दिल्ली में वाहन चोरी और अवैध हथियार रखने के मामलों में हुआ भारी इजाफा

Update: 2018-01-12 10:27 GMT

बलात्कार और हत्या के मामलों में भले ही मामूली कमी आई हो, मगर वाहन चोरी और अवैध हथियारों के मामलों में फिर एक बार दिल्ली अव्वल है, ट्रैफिक रूल तोड़ने और शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामलों में भी दर्ज हुई बढ़ोत्तरी...

दिल्ली। दिल्ली चाहे देश की राजधानी हो या फिर केंद्रशासित राज्य के बतौर यहां पर किसी की भी सरकार रहे, या फिर पुलिस पर केंद्र सरकार का कंट्रोल रहे, मगर अपराधों के मामले में यह अव्वल है। कम होने के बजाय लगातार यहां अपराध बढ़ रहे हैं। हालांकि महिला सुरक्षा को लेकर दिल्ली पुलिस में जरूर जागरूकता बढ़ी है।

दिल्ली में वर्ष 2017 में अपराध के कुल 223075 मामले दर्ज हुए। 2016 के मुकाबले यह आंकड़ा 12 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की तरफ इशारा करता है। मगर इस आंकड़े को पुलिस की नाकामी कहने के बजाय दिल्ली पुलिस कमीश्नर अमूल्य पटनायक अपनी सालाना प्रेस कांफ्रेंस में यह कहते नजर आए कि चूंकि अब एफआईआर आॅनलाइन दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध है, इसलिए वैसे मामलों में भी एफआईआर दर्ज कराई जा रही हैं जिन पर पहले कोई संज्ञान नहीं लिया जाता था।

इसीलिए यह आंकड़ा बढ़ रहा है। इसे बजाय पुलिस की नाकामी बताने के नागरिकों में जागरूकता बढ़ना कहा जाना चाहिए। खासकर महिला हिंसा के मामलों में तो इसे जागरूकता से ही जोड़ा पुलिस ने। पुलिस के मुताबिक संगीन अपराधों में भी खासा कमी दर्ज की गई है वर्ष 2017 में।

संगीन अपराधों में कमी पुलिस इसलिए कहती है क्योंकि 2016 में जहां हत्या के 501 मामले दर्ज किए गए, वहीं 2017 में 462 हत्या की वारदातों की एफआईआर दर्ज हुई। यानी 2016 के मुकाबले 2017 में यह आंकड़ा कम है। वहीं 2016 में लूट के पुलिस ने करीब साढ़े चार हजार मामले दर्ज किए तो 2017 में यह आंकड़ा 2800 का था।

आंकड़ों के मुताबिक बलात्कार के मामलों में 2016 के मुकाबले 2017 में कम मामले दर्ज हुए हैं। 2016 में 2064 रेप के केस दर्ज हुए थे, और 2017 में 2049 बलात्कार के मामलों की रिपोर्ट दर्ज की गई।

दिल्ली पुलिस कहती है कि पुलिस अपराधों को लेकर ज्यादा सचेत हुई है इसीलिए छीनाझपटी के मामलों में भी कमी आई है। 2016 में छिनैती के नौ हजार मामले दर्ज हुए थे, तो 2017 में यह आंकड़ा 8 हजार रहा।

हालांकि वाहन चोरी के मामलों में यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। जहां 2016 में वाहन चोरी के पुलिस ने 36 हजार मामले दर्ज किए थे, वो 2017 में 39 हजार का आंकड़ा पार कर गया।

ट्रैफिक पुलिस का जो आंकड़ा सामने आया है, उसके मुताबिक 2017 में यातायात के नियमों को तोड़ने के आरोप में 60 लाख से ज्यादा चालान काटे गए, जिससे लगभग 94 करोड़ रुपए की आमदनी हुई। रेड लाइट जंप के 2017 में एक लाख 64 हजार 320 चालान किए गए और ओवर स्पीडिंग के एक लाख 34 हजार 301 चालान ट्रैफिक पुलिस ने किए।

पुलिस द्वारा शराब पीकर गाड़ी चलाने के लिए जहां 30 हजार 301 चालान किए गए, वहीं गाड़ी चलाते हुए फ़ोन पर बात करने के 15 हजार 182 मामलों में चालान काटा गया।

साल 2016 में अवैध हथियारों के साथ दिल्ली में 745 लोगों को गिरफ्तार किया गया था तो 2017 में यह आंकड़ा हजार पार करते हुए 1141 पहुंच गया। 2016 में 738 अवैध हथियार बरामद किए गए और 2017 में 1108. अवैध रूप से हथियार रखने वालों की संख्या में तकरीबन 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।

इन तमाम बातों के बीच दिल्ली पुलिस की एक बात तो ठीक ही है कि रेप और यौन शोषण की जितनी घटनाएं होती हैं उनमें शोषक पीड़ित के बहुत नजदीकी, परिजन या दोस्त—मित्र शामिल होते हैं। हालांकि पलटकर एक सच यह भी है कि जब ऐसे मामलों में करीबी ही शामिल रहते हैं तो जो घटनाएं सामने आ रही हैं वह 50 फीसदी भी नहीं होंगी।

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