कांग्रेस ने नहीं पनपने दिया 'सेकेंड लाईन' को तो बढेंगी मुश्किलें

Update: 2018-11-05 13:38 GMT

निकाय चुनाव गुफ्तगू भाग - 1 में युवा कांग्रेस नेता ललित जोशी से हुई अनेक मसलों पर बातचीत

हल्द्वानी से संजय रावत की रिपोर्ट

जनज्वार। निकाय चुनाव के बाबत हम राजनीति से जुड़े लोगों से गुफ्तगू कर रहे हैं, जिसके क्रम में सबसे पहले ललित जोशी से बात की। ललित 25 वर्षों से कांग्रेस में सक्रिय हैं। पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और राज्य आंदोलनकारी भी हैं। साथ ही लगातार दो बार मेयर प्रत्याशी के लिए दावेदार रहे भी। ललिल ने सारी जिज्ञासाओं के जवाब शालीनता दिए वैसे ही जैसे कोई राजनीतिज्ञ देता है।

भाषा में न सही उनके वक्तव्य से तल्खियां जरूर झलकती नज़र आयीं। हमारे पहला सवाल था कि टिकिट बंटवारे में क्या कांग्रेस ने पारदर्शिता बरती, तो जवाब में उनका कहना था कि सारी बातें मीडिया के सामने है, अभी चुनाव चल रहे हैं तो मैं कुछ नहीं कहना चाहता।

हमारा दूसरा सवाल था, कांग्रेस की नैतिकता पर सवाल उठ रहे कि यहां टिकिट बंटवारे में अब योग्यता को आधार नहीं माना जाता। इसके जवाब में ललित का कहना था कि मैं "दूसरे" की योग्यता पर प्रश्नचिन्ह तो नहीं लगा सकता, पर मैंने छात्र राजनीति से बहुत कुछ सीखा। मैं किसी "बड़े नेता" का पुत्र तो था नहीं तो सब जमीनी संघर्ष से सीखा। जो किया अपनी मेहनत, अपनी मर्जी से किया। अब कांग्रेस से क्या मिला ये चुनावी दौर में इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।

हां, इतना जरूर कहना चाहता हूं कि कांग्रेस को अपनी 'सेकेंड लाइन' जरूर तैयार करनी पड़ेगी। ये भी मैं शिकायत नहीं सुझाव के तौर पर कह रहा हूं, सेकेंड लाइन इसलिए तैयार करनी होगी क्योंकि किसी क्षेत्र विशेष में किसी नेता का बहुत ज्यादा प्रभाव होता है वो चाहता है कि सारी चीजें उसके हिसाब से चलें, और इसी के परिणाम कांग्रेस को नुकसान पहुंचाते आये हैं। लोगों ने दल बदल कर इसका उदाहरण भी पेश किया है।

गुफ्तगू में हमारा तीसरा सवाल था कि स्थानीय विधायक को शिकायत है आप मेयर प्रत्याशी की चुनावी सभाओं और प्रचार में भागीदारी नहीं कर रहे, जिसके लिए पार्टी अध्यक्ष और अन्य जिलों के कांग्रेसियों से आप पर दबाव भी बनाया जा रहा है। इस पर ललित का कहना था कि, 'नहीं ऐसी कोई बात नहीं, इंदिरा जी खुद एक बड़ा चेहरा हैं उनकी सामर्थ्य है वो किसी को भी जिता—हरा सकती हैं। जहां हमारी जरूरत होगी हमें बुलाया जाएगा हम जरूर जाएंगे, ऐसा नहीं कि किसी प्रेशर में हम जाएं। भविष्य में हम आपको सभाओं में भागीदारी करते हुए भी दिखेंगे।

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