फुटपाथ पर गुजर-बसर कर रहे पिता को कोर्ट ने बेटियों से दिलाया खर्चा

Update: 2019-08-16 04:43 GMT

पत्नी और बच्चों में से कोई भी 70 वर्षीय बुजुर्ग को अपने साथ रखने के लिए नहीं था तैयार, बीमार हालत में भी अकेले रहने को मजबूर था बुजुर्ग तो कोर्ट ने दिया आदेश कि चारों बेटियां प्रतिमाह पिता को दें 10 हजार रुपये गुजारे को...

जनज्वार। ​राजधारी दिल्ली की शाहदरा जिले की फैमिली कोर्ट में जज अश्विनी कुमार सरपाल ने चेतन दत अनेजा नाम के 70 साल के बुजुर्ग की गुजर-बसर के लिए उनकी चार बेटियों को 10 हजार रुपये खर्च देने का आदेश दिया है। अनेजा का दावा है कि बेटियों ने उन्हें सहारा नहीं दिया, इस कारण उन्हें फुटपाथ पर दर-बदर भटकना पड़ रहा है। अनेजा के मुताबिक वह ऑटो चलाकर अपना गुजर-बसर कर रहे थे।

रअसल एक 70 साल के बुजुर्ग अनेजा को अपनों की नाराजगी फुटपाथ तक ले आयी, जबकि यहां अनेजा का अपना एक घर भी है, पत्नी भी और अपनी 4 संतानें भी। पत्नी और बच्चों में से कोई भी इन्हें अपने साथ रखने के लिए तैयार नहीं था। दोनों पक्षों के बीच रिश्ता इस कदर खराब हो गया कि कि अनेजा बीमार हालत में भी अकेले रहने को मजबूर हैं। मजबूरन अदालत को आदेश के जरिए इस सीनियर सिटीजन को उसकी बेटियों से 10,000 रुपये का खर्चा दिलाना पड़ा। कोर्ट ने निर्देश दिया कि बुजुर्ग की हर बेटी 2500 रुपये प्रतिमाह पिता को बतौर गुजारा—भत्ता दे, जिससे कम से कम वह अपना सिर ढंकने के लिए एक किराए की छत का बंदोबस्त तो कर सके।

शाहदरा जिले की फैमिली कोर्ट में जज अश्विनी कुमार सरपाल ने चेतन दत अनेजा की बेटियों को आदेश दिया कि वे चारों आपस में 2500-2500 रुपये जमा कर 10,000 रुपये अपने पिता को फौरी खर्चे के तौर पर दें। उन्होंने अदालत से उनकी बेटियों को यह निर्देश देने की गुहार लगाई है कि वे इनका इलाज करवाएं और घर में साथ रहने दें।

कोर्ट में दायर की गयी याचिका में अनेजा ने दावा किया है कि वह 1970 के दशक में मर्चेंट नेवी में सेलर के तौर पर काम करते थे, उस दौरान अपनी कमाई से यहां जगतपुरी में दो मंजिला मकान बनवाया। पत्नी के दबाव के चलते उसने मर्चेंट नेवी की नौकरी छोड़कर यहां ऑटो चलाना शुरू कर दिया।

त्नी और बेटियों से विवाद के चलते अनेजा को उनके अपने ही घर से निकाल दिया गया। तब से 70 वर्षीय अनेजा कभी त्रिलोकपुरी तो कभी कल्याणपुरी में वह किराये का मकान लेकर अलग रह रहे थे। अनेजा ने दावा किया कि पिछले कुछ महीनों से उनकी तबीयत बहुत खराब है। इस वजह से वह ऑटो भी नहीं चला पा रहे हैं और पैसों की कमी ने सिर से किराए की छत भी छीन ली है। इसीलिए वह फुटपाथ पर दिन गुजारने को मजबूर हैं।

नेजा के मुताबिक, उनकी दो बेटियां शादीशुदा और दो अविवाहित हैं। एक बेटी जीबी पंत हॉस्पिटल में नर्स और तीन टीचर बताई गई हैं। चारों की मासिक आय 35000 से लेकर 60,000 रुपये तक होने का दावा किया गया है।

नेजा की याचिका पर अदालत ने उनकी बेटियों से पूछताछ की तो उन्होंने अपने पिता को साथ रखने से इनकार कर दिया। कहा कि पिता ने उनके लिए कभी कुछ नहीं किया। अदालत ने भी अपनी जांच में पाया कि पिता सिर्फ सरकार से मिलने वाली 2,500 रुपये महीने की पेंशन पर जीवित हैं, लेकिन सीनियर सिटीजन अनेजा के कुछ दावों पर अदालत को संदेह हुआ तो उन्होंने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह अपने दोनों खातों का ब्यौरा अदालत में पेश करें।

70 साल के अनेजा के कांपते हाथों को देखकर भी अदालत को उनके ऑटो चलाकर अपना गुजर बसर करने के दावों पर भी शक हुआ था। अनेजा के दावों के उलट कोर्ट ने यह भी पाया कि उनका ड्राइविंग लाइसेंस हाल फिलहाल नहीं, 2 साल पहले आखिरी बार रिन्यू हुआ था। अंतरिम खर्चे की अर्जी पर दलीलें सुनने के लिए अदालत ने 21 अगस्त की तारीख तय की है। उस दिन दोनों पक्षों को अपनी आय से जुड़े हलफनामे और उसकी पुष्टि करने वाले दस्तावेज कोर्ट में रखने हैं।

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