परीक्षा पर छात्रों से मन की बात करने वाले मोदी, सीबीएसई पर्चा लीक होने पर क्यों साधे हुए हैं मौन, जबकि 24 लाख छात्रों का भविष्य लगा दांव पर
एक के बाद एक लीक होने की घटनाओं की वजह से चौतरफा लोग कहने लगे हैं अबकी बार लीकेज सरकार, मोदी करें प्लंबर मंत्रालय का गठन
जनज्वार, दिल्ली। कल सीबीएसई की 10वीं और 12वीं के पेपर लीक होने की घटना ने लोगों की सब्र का बांध तोड़ दिया। परीक्षा में शामिल हुए परिक्षार्थियों और उनके अभिभावकों को एक बार लगा कि हमने कैसी सरकार चुन ली है जो बातें तो लंबी फेंकती है पर काम वह टके भर नहीं कर पाती, एक पर्चा तक नहीं संभाल पाती। इससे पहले एसएससी का पर्चा लीक होने को लेकर देशभर में आंदोलन चल रहे हैं तो डाटा लीक के मामले में सरकार की सदन से सड़क पर थू—थू हो रही है।
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पूर्वी दिल्ली के रेयान इंटरनेशनल में पढ़ने वाली एक छात्रा ने बताया कि जो इकोनॉमिक्स का पेपर मुझे एक दोस्त ने वाट्सअप पर भेजा था, हू—ब—हू वही पेपर परीक्षा में आया। ये बात पिछले कुछ दिनों से मीडिया में भी थी और कुछ स्कूलों के प्रबंधन ने भी सीबीएसई को आगाह किया था पर सीबीएसई ने एक नहीं सुनी।
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इस मामले में कल उस समय सीबीएसई बगलें झांकने लगा जब छात्रों ने हंगामा कर दिया कि यह पेपर तो पहले से उनके पास आ गया था। हंगामे के बाद कल बोर्ड ने 10वीं की बुधवार को हुए गणित और सोमवार को हो चुके 12वीं इकोनॉमिक्स के पेपर को रद्द कर दिया है अब इन पेपरों को छात्र दुबारा देंगे। हालांकि 13 दिन पहले लीक हुए 12वीं के अकाउंट के पेपर की कोई चर्चा नहीं है।
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पर्चा लीक पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश कहते हैं, 'कितने-कितने लीक! डेटा लीक, आधार-लीक, चुनाव की तारीखें लीक और अब CBSE के पेपर्स लीक! क्यों न एक नया मंत्रालय बनाया जाय, 'लीकेज-निरोध मंत्रालय!'
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खैर! पर्चा लीक होने की घटना कोई नई बात नहीं है, क्योंकि पिछले पखव़ाड़े भर से लगातार एक के बाद एक लीक कर रही है। सोशल मीडिया पर लोग लिखने लगे हैं कि अबकी बार लीकेज सरकार। पर्चा लीक होने को लेकर सोशल मीडिया पर गौसुल आजम लिखते हैं, 'डेटा लीक, चुनाव के तारीख लीक, सीबीएसई के 10वीं, 12वीं के पेपर लीक! क्यों न सरकार एक प्लम्बर मंत्रालय बना ले, जो लीकेज रोकने के लिए हो।'
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बड़ी बात यह है कि जब से परीक्षाएं डिजिटलाइजेशन यानी आॅनलाइन होनी शुरू हुई हैं पहले के मुकाबले पर्चा लीक करना आसान हो गया है। पहले जहां एक पर्चा एक सेंटर या एक शहर में ही लीक हो पाता था, अब अब व्हाटसअप, फेसबुक आने के बाद से यह बच्चे—बच्चे तक आसानी से पहुंच जा रहा है।
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बीजेपी राज में लगातार घोटालों, डेटा लीक, एसएससी पेपर लीक और अब सीबीएसई के पेपर लीक पर कमल राय कहते हैं, 'नोटबन्दी से कुछ दिन पहले राजस्थान के बीजेपी विधायक की बेटी के हाथ में 2000 की गड्डी वायरल हुई, उसके बाद नोटबन्दी हुई। कोई जाँच नहीं हुई। अब चुनाव की तिथि बीजेपी चमचों ने वायरल कर दी, चुनाव आयोग मस्त! डेटा लीक, डेट लीक, SSC पर्चा लीक, cbse के पेपर्स लीक। लगता है इस बार इस देश की जनता, संघियों व बीजेपी के सारे लीकेज एक झटके से बन्द करने वाली है आगामी चुनावों में। तब याद आयेगा इन्हें चुलबुल पाण्डे का वो डायलॉग कि साँस कहा से लूँ और लीकेज कहाँ से करूं।'
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एक के बाद एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामलों की लीक होने की घटनाओं से साफ हो गया है कि अपने को सबसे ताकतवर और कड़े निर्णयों वाले प्रधानमंत्री साबित करने की जोर आइमाईश में लगे मोदी असल में बड़बोले ही हैं। अन्यथा ऐसा कैसे होता कि उनकी नाक के नीचे एक से बढ़कर सरकार को फेल कर देने वाले कांड होते और वह चुप्पी साधे रहते।
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