फर्जी वोटर मामले में चुनाव आयोग ने कांग्रेस की शिकायत को किया खारिज

Update: 2018-06-09 03:18 GMT

कहा नहीं है दम कांग्रेस के लगाए आरोपों में, कुछ तकनीकी गड़बड़ियां हैं जिन्हें सुधारा जा रहा है....

30 मई, 2018 को मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा क्षेत्रों में 60 लाख फर्जी मतदाता होने का खुलासा मीडिया में किया गया था। सबूतों के साथ दिखाया कि फर्जी वोटर आईडी बनाए जाने के लिए एक ही फोटो का इस्तेमाल अलग—अलग 36 नामों के साथ किस तरह से किया गया था।

कांग्रेसी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने इसके खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि भाजपा ने दुबारा सत्ता में आने के लिए यह सारा गेम प्लान किया है, इसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए और दोषियों को चिन्हित कर उनका नाम उजागर किया जाए। जिसके बाद चुनाव आयोग ने जांच आयोग का गठन किया था। कांग्रेस ने कहा था कि अगला विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने जान—बूझकर यह साजिश रची है, इसीलिए 60 लाख फर्जी मतदाता सिर्फ इसी साल जोड़े गए हैं।

इस मामले में अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए चुनाव आयोग ने कहा है कि एक मतदाता के अलग-अलग जगह नाम होने की कांग्रेस की शिकायत गलत है। इलेक्टोरल रोल में एक ही व्यक्ति की बार-बार तस्वीर छापने का मतलब यह नहीं कि वह मल्टीपल एंट्री का मामला है, बल्कि ऐसे मामलों में एक शख्स की तस्वीर बार-बार रिपीट हो गई है। अगर एक ही शख्स की तस्वीर बार-बार रिपीट हुई है तो उसको सही करने का काम शुरु हो चुका है।'

मध्य प्रदेश में 60 लाख फर्जी वोटर, चुनाव आयोग पहुंची कांग्रेस

गौरतलब है कि कांग्रेस की तरफ से चुनाव आयोग को जो शिकायत सौंपी गई थी उसमें 23 पैरामीटर्स का जिक्र किया गया है, इस पर चुनाव आयोग ने रिपोर्ट दी है कि इनके आधार पर यह नहीं कहा जा सकता की वोटर आईडी में गड़बड़ी हुई है। वोटों की संख्या में अचानक इतनी ज्यादा बढ़ोत्तरी के जवाब पर चुनाव आयोग का कहना है कि यह वृद्धि अप्रत्याशित नहीं है, बल्कि जनसंख्या जिस स्पीड से बढ़ रही है वोटर आईडी संख्या में बढ़ोत्तरी उसी को दर्ज करती है। मध्य प्रदेश में जनसंख्या के हिसाब से मतदाताओं की हिस्सेदारी 2008 में 52.76 प्रतिशत से बढ़कर 2018 में 61.45 प्रतिशत हो गयी है, इसलिये जनसांख्यकीय आंकड़ों के आधार पर मतदाता सूचियों को अपडेट किया गया है। राज्य में वोटरों की संख्या में वृद्धि को एक सामान्य सी चीज के तौर पर लिया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि एक जून को मीडिया में खुलासा हुआ था कि किस तरह से एक ही फोटो के सहारे राज्य में कितने फर्जी वोटर बनाए गए हैं, कैसे पोलिंग बूथ, 23 मतदाता, सबकी तस्वीर एक जैसी है। एनडीटीवी के मुताबिक ऐसी ही ढेर सारी गड़बड़ियों वाली मतदाता सूची द पॉलिटिक्स इन नाम के स्टार्टअप से उसके हाथ लगी है। चुनाव आयोग ने इसे देखने के बाद लिस्ट से खामियां दूर करने की बात कही थी। इसी तरह भोजपुर विधानसभा के मतदाता केंद्र 245 में मतदाता कार्ड नंबर आईजेपी 3297140 वाले देवचंद इसी बूथ पर आईजेपी 3297249 से मुकेश कुमार हो गये ।बूथ नंबर 270 में यही तस्वीर तीन अलग अलग नामों से है।

एनडीटीवी की खबर के मुता​बिक पोलिंग बूथ नंबर 272 पर दो नाम से बूथ नंबर 273 में चार नाम से तो 275 में दो नाम से 276 में भीमसेन नाम से तो बूथ नंबर 280 में तीन अलग-अलग नामों से है। इस मामले में कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि मध्य प्रदेश में ऐसे 1-2 नहीं बल्कि 60 लाख फर्जी वोटर हैं, जिसे सरकार ने प्रशासन की मदद से तैयार किया है। कांग्रेस प्रवक्ता मानक अग्रवाल ने दावा किया था कि एक फोटो से 40 लोग मतदान कर रहे हैं, उसमें पुरुष भी हैं और महिलाएं भी।

कांग्रेस ने कहा है कि पूरे मध्यप्रदेश में हुआ है, हमें उसकी जो जानकारी है। 60 लाख फर्जी वोट तैयार किये गये हैं, जिसके लिए बीजेपी ने सारे कलेक्टरों का उपयोग किया है। बीजेपी ने अपने फायदे के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का उपयोग किया है।

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