010 को एक्प्रेशन ऑफ इंटरेस्ट कम रिक्वेस्ट फॉर क्वालीफिकेशन (ईओआ कम आरएफक्यू) प्रस्तुत किये थे। यही प्रकिया गिरियाशो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने भी अपनाई थी। नियमों को दरकिनार कर समिति ने दोनों कंपनियों को नीलामी प्रक्रिया के अगले चरण के लिए योग्य घोषित कर दिया था। दोनों कंपनियों की बैलेंस शीट व अन्य प्रपत्रों में भारी अनियमितता थी।आरोप हैं कि मायावती सरकार ने 10चालू मिलों सहित 21 मिलों को बाजार दर से बहुत कममूल्य पर बेच दिया था, जिसके कारण सरकारी खजाने को 1,179 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

कैग की रिपोर्ट में हजारों करोड़ हानि की पुष्टि

गौरतलब है कि कैग की रिपोर्ट में चीनी मिलों को बेचे जाने के मामले में गैर-पारदर्शिता और हेरा फेरी से हजारों करोड़ रुपए की हुई हानि की पुष्टि की थी। उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड की चीनी मिलों की बिक्री संबंधी अपने पुनरीक्षण में महालेखापाल/लेखा-परीक्षकों ने अनेक मुद्दे उठाये थे।

महालेखापाल/लेखा-परीक्षकों की टिप्पणियां इस प्रकार थीं, प्लांट और मशीनरी का 82 करोड़ रुपए का अवमूल्यन किया गया। उन 3 चीनी मिलों के मामले में कोई ठोस विचार/मूल्यांकन नहीं किया गया जो मुनाफे में चल रही थीं। अवमूल्यन का कारण सहारनपुर चीनी मिलों की पुरानी और नई मिलों की भूमि का दुर्भावपूर्ण क्लबिंग करना था।पुरानी सहारनपुर मिलों का भूमि मूल्य 251 करोड़ रुपए आंका गया था।

क्लबिंग और हेरा फेरी से मूल्यांकन करके भूमि का 154 करोड़ रुपए का कम मूल्यांकन किया गया। बैतालपुर, बाराबंकी, बरेली आदि 11 चीनी मिलों के भूमि मूल्यांकन में हेरा फेरी से 500 करोड़ रुपए की हानि हुई। एक ही ग्रुप द्वारा हेरा फेरी से गैर-पारदर्शी बोली के कारण 100 करोड़ से अधिक की हानि हुई। उदाहरण के तौर पर बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर में अलग-अलग नामों से बोलियां प्राप्त हुई,परंतु उनका मालिक एक ही था।

कैग की रिपोर्ट के अनुसार इन गैर-पारदर्शी बोलियों के कारण प्रतिस्पर्धा नहीं रही जिसकी वजह से इन चीनी मिलों की बिक्री में 300 करोड़ रुपए की हानि हुई। 11 मिलों के लिए केवल एकल बोली प्राप्त हुई। पता चला है कि बोगस कंपनियों अर्थात् हल्द्वानी, रामकोला,बाराबंकी, देवरिया स्थित चीनी मिलों से बोली स्वीकार की गईं।11 मिलों से केवल 91.61 करोड़ रुपए ही वसूल हुए।

जिनका आधुनिकीकरण, उन्हें भी बेचा

दरअसल सरकार ने घाटे में चल रही मिलों को निजी हाथों में बेचने का फैसला किया था। इसी के तहत यूपी शुगर कारपोरेशन की अमरोहा, जरवल रोड,सिसवां बाजार और बिजनौर चीनी मिलों को निजी कंपनियों को बेचा गया। ये भी ध्यान नहीं दिया गया कि हाल ही में करोड़ों रुपये खर्च करके इन मिलों का आधुनिकीकरण किया गया था। चांदपुर, बिजनौर की मिल के पास बेशकीमती जमीन, स्क्रैप, वर्कशाप, गोदाम और बड़ी मात्रा में शीरे का स्टोर है, इसे महज 90 करोड़ में बेच दिया गया।अमरोहा की मिल में सरकारी बंगले, कृषि भूमि , पांच करोड़ रुपये की चीनी, अस्सी लाख रूपये का शीरा, गोदाम और कोल्ड स्टोरेज के अलावा दिल्ली के कर्जन रोड पर आलीशान बंगला है।

अमरोहा की ये मिल केवल 17 करोड़ में बेच दी गई। बहराइच की चीनी मिल में 94 एकड़ जमीन है, 10 करोड़ का स्क्रैप, 9 करोड़ की चीनी, 1.5 करोड़ का शीरा पड़ा हुआ है, ये मिल महज 27करोड़ में बिकी है। सिसवां बाजार, महाराजगंज की मिल बेशकीमती संपत्तियों सहित मात्र 34 करोड़ में बेच दी गई।

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