लॉकडाउन के कारण पंजाब में 10 लाख नौकरियां खत्म, सरकार को भी 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान

Update: 2020-05-21 04:30 GMT

विशेषज्ञों के अनुसार पंजाब को मुश्किल वक्त के लिये होना होगा तैयार, युवा वर्ग भारी निराशा, हालात से बाहर नहीं निकाला तो भविष्य में आ सकती है दिक्कतें....

जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। जीरकपुर निवासी विकास कुमार शर्मा 43 एक माल में काम करता है। लॉकडाउन की वजह से मॉल बंद है। उसे हर वक्त अपनी नौकरी जाने की चिंता लगी रहती है। उसकी पत्नी सुनीता शर्मा 38 ने बताया वह इसी चिंता में रहता था। बार बार यहीं कहता रहता था कि अब क्या होगा? इस वजह से वह भारी तनाव में था। मंगलवार की दोपहर में वह बेहोश हो गया। उसकी पत्नी उसे अस्पताल लेकर गयी। जहां जाकर पता चला कि उसने नींद की कई गोलियां एक साथ खा ली।

ब उसकी हालत खतरे से बाहर है। लेकिन उसकी पत्नी चिंतित है। अब अपने पति को लेकर। उसे हर वक्त यहीं डर लगा रहता है कि इस बार तो जान बच गयी। लेकिन आगे क्या होगा? भविष्य को लेकर उसकी चिंता जायज भी लग रही है। क्योंकि पंजाब में एक अनुमान के मुताबिक दस लाख नौकरियां खत्म होने का अंदेशा है। सीएम कैप्टन अमरेंदर सिंह ने मानते हैं कि इस बार पंजाब में बड़ी संख्या में नौकरी जा सकती है। उन्होंने बताया कि सरकार को भी 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अंदेशा है।

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सीएम ने कहा कि प्रदेश को हर माह 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। रेवेन्यू में 88 प्रतिशत की गिरावट आयी है। हालांकि इससे निपटने के लिए हमने कदम उठाने शुरु कर दिये हैं। सभी विभागों में खर्च कम करने की योजना पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार को भी मदद करनी चाहिये। विशेषज्ञों का कहना है कि पंजाब को सबसे खराब दौर के लिए खुद को तैयार करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार कदम नहीं उठाती, तब तक स्थिति बिगड़ती जा रही है।

Full View के लिए काम करने वाली संस्था उम्मीद के संचालक राजकुमार वर्मा ने बताया कि अकेले मौहाली जिले में 24 मार्च से 10 मई के बीच 12 लोगों ने आत्महत्या की है। इनके परिवारों से बातचीत की तो मालूम पड़ा कि काम धंधा ठप होने की वजह से यह कदम उठाया है। संस्था के मनोचिकित्सक डाक्टर चतर सिंह ने बताया कि यह सबसे मुश्किल वक्त् है। भारी निराशा के बीच हर कोई उदास है। ऐसे में उन्हें डर लग रहा है कि यदि नौकरी चली गयी तो क्या होगा। इसी तनाव की वजह से अक्सर लोग आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं।

नजीओ संचालक रामकुमार वर्मा ने बताया कि नौकरी जा रही है, इससे जाहिर है हर कोई अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा कि दिक्कत यह भी आ रही है कि असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों की सामाजिक सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं है। जो ऐसे लोगों में अब डर और तनाव की भावना पैदा कर रही है।

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र्थशास्त्री डाक्टर प्रदीप चौहान ने बताया कि समस्या यह है कि सरकार की ओर से इस दिशा में कुछ नहीं किया जा रहा है। होना तो यह चाहिये था कि सरकार ऐसे लोगों के लिए कोई आर्थिक पैकेज लेकर आती। जिससे उनकी न्यूनतम जरूरत तो पूरी हो सके। कई देशों में ऐसा हो रहा है। यहां भी होना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि इसके अलावा युवाओं में भरोसा पैदा किया जाना चाहिये कि मुश्किल वक्त में उनकी मदद होगी। लेकिन यहां तो मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने की दिशा में कुछ नहीं हो रहा है। जाहिर है इससे तनाव तो आयेगा ही।

न्होंने कहा कि सरकारों को घाटा हो रहा है, नौकरी जा रही है, इस पर बातचीत करने का वक्त नहीं है। अब वक्त यह बात करने का है कि इस हालात से निपटा कैसे जाय? क्योंकि इसे लेकर कोई योजना बननी चाहिये। अफसोस की बात तो यह है कि यह अभी तक होता नजर नहीं आ रहा है।

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