औरतों का यथार्थ है फेसबुक सीरीज 'औरतें'

Update: 2017-08-12 16:39 GMT

पत्रकार गौरव नौडियाल के इस प्रयोग को आप भी देखिए

'औरतें' एक फेसबुक सीरीज है, जिसे शुरुआत में 'फोटो सीरीज' के तौर पर फेसबुक गौरव नौडियाल ने शुरू किया था. इसकी शुरुआत घर की महिलाओं की कुछ ऐसी तस्वीरों से हुई, जो कैमरे के मूवमेंट से अंजान थी और अपने कामों में डूबी हुई थी. इसकी कुल 55 किश्तें गौरव ने फेसबुक पर डाली और अब वो वीडियो फ़ॉर्मेट में इसी सीरीज को लेकर आए हैं.

बकौल गौरव इसमें थोड़े गंभीर मुद्दे होंगे, थोड़ा मर्दों को लेकर औरतों का नजरिया और थोड़ी हिम्मत बांधती बातें, कि लोकलाज के डर से सब खामोश बैठकर दूसरी घटना का इंतज़ार नहीं करती या फिर पिटकर भी अपने रिश्तों को नहीं ढोती.

'औरतें' सीरीज में अलग-अलग महिलाएं अपनी कहानियां खुद सुनाएंगी. मुद्दे मोलेस्टेशन, डोमेस्टिक वायलेंस या फिर छेड़खानी और ऐसे विक्टिम्स के हैं जिन्होंने अपने हिस्से की लड़ाई लड़कर अपना प्रतिरोध दर्ज किया.

'मैं चाहती तो सहन कर बाकी औरतों की तरह पड़ी रहती'
औरतें सीरीज की पहली कड़ी में कर्नाटक की सौम्या सुन्दर की कहानी दिखाई गई. सौम्या की परवरिश एक अपर मिडिल क्लास फैमिली में हुई. उसके माता-पिता ने जीवन भर दिल्ली में बड़े ओहदों पर काम किया. उसकी शादी भी एक सेलेब्रिटी परिवार में हुई. यूके में अपने पति के साथ रहने वाली सौम्या की कहानी उस वक्त करवट लेती है जब उसने पति द्वारा रोज की मार-पिटाई से तंग होकर अलग होने का फैसला लिया, लेकिन ये इतना भी आसां नहीं रहा.

उसने पिटाई के निशानों को मेकअप से ढंककर झूठी शानों-शौकत से रहने के बजाय अपनी आज़ादी को चुना. बकौल सौम्या जब उसने अपने पति से अलग होने की बात अपने माँ-बाप को बताई तो उनका जवाब निराशाजनक था. उन्होंने पति के साथ रहने का ही दबाव बनाना चाहा जो कि उसके लिए झटका देने वाला था. इसके बाद कई दिन इसी विवाद में गुजर गए. फिर एक दिन सौम्या अपने पति और मां बाप को छोड़कर हैदराबाद चली आई. उसने यहाँ पर नौकरी तलाशी और अब इंडीपेंडेंट लाइफ जी रही है. ये अकेली सौम्या की कहानी नहीं है, भारत के सोशल स्ट्रक्चर में ऐसे कई मामले आम देखने को मिलते हैं.

आगे सीरीज में दिखेंगे अलग-अलग मुद्दे
गौरव बताते हैं कि ऐसे ही बाकी लड़कियों की कहानियां हैं. इसमें हर एपिसोड के बात कुछ फैक्ट्स के साथ महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध या अन्य घटनाओं का जिक्र कर लोगों के बीच अपनी बात रखेंगे. गौरव का कहना है- 'मेरी तमन्ना है कि औरतों और मर्दों की परवरिश एक सी हो और उनमें इतनी समझ पैदा की जाए कि कहीं भी गैरबराबरी की गुंजाइश न रहे. औरतें अपने खिलाफ होने वाले अपराधों पर खुद आगे आकर बात रखें बजाय कि लोकलाज के डर से पीछे हटने के. हमारी मुहीम से दुनिया तो नहीं बदलने वाली, लेकिन 4 लड़कियों ने भी हिम्मत दिखाई और सोचना शुरू किया तो ये ही सीरीज की सफलता है'

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