डीपीसीसी ने बंद किए दो दर्जन रेस्टोरेंट

Update: 2017-09-24 17:39 GMT

दिल्ली। दिल्ली के पॉश इलाकों में गिने जाने वाले हौजखास विलेज में बने तकरीबन दो दर्जन रेस्टोरेंट—बार प्रशासनिक कार्रवाई के बाद 23 सितंबर को दिन में बंद कर दिए गए हैं। दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी ने इन्हें अपनी जांच में नियमों का उल्लंघन करने का दोषी ठहराया है, जिसके बाद इन्हें सील किया गया।

दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी ने अपने आदेश में कहा है कि इसके तहत उन 21 रेस्टोरेंट्स—बार को सील किया गया, जो पर्यावरण प्रदूषण संबंधी तय किए गए मानकों की अनदेखी कर रहे थे। गौरतलब है कि जिन रेस्टोरेंटों को बंद किया गया है, उन्हें पहले ही पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी नोटिस जारी कर चेता चुकी थी, मगर इनके मालिकान बिना किसी डर के नियमों को ताक पर रख अपना काम कर रहे थे।

किसी भी तरह के उपद्रव की आशंका को देखते हुए सीलिंग के दौरान सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ—साथ दिल्ली पुलिस भी मौजूद रही। गौरतलब है कि दिल्ली पोल्यूशन कंट्रोल कमेटी डीपीसीसी के आदेश के बाद हौजखास के एसडीएम, दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट और दिल्ली पुलिस ने मिलकर 22 रेस्टोरेंट्स को सील करने का आदेश दिया था, जिसमें से 1 पहले से बंद था और 21 को अब सील किया गया है। आशंका जताई जा रही है कि जो रेस्टोरेंट पर्यावरणीय नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उन पर भी जल्द ही कैंची चल सकती है।

डीपीसीसी के मुताबिक यह कार्रवाई कई बार नियमों का उल्लंघन का दोषी पाए जाने पर नोटिस दिए जाने के बाद की गई है। रेस्टोरेंट्स मालिकान इसमें दो तरह के दोषी पाए गए हैं। पहला है वायु प्रदूषण, जिसके तहत रेस्टोरेंट से आने वाला धुआं या चिमनी वगैरह सही तरीके से इस्तेमाल न किए जाने से होता है, दूसरी तरह का उल्लंघन है पानी और कुछ अन्य मामलों में दोषी पाया जाना।

डीपीसीसी अपने जिन नियमों के तहत कार्रवाई करती है, उसमें रसोई के धुएं से होने वाला प्रदूषण तो शामिल है, उसके अलावा वहां प्रयोग होने वाले शौचालय से अगर किसी तरह की भी गंदगी या प्रदूषण फैलता है और उससे आबादी को किसी भी तरह का कोई नुकसान होता है तो वह पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन के दायरे में आ जाता है। इसके अलावा अवैध तरीके से भूजल की निकासी और अवैध तरीके से अपशिष्ट डंप किया जाना भी नियमों का खुलेआम माखौल उड़ाया जाना है।

डीपीसीसी अधिकारियों के मुताबिक हौजखास में चल रहे बार और रेस्टोरेंट्स काफी लंबे वक्त से पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। ऐसे कई मामले राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल और दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित हैं।

इसी महीने 15 सितंबर को हाईकोर्ट ने एक मामले पर बोलते हुए कहा था कि हौजखास इलाके की स्थिति विस्फोटक हो चुकी है। मगर किसी को इस बात की परवाह नहीं है। न तो सरकारी एजेंसियां और न ही इलाके के रेस्टोरेंट मालिक इलाके कीह सुरक्षा के संबध में कोई जवाब दे रहे हैं।

गौरतलब है कि इन्हीं नियमों के तहत 2013 में, राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 26 रेस्टोरेंट्स बंद करवाए थे। इन मामलों में लंबे समय तक चली कार्रवाई के बाद हौजखास विलेज को कुछ राहत मिली थी, लेकिन नियमों का उल्लंघन वहां  लगातार जारी था।

इस मामले में दिल्ली सरकार का कहना है कि यह एक निरंतर चलने वाली समस्या थी। अपने लाभ के लिए रेस्टोरेंटों के संचालक सभी पर्यावरणीय मानदंडों की धज्जियां उड़ा रहे थे। फिर चाहे वो अवैध रूप से भू-जल निकालने का मामला हो या फिर अवैध तरीके से अपशिष्ट को डंप किए जाने का मामला, इनकी खुलेआम धज्जियां उड़ रही थीं, इसलिए सरकार को सख्त कदम उठाने पड़े।

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