आरटीआई में खुलासा, बिना मान्यता चल रहा देवरिया ​सीनियर सेकेंड्री स्कूल

Update: 2017-11-12 15:49 GMT

आरटीआई से मिली जानकारी कि नहीं है स्कूल के पास सीबीएसई बोर्ड की मान्यता 

देवरिया सीनियर सेकेंड्री स्कूल के चेयरमैन डॉक्टर गिरीश नारायण गुप्ता ने जनज्वार के सामने रखी अपनी सफाई, कहा सीबीएसई बोर्ड से हमारी मान्यता है 2019 तक, पर नहीं दे पाए मान्यता को पुष्ट करने वाला कोई दस्तावेज, 12वीं तक के इस स्कूल में करीब 2 हजार छात्रों का भविष्य अधर में 

देवरिया, जनज्वार। ऐसे समय में जब प्रदेश सरकार बिना मान्यता के संचालित होने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ अभियान चला रही है तथा ऐसे विद्यालयों को बंद करने का आदेश जारी कर चुकी है, तब भी अगर प्रबंधक मनमानी करते हुए स्कूल संचालित कर रहे हैं तो यह सरकार के आदेश को ठेंगा दिखाने जैसा प्रतीत होता है।

उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में बिना मान्यता व मानक के चलने वाले प्राइवेट स्कूलों की भरमार है। सरकार व शिक्षा विभाग भले ही इन स्कूलों पर अंकुश लगाने का दावा करे, लेकिन इनकी मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही है। मान्यता व मानक के विपरीत चलने वाले स्कूलों की फेहरिस्त काफी लंबी है। इनमें छोटे स्तर से लेकर बड़े स्तर के स्कूल शामिल हैं। इस संबंध में एक ताजा मामला जनपद के एक बड़े स्कूल का प्रकाश में आया है।

सूचना अधिकार कानून के तहत मिली जानकारी के मुताबिक जिला मुख्यालय पर स्थित देवरिया सीनियर सेकेंडरी स्कूल बिना मान्यता के संचालित हो रहा है। देवरिया में सक्रिय छात्र नेता अरविंद गिरी ने आरटीआई के तहत देवरिया सीनियर सेकेंड्री स्कूल की मान्यता के संदर्भ में सीबीएसई से जानकारी मांगी थी। सीबीएसई बोर्ड में 26 अक्टूबर को जारी सूचना में बताया है कि उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार देवरिया सीनियर सेकेंड्री स्कूल की सीबीएसई से संबंद्धता नहीं है।

देवरिया सीनियर सेकेंड्री स्कूल के मुख्य ट्रस्टी, चेयरमैन और देवरिया के चर्चित फीजिशियन गिरीश नारायण गुप्ता ने जनज्वार के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 2019 तक सीबीएसई बोर्ड से हमारे विद्यालय की मान्यता है। हालांकि इस संदर्भ में अपनी बात को पुष्ट करने वाला कोई प्रमाण वह जनज्वार को नहीं दे पाए।

संभवत: डॉक्टर साहब अपने स्कूल की मान्यता के कागजात इसलिए नहीं भेज पाए क्योंकि देवरिया सीनियर सेकेंड्री स्कूल कुरनानाले के किनारे स्थित है, जिसके पास शहर का कचरा फेंका जाता है। पास में ही श्मशान है जहाँ लाशें जलायी और दफनाई जाती हैं। यहाँ बरसात में बाढ़ का भी खतरा बना रहता है। विद्यालय से लगभग पचास मीटर पर फोरलेन हाईवे, ओवरब्रिज एवं रेलवे लाइन है। नाले की जमीन को अतिक्रमण कर बना यह विद्यालय आखिर किस तरह मान्यता हासिल कर सकता है।

आरटीआई मांगने वाले छात्र नेता अरविंद गिरी ने जनज्वार को बताया कि इस आशय की शिकायत 7 नवंबर को एडीएम देवरिया से की है। देवरिया सीनियर सेकेंड्री स्कूल जिले के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर गिरीश नारायण गुप्ता के प्रबंधन में संचालित होता है। प्रोविजनल दिखाकर डॉक्टर गुप्ता मीडिया और अभिभावकों को भरमाना चाहते हैं। जबकि सीबीएई बोर्ड ने 26 अक्टूबर को दी गई अपनी जानकारी में दोटूक कहा है कि देवरिया सीनियर सेकेंड्री स्कूल से उसकी कोई संबद्धता नहीं है। 

गौरतलब है कि सीबीएसई बोर्ड के जन सूचना अधिकारी ने सूचना अधिकार कानून के तहत अरविंद गिरी द्वारा देवरिया सीनियर सेकेंड्री स्कूल के बारे में मांगे गए छह सवालों के जवाब में अपने पत्रांक संख्या सीबीएसई /संबद्धता /आरटीआई /केस नं.CBSED/R/02197/2017/19893 में लिखा है कि 'उपलब्ध रिकार्डानुसार यह स्कूल बोर्ड से संबद्धता प्राप्त न होने के कारण मांगी गई सूचना उपलब्ध नहीं है।' 

जानकारी के मुताबिक उक्त विद्यालय को सीबीएसई ने 2 अक्टूबर 2014 को प्रोविजनल मान्यता दी थी, लेकिन पिछले दिनों आरटीआई से मिली जानकारी ने हड़कंप मचा दिया है। यह मामला तो अभी सिर्फ एक स्कूल का उजागर हुआ है। अगर प्रशासन गंभीरता से जांच करें तो अभी और कई विद्यालय सामने आएंगे जो मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए मोटी कमाई कर रहे हैं। 

इस संदर्भ में #देवरिया के #जिलाधिकारी सुजीत कुमार और#जिला #शिक्षा #अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन दोनों में से किसी ने भी कोई जवाब नहीं दिया।

देवरिया सीनियर सेकेंड्री स्कूल की मान्यता को सही ठहराते हुए जनज्वार से बातचीत में कुसुम गुप्ता ने कहा कि मैं विद्यालय की निदेशक हूं और हमारे विद्यालय के सभी कागज पूरे हैं।

इस बीच स्कूल से जुड़ा एक और विवाद सामने आया है। खुद स्कूल के चेयरमैन डॉ. गिरीश नारायण गुप्ता ने प्रिसिंपल राजेश कुमार मिश्रा के खिलाफ चोरी और फर्जी डिग्रियों का मुकदमा दर्ज कराया है। डॉ. गुप्ता से जब जनज्वार ने जब जानना चाहा कि ऐसे फर्जी डिग्री वाले प्रिंसिपल को आपने क्यों रख रखा था, तो उनका जवाब था ऐसे डिग्री वाले भरे पड़े हैं, हमने जांच कर ही रखा था, लेकिन वह चार सौ बीस निकला तो क्या करें।

सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक नेता चतुरानन ओझा इस मामले में कहते हैं, देवरिया सीनियर सेकेंडरी स्कूल तो एक बानगी भर है। ऐसे में अब अभिभावकों को भी जागरूक होना होगा कि उनका बच्चा जिस स्कूल में पढ़ रहा है, वहां सुरक्षा के क्या उपाय हैं। प्रशिक्षित अध्यापक हैं या नहीं और सबसे बड़ी बात की स्कूल जिस मान्यता की दावेदारी कर रहा है वह उसके पास है या नहीं। 

जब तक मुनाफे वाली शिक्षा की दुकानें पूरी तरह बंद नहीं होंगी, सरकार चाहे जितने नीम हकीमी नुस्खे ईज़ाद कर ले, शिक्षा व्यवस्था सुधरने वाली नहीं है। 

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