दिल्ली में प्रदूषण से हर रोज मर रहे 80 लोग

Update: 2017-11-09 22:18 GMT

पीएम 2.5 पर काबू पाकर दिल्ली में प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों को 45 से 85 फीसदी तक कम किया जा सकता है और प्रदूषण के कारण दुनियाभर में हर साल होने वाली 21 लाख मौतों पर काबू किया जा सकता है...

दिल्ली, जनज्वार। वर्ष 2015 में डब्लूएचओ के हवाले से केंद्र सरकार ने यह आंकड़ा राज्यसभा में जारी किया था। राज्यसभा में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के मामले में कहा था कि हर रोज दिल्ली में 80 लोग प्रदूषण के कारण मर रहे हैं।

मंत्री ने उस समय माना था कि हाल में जारी किए गए एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में दावा किया गया है कि प्रदूषित वायु के कारण दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 80 की मौत होती है। अनुमान आंकड़ों पर आधारित था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण के कारण दिल्ली में सालाना 10,000 से 30,000 जानें जा रही हैं। प्रदूषण हर दिन भारत की राजधानी में औसतन 80 लोगों की जान ले रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ की 2015 के मध्य जारी एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 13 भारत के शहर थे। इनमें दिल्ली सबसे ऊपर रही, जबकि पटना, रायपुर और ग्वालियर का स्थान दिल्ली से क्रमश: नीचे रहा।

दिल्ली की हवा में पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5 की मात्रा प्रति घन मीटर 150 माइक्रोग्राम है। यह देश में निर्धारित सीमा का चार गुना और डब्ल्यूएचओ की तय सीमा का 15 गुना है। पूरी दुनिया विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंडों के अनुरूप प्रदूषण के स्तर को कम करे, तो हर साल 21 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है।

गौरतलब है कि दिन—ब—दिन बढ़ रही गाड़ियों की संख्या भी प्रदूषण के लिए कम जिम्मेदार नहीं है और यह लगातार बढ़ रही है। दिल्ली में वाहनों की संख्या पिछले 30 सालों में 1.80 लाख से 35 लाख पहुंच गई है।

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