कठुआ कांड के फॉरेंसिक रिपोर्ट की जांच आई सामने, साबित हुआ मंदिर में ही हुआ था बलात्कार

Update: 2018-04-20 10:35 GMT

मंदिर में बलात्कार न किए जाने वाली मीडिया की रिपोर्टें निकली झूठी, मंदिर में मिले खून के धब्बे और बाल उसी बच्ची के जिसको बलात्कार के बाद मार दिया था सांझीराम और उसके बेटे—रिश्तेदारों ने

फोरैंसिक जांच की रिपोर्ट में मैच खाए ओरापियों के डीएनए, आरोपियों ने अपने स्तर पर सभी सबूतों को मिटाने की कर रखी व्यवस्था, लेकिन दिल्ली में हुई जांच से नहीं बच पाया कोई आरोपी

सवाल एक ही क्या इसके लिए भाजपाई नेताओं को मिलेगी सजा जो अपराधियों के बचाव में कानून के खिलाफ हुए थे खड़े या पार्टी करेगी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई

जनज्वार, दिल्ली। जम्मू के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ हुए गैंगरेप मामले में फैलाए जा रहे तमाम अफवाहों पर अब लगाम लगेगी। जो भाजपा समर्थक, हिंदूवादी, दंगाई और संघ के लोग यह कह रहे थे कि पवित्र मंदिर में कोई हिंदू क्यों करेगा बलात्कार, उनका भी भ्रम होगा दूर और बच्ची के बलात्कारियों—हत्यारों को मिलेगी सजा।

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जी, हां। कठुआ कांड में फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट से जांच टीम कई अहम सूबत हाथ लगे हैं। लैब की रिपोर्ट ने एक बार फिर इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों और अधिक सजा के करीब ला खड़ा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपियों ने घटना के बाद सबूतों को मिटाने की हर संभव कोशिश की।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट और वारदात की जगह से बरामद अन्य चीजों के आधार पर हुई फोरैंसिक जांच की रिपोर्ट लिखा है कि आरोपियों ने पीड़ित बच्ची के सलवार फ्रॉक को धो डाला था, ताकि उस पर कोई खून का धब्बा न रह जाए।

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आसिफा गैंगरेप और उसके बाद हुई हत्या मामले में जो एसआईटी टीम गठित की गई है उसने पहले बच्ची के कपड़ों को फोरेंसिक जांच के लिए श्रीनगर फॉरेंसिक लैब भेजा था, लेकिन वहां से कुछ खास हासिल नहीं हो पाया क्योंकि बलात्कारियों ने  लेकिन वो उसके कपड़ों को धोकर बिल्कुल साफ कर दिया गया था।

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इसके बाद जम्मू कश्मीर के डीजीपी ने डीएनए सैंपलिंग के लिए 27 फरवरी को दिल्ली गृह मंत्रालय के सचिव को चिट्ठी लिखी। अनुमति मिलने के बाद आसिफा के कपड़ों समेत अन्य सबूतों को जांच के लिए दिल्ली की फोरेंसिक लैब में भेजा गया।

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1 मार्च को गैंगरेप के बाद मार दी गई आसिफा की योनि से मिले वजाइनल स्मियर, उसके बाल और पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया समेत आरोपी शुभम सांगरा के खून के नमूने को सात अलग-अलग पैकेटों में बंद करके दिल्ली भेजा गया था। उसके 14 दिनों के बाद आसिफा के विसरा सैंपल और एक और आरोपी परवेश के खून के नमूने जांच के लिए दिल्ली फोरेंसिक लैब भेजे गए।

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इसके बाद 16 मार्च को आसिफा के सलवार फ्रॉक, घटनास्थल केक आसपास की कुछ मिट्टी और बच्ची के खून से सनी हुई मिट्टी भेजी लैब भेजी गई। 21 मार्च को आरोपी विशाल जंगोत्रा के खून के नमूने दिल्ली लैब में भेजे गए। इन सभी जांचों की रिपोर्ट दिल्ली की फॉरेंसिक लैब ने तीन अप्रैल को एसआईटी टीम को सौंप दी थी। 

आसिफा मामले की चार्जशीट में इस रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए कहा गया कि दिल्ली फॉरेंसिक लैब के पास ज़्यादा अच्छी तकनीक है, इसलिए आसिफा के सलवार फ्रॉक के धब्बों की पहचान कर ली गई। जांच में यह बात सामने आई किखून के निशान पीड़िता के डीएनए से मेल खाते हैं, वैजाइनल स्मियर में उसका खून भी पाया गया। पुलिस की जांच में देवीस्थान से खून का धब्बा लगा हुआ एक लकड़ी का डंडा और कुछ बाल मिले। आसिफा की डीएनए प्रोफाइलिंग से पता चला कि सांझीराम ने उसे बंधक बनाकर रखा था।

फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट से ये भी पता चला कि शव के पास से मिले बाल के डीएनए आरोपी शुभम सांगरा के डीएनए प्रोफाइल से मेल खाता है. मेडिकल एक्सपर्ट्स ने यह भी रिपोर्ट दी कि बच्ची की हत्या के पहले उसके साथ गैंगरेप किया गया था।

लेकिन बलात्कारियों का बचाव करता गोयबल्स मीडिया एक तरफ यह भी प्रचारित करने में लगा है कि आसिफा का बलात्कार ही नहीं हुआ था। यानी वह साफ—साफ फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट को ही कटघरे में खड़ा कर रहा है, वो भी इसलिए क्योंकि उसे अपने आकाओं का बचाव करना है। सोशल मीडिया पर दैनिक जागरण का यह फोटो खूब ट्रोल हो रहा है

 

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