अब हरियाणा में बारहवीं के छात्र ने गोलियां से भूना प्रिंसिपल को

Update: 2018-01-21 12:57 GMT

छात्र को उसके दुव्यर्वहार, हिंसक प्रवृत्ति और लगातार अनुपस्थित रहने के कारण किया गया था स्कूल से निष्कासित

यमुनानगर, हरियाणा। कैसा समाज निर्मित हो रहा है हमारा, जहां चारों तरफ सिवाय हिंसक खबरों के और कुछ भी नहीं है। दिनभर में जहां कई रेप की घटनाएं सामने आ रही हैं, तो कहीं बच्चे ही अपने बुजुर्ग मां—बाप को बोझ समझ उनका कत्ल कर दे रहे हैं।

नाबालिगों द्वारा दी जा रही हिंसक घटनाओं का आंकड़ा देख तो होश ही फाख्ता हो रहे हैं कि हर तरह के अपराध में किस हद तक इन किशोरों—किशोरियों की संलिप्तता बढ़ रही हैं। जितनी भी बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं उनमें से बड़ी तादाद में किशोरों द्वारा अंजाम दी जा रही हैं। चोरी—डकैती, छिनैती और मर्डर जैसी हिंसक वारदातों में भी दिन—ब—दिन किशोरों की संख्या बढ़ रही है। ऐसा नहीं है कि ये बच्चे सिर्फ गरीब और अनपढ़ घरों से ही ताल्लुक रखते हैं, बल्कि अच्छे खासे ओहदेदार घरों के बच्चे ऐसी घटनाओं में ज्यादा शामिल हैं।

ऐसी ही हैरान कर देने वाली घटना घटी है आजकल बलात्कार के प्रदेश के बतौर ख्यात हो चुके हरियाणा में, जहां एक बारहवीं के छात्र ने अपनी प्रिंसिपल को ही गोलियों से छलनी कर दिया।

घटनाक्रम के मुताबिक कल 20 जनवरी को हरियाणा के यमुनानगर के विवेकानन्द स्कूल में बारहवीं के छात्र शिवांश ने उस समय अपने स्कूल के प्रिंसिपल रीता छाबड़ा की गोली मारकर हत्या कर दी जब वह अपने आॅफिस में बैठी थीं। शिवांश ने प्रिंसिपल आॅफिस में आकर रीता छाबड़ा पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई।

साथी स्टाफ ने जब गोलियों की आवाज सुनी तो प्रिंसिपल आॅफिस की तरफ भागे। शिवांश को पकड़कर गुस्साए स्टाफ ने खूब पिटाई की और बाद में पुलिस को सौंप दिया। प्रिंसिपल को पास के निजी अस्पताल में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

शुरुआती छानबीन के बाद पता चला कि कल 20 जनवरी को स्कूल में पैरेंट्स टीचर मीटिंग थी। शिवांश को उसके हिंसक और झगड़ालू व्यवहार और लगातार स्कूल में अनुपस्थित रहने के कारण स्कूल से निष्कासित किया गया था। ठीक बोर्ड परीक्षा से पहले स्कूल से निकाले जाने के कारण वह काफी गुस्से में था। इसी बात का गुस्सा निकालते हुए उसने अपनी प्रिंसिपल की हत्या कर दी।

स्कूल परिसर के अंदर छात्रों द्वारा किए जाने वाले अपराधों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसी हफ्ते की शुरुआत में लखनऊ के ब्राइटलैंड स्कूल में 7वीं की एक छात्रा ने स्कूल में महज छुट्टी कराने की मंशा से पहली क्लास के मासूम को बंधक बनाकर चाकुओं से ताबड़तोड़ वार कर गोंद दिया था। इससे पहले गुड़गांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में 7 वर्षीय छात्र प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या भी एक किशोर छात्र द्वारा ही स्कूल में छुट्टी कराने के लिए की गई थी।

सवाल यह है कि बच्चे ऐसे नृशंस कांडों में संलिप्त कैसे हो रहे हैं, आखिर कौन है इसके लिए जिम्मेदार। इस हद तक हिंसक प्रवृत्ति का कारण क्या है। मनोचिकित्सकों के मुताबिक हम जो माहौल बच्चे को देते हैं वह भी काफी हद तक उसके लिए जिम्मेदार है। खुलेपन के नाम पर परिजनों द्वारा दी जा रही छूट से भी बच्चे इस तरफ बढ़ते हैं, क्योंकि उनमें समाज का कोई डर—भय नहीं रह जाता। दूसरी रही—सही कसर मोबाइल और इंटरनेट ने पूरी कर दी है। बच्चों में हिंसक प्रवृत्ति बढ़ाने और उन्हें मानसिक रूप से रोगी करने के लिए काफी हद तक मोबाइल और इंटरनेट भी जिम्मेदार हैं।

सवाल यह भी कि आखिर ऋतु छाबड़ा का कसूर क्या था। यही न कि वो अपने स्कूल को अनुशासित और बच्चों को अच्छी सीख देना चाहती थीं। शिवांश को भी इसी सजा के तहत स्कूल से निष्कासित किया गया था। मगर शिवांश ने उन्हें अपना सबसे बड़ा दुश्मन मान मौत के घाट उतार दिया।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि शिवांश के पास आखिर पिस्तौल आई कहां से। शिवांश ने अपने पिता की लाइसेंसी पिस्तौल से तीन गोलियां दागकर अपनी प्रिंसिपल की हत्या की। एक छात्र ने उस गुरु की हत्या कर दी, जिसे कबीर ने भगवान से भी उंचा ओहदा दिया है।

इस हत्याकांड के बाद सवाल यह भी उठने लगे हैं कि क्या ऐसी घटनाओं के लिए हमारा एजुकेशन सिस्टम भी जिम्मेदार है। क्यों आज बच्चे अपने गुरुओं की इज्जत नहीं कर पाते। शायद ऐसा इसलिए भी है क्योंकि आज शिक्षा भी धंधे के बतौर स्थापित हो चुकी है। पहले चूंकि शिक्षा का मतलब सिर्फ शिक्षा था, पैसा ज्यादातर मसलों में गौण था इसलिए बच्चों की नजर में भी गुरु की ज्यादा इज्जत थी।

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