कैंसर कॉलोनी बनता जा रहा दिल्ली का शिव विहार

Update: 2017-09-05 11:00 GMT

दिल्ली, जनज्वार। उत्तरी दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके से होते हुए जब आप शिव विहार की तरफ बढ़ेंगे तो वहां दर्जनों छतों पर बांसों पर हजारों नीली जीसें हवा में लटकती दिख जाएंगी। यही जींस पहनकर दिल्ली आबाद होती है और लोग तरह—तरह की सेल्फी खींच सोशल मीडिया पर चिपकाते हैं।

दिल्ली में लगने वाले बाजारों की जो जींस बिकती है वह इसी इलाके से आती है। इस इलाके में जींस की अवैध फैक्ट्रियों का इतना बड़ा संजाल खड़ा हो गया है कि वहां के नागरिकों को कैंसर हो रहा है और शिव विहार कॉलोनी कैंसर कॉलोनी के रूप में चर्चित होने लगी है।

शिव विहार में जींस डाई करने की दर्जनों अस्थायी फैक्ट्री चल रही हैं, जिनसे निकलने वाले हानिकारक कैमिकल व एसिड को खुले में नालियों में बहाया जा रहा है। यह इतनी ज्यादा मात्रा में होता है कि नाले नीले रंग में तब्दील हो चुके हैं।

इस रंग में मौजूद हानिकारक कैमिकल से जमीन के नीचे भूजल प्रदूषित हो रहा है। नीने का पानी जहरीला हो चुका है। जहरीले पन की मात्रा इतनी ज्यादा है कि उससे लोगों को कैंसर हो रहा है। वहीं हवा में हानिकारक कैमिकल होने से फेफड़ों में कैंसर के विषाणु पहुंच रहे हैं।

दिल्ली के मुस्तफाबाद और शिव विहार के लोग मूल रूप से पीने के पानी के लिए भूजल पर निर्भर हैं। वहां दिल्ली जल बोर्ड के पानी की व्यवस्था नहीं है जिसके कारण वहां के नागरिकों को यह जहरीला पानी पीना पड़ रहा है। इलाके में ज्यादातर मजदूर और गरीब लोग रहते हैं, वे पानी शुद्ध करने के लिए आरओ मशीन भी नहीं नहीं लगा सकते और जहरीला पानी पीना उनकी मजबूरी है।

डाई में प्रयोग होने वाले नीले कलर में कैंसर पैदा करने वाले तत्व पाए जाते हैं, जिसके कारण शिव विहार की सिर्फ एक ही गली में आठ लोगों में ट्यूमर होने का मामला सामने आया है। एम्स में कैंसर विभाग के पूर्व प्रोफेसर पीके जुल्का के मुताबिक, डाई में प्रयोग होने वाले रंग कैंसर के बहुत बड़े कारक हैं।

जींस रंगने का काम धर्मपुरा, कैलाशनगर, सीलमपुर, अजीतनगर और रघुवरपुरा में में बड़े पैमाने पर होता है। इसमें एसिड, सोडियम जैसे कई हानिकारक रसायनों का उपयोग होता है।

इस मामले में पहल लेते हुए दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने पुलिस, नगर निगम और प्रदूषण कण्ट्रोल बोर्ड को भी नोटिस जारी कर जींस की डाई करने वाले फैक्ट्रियों की डिटेल मांगी है। इन विभागों से पूछा है कि क्या ये फैक्ट्री वैध है या अवैध। यदि ये फैक्ट्री अवैध रूप से चलाई जा रही है तो इन्हें बंद करने के लिए क्या कदम उठाये गए।

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