नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में बहस जारी, कांग्रेस ने कहा- मोदी अगर पटेल से मिलेंगे तो वह काफी नाराज होंगे

Update: 2019-12-11 07:56 GMT

नागरिकता संशोधन बिल राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश कर दिया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने ये विधेयक सदन के सामने रखा। कहा, देश के मुसलमानों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं

जनज्वार। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार 9 दिसंबर को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया। इस विधेयक पर लोकसभा में जोरदार बहस हुई। विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट पहले ही मंजूरी दे चुका है। इस विधेयक के तहत पड़ोसी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध सिख और पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।

राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक को सरकार ने आज 12 बजे राज्यसभा में पेश किया। इस दौरान राज्यसभा में चार सांसदों की छुट्टी को मंजूर कर लिया गया है जिसके कारण बिल को पास कराने के लिए बहुमत का आकड़ा कम हो गया है। अब इस विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार को 119 सांसदों के समर्थन की जरूरत है।

बिल पेश करते हुए अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि, 'भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में इस बात की घोषणा की थी। हमने इसे देश की जनता के सामने रखा और हमें जनसमर्थन और जनादेश मिला। हमने लिखा था कि पड़ोसी देशों से प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए नागरिकता संशोधन बिल को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। साथ ही हमने यह भी कहा था कि पूर्वोत्तर राज्यों में उन वर्गों के लिए सभी मुद्दों को स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे जिन्होंने क़ानून के बारे में आशंका व्यक्त की है और पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों की भाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक रक्षा के लिए हम अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।

न्होंने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान इन तीन देशों की सीमाएं भारत को छूती हैं। यहां के हिंदू, जैन, बौध्द, सिख, ईसाई और पारसी लोग जो भारत में आए हैं। किसी भी समय आए है उनको नागरिकता प्राप्त करने का इस बिल में प्रावधान है। देश के मुसलमानों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है भारतीय मुस्लिम सुरक्षित हैं और हमेशा सुरक्षित रहेंगे।

जिसके बाद कांग्रेस के आनंद शर्मा ने बिल पर अपने विचार रखते हुए का कि आपने कहा ये ऐतिहासिक बिल है लेकिन इतिहास इसे किस दृष्टि से देखेगा ये तो वक्त बताएगा। लेकिन हम इसका विरोध करते है। आप इसे लेकर इतनी जल्दबाजी में क्यों है। इसको दोबारा दिखवाते संसद की कमेटी को भेजते लेकिन सरकार इसे लेकर अपनी जिद पर अड़ी है। सरकार इसे लेकर इतनी हड़बड़ी में क्यों है, जैसे कि कोई बहुत बड़ी विपत्ति भारत पर है जैसा कि पिछले 72 सालों में नहीं देखा गया। विरोध का कारण राजनैतिक नहीं संवैधानिक और नैतिक हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि इतिहास को बदला नहीं जा सकता दुनिया में बहुत सी ऐसी कोशिशें हुई लेकिन वे सफल नहीं हो सकी। प्रजातंत्र की सच्चाई ये है कि एक नजरिये में उन लोगों का भी जो गांधी और कांग्रेस के विरोधी थे। उसमें मुस्लिम लीग थी, जिन्ना उसके नेता थे और एक तरफ हिंदू महासभा थी जिसके नेता सावरकर थे।

'टू नेशन थ्योरी' को लेकर आनंद शर्मा ने कहा कि बंटवारे की 'टू नेशन थ्योरी' को कांग्रेस नहीं ले कर आई 1937 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा ने इसे पारित किया था। जिसकी अध्यक्षता सावरकर ने की थी। 1938 में मुस्लिम लीग का अधिवेशन का हुआ जिसमें पार्टिश ऑफ़ इंडिया रिजॉल्यूशन लाया गया था। मजहरूल हक़ ने यह प्रस्ताव पेश किया जो बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी बने।

स दौरान उन्होंने कहा कि किसी भी दल का घोषणा पत्र देश के संविधान से बड़ा नहीं हैं। इस पर राजनीति नहीं करें। उन्होंने कहा कि आप इस कानून को लाकर भारत में डिटेंशन सेंटर बनाना चाहते है। आप पूरे देश के एनआरसी की बात कर रहे हैं। क्या आप पूरे भारत में डिटेंशन सेंटर बनाएंगे। मैं कहता हूं कि आप हिंदुस्तान को गांधी के चश्मे से देखे। गांधी ने कहा था कि मैं नहीं चाहता कि मेरे घर के चारो तरफ दीवारें बनी हो और खिड़कियां बंद हो मैं चाहता हूं कि सभी देशों की संस्कृतियां मेरे देश में मुक्त रूप से आए परंतु मेरी संस्कृति भी अक्षुण्ण रहे, इनका सम्मान करें, गृह मंत्री गौर करें मेरा उनसे ये ही आग्रह है कि वह जल्दबाजी न हो ताकि देश में जो भावना है वो शब्दों से खत्म न हों। आनंद शर्मा ने चर्चा के दौरान कहा कि हम पुर्नजन्म में विश्वास करते हैं और हम अपने बुजुर्गाें से मिलते हैं। इसलिए अगर सरदार पटेल मोदी जी से मिलेंगे तो वे उनसे बहुत नाराज होंगे, गांधी जी भी जरूर उदास होंगे।

बिल पर तृणमुल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रयान ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि यह बिल असंवैधानिक है औप इस पर संग्राम जनआंदोलन जरूर होगा। ब्रयान ने कहा कि ये बिल सुप्रीम कोर्ट में भी जाएगा क्योंकि इनकी नींव झूठी और जुमलो वाली है।

मैने सुना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक स्वर्ग अक्षरों में दर्ज होगा। असल में यह पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मोहम्मद अली जिन्ना की कब्र पर दर्ज होगा।

जेडीयू सांसद रामचंद्र प्रसाद सिंह ने नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करते हुए कहा कि विपक्ष भ्रमित करने की कोशिश कर रहा है। इसका भारत के मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। टीआरएस सांसद के केशव राव ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह मुस्लिम विरोधी है। यह संविधान और इस देश के मूल आदर्शों के खिलाफ है। इस बिल के लागू होने से लोगों के बीच में डर बढ़ेगा।

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