सबको कार और एसी भी चाहिए और प्रदूषण फ्री दिल्ली भी

Update: 2017-11-09 10:49 GMT

जो सरकारें अज्ञानी और पारंपरिक खेती के अभ्यस्त किसानों से प्रदूषण फैलाने के हर्जाने के रूप में लाखों रुपय वसूल रही हैं, क्या वही सरकारें 4—4 गाड़ियां रखने वाले और एक घर में टॉयलेट से लेकर किचन तक बीसियों एसी लगाने वाले आधुनिक शहरी धन्नासेठों और तथाकथित सभ्य वर्ग से भी हर्जाना वसूल कर पाएंगी...

प्रेमा नेगी

आज से दिल्ली में भारी वाहनों, ट्रकों की एंट्री बंद हो जाएगी। सरकार के आदेश के मुताबिक स्कूल रविवार तक बंद रहेंगे। अगले आदेश तक आज से निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध होगा। एमसीडी, डीडीए और मेट्रो अपनी पार्किंग का चार्ज चौगुना कर देंगे, लकड़ी और कोयले का प्रयोग होटलों में पूर्णत: बंद कर दिया जाएगा। यह सारी कवायद और कार्रवाइयां सरकार तब कर रही है, जबकि दिल्ली की सांस उखड़ने लगी है।

यानि सरकार, एजेंसियों और समाज को समय रहते चेतने की आदत खत्म हो गई है। और जब तक तबाही मुहाने पर दस्तक न दे दे, तब तक न समाज सुधरने को तैयार है न सरकार पहल लेने को।

आज से दिल्ली सरकार पिछले साल की तरह आॅड—इवन लागू कर सकती है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को फ्री कर सकती है और बसों की फ्रिक्वेंसी बढ़ा सकती है, मगर सवाल है किस कीमत पर।

दिल्ली देश का ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा मोटर वाहन मौजूद हैं। अन्य राज्यों से आने वाले भारी वाहनों के कारण भी न सिर्फ दिल्ली जाम की समस्या से जूझती है, बल्कि प्रदूषण का स्तर भी कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। हालांकि इस समस्या के लिए सरकार पड़ोसी राज्यों के सर पर दोष तो मढ़ देती है, मगर सख्त नियम—कानून नहीं बनाए जाते।

दिल्ली—एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर उच्च न्यायालय ने 7 नवंबर को कहा कि दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण का एक बहुत बड़ा कारण फसलों के डंठल (पराली) जलाया जाना है। इसके चलते बड़ी मात्रा में विषाक्त धुआं वायु में अशुद्धि फैलाता है। हालांकि इस मसले पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पराली जलाने पर रोकथाम को लेकर कोई ठोस उपाय न करने पर दिल्ली और उसके पड़ोसी राज्यों हरियाणा, पंजाब को जमकर लताड़ लगाई।

न्यायालय ने भी दिल्ली की केजरीवाल सरकार समेत हरियाणा और पंजाब की सरकारों को इस हद तक बढ़ चुके प्रदूषण से निपटने की तैयारी पहले से कोई नहीं होने को लेकर भी जमकर फटकार लगाई।

बढ़ते प्रदूषण पर ट्वीट करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लिखा है, ‘दिल्ली गैस चैंबर बन गई है। हर साल इस समयावधि में ऐसे ही हालात होते हैं। हमें दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में फसलों की पराली जलाने के मुद्दे का समाधान खोजना होगा।’

गौरतलब है कि पिछले वर्ष हरियाणा में खेती के सीजन में फसलों के डंठल (पराली) जलाने को लेकर 1800 मुकदमे दर्ज हुए थे और इस वर्ष 1138 मुकदमे दर्ज हुए हैं। हरियाणा पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सचिव एस नारायण के मुताबिक फसल जलाने के हर्जाने के रूप में किसानों से 12 लाख 45 हजार रुपया वसूला गया है। वहीं पंजाब में 30 फीसदी फसल जलाने की घटनाएं कम हुई हैं और वहां भी 2338 किसानों से लाखों रुपए किसानों ने हर्जाने के रूप में दिए हैं।

सवाल है कि जो सरकारें अज्ञानी और पारंपरिक खेती के अभ्यस्त किसानों से प्रदूषण फैलाने के हर्जाने के रूप में लाखों रुपय वसूल रही हैं, क्या वही सरकारें 4—4 गाड़ियां रखने वाले और एक घर में टॉयलेट से लेकर किचन तक बीसियों एसी लगाने वाले आधुनिक शहरी धन्नासेठों और तथाकथित सभ्य वर्ग से भी हर्जाना वसूल कर पाएंगी।

प्रदूषण से मौसम में फैली धुंध के कारण कई रोड एक्सीडेंट भी हुए हैं। इन घटनाओं में पिछले 24 घंटों के दौरान उत्तर प्रदेश के मथुरा, यमुना एक्सप्रेस वे, दनकौर और पंजाब के भटिंडा में 6 दुर्घटनाओं में 17 मौतें हुईं और दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। कल यमुना एक्सप्रेस वे का सोशल मीडिया में वायरल हो रहा वीडियो पूरे देश ने देखा कि कैसे प्रदूषण से गहराई धुंध के कारण दर्जनों गाड़ियां एक दूसरे से टकराईं।

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