स्टेशन पर पिता ढूंढता रहा दूध, मासूम ने मां की गोद में तोड़ा दम

Update: 2020-05-28 10:56 GMT

ट्रेनें श्रमिकों के लिए मौत का सफर बन रही है। इन ट्रेनों में लगातार प्रवासियों की मौत की खबरें सामने आ रही है। दिल्ली से बिहार जा रहे एक शख्स के चार साल के बेटे की मौत हो गई। पिता का आरोप है कि बच्चे के लिए दूध की तलाश करते रहे पर उन्हें किसी भी प्लेटफॉर्म पर दूध नहीं मिला...

जनज्वार । लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए सरकार की ओर श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। लेकिन ये ट्रेनें श्रमिकों के लिए मौत का सफर बन रही है। इन ट्रेनों में लगातार प्रवासियों की मौत की खबरें सामने आ रही है। दिल्ली से बिहार जा रहे एक शख्स के चार साल के बेटे की मौत हो गई। पिता का आरोप है कि बच्चे के लिए दूध की तलाश करते रहे पर उन्हें किसी भी प्लेटफॉर्म पर दूध नहीं मिला। इसके चलते सफर के दौरान मासूम की मौत हो गई।

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मोहम्मद पिंटू ने बताया कि वह अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ दिल्ली के रमा बिहार में पेंट कंपनी में काम करते थे। लॉकडाउन के चलते फंस गए थे। उन्होंने दिल्ली में अपना सारा सामान बेच मकान खाली कर दिया। चार बच्चे समेत 12 लोग दिल्ली से सीतामढ़ी जाने वाली ट्रेन से अपने घर पश्चिम चंपारण जाने के लिए । इस दौरान रास्ते में उनका चार साल का बेटा गर्मी के चलते बीमार हो गया।

ब तक ट्रेन मुजफ्फरपुर जंक्शन पर पहुंची, तब तक उसकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी। पिंटू ने बताया मैं अपने बेटे के लिए कुछ दूध तलाशने के लिए स्टेशन पर पर इधर-उधर गया। तब तक काफी देर हो चुकी थी।'' उधर बेटे की मौत के बाद मां जेबा खातून बदहवास हो गई।

दुखी पिता ने कहा कि उनकी पत्नी अभी भी सदमे की स्थिति में है और बोलने में असमर्थ है। हमने सोचा था कि सब अपने घर पहुंचकर अच्छे से ईद मनाएंगे, लेकिन किसी पता था कि भगवान ने हमारे लिए कुछ और सोच रखा था।

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हीं पुलिस अधीक्षक रेलवे, रमाकांत उपाध्याय ने दावा किया कि लड़का कुछ समय से बीमार था और ट्रेन के मुजफ्फरपुर स्टेशन पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई थी। दूसरी ओर अहमदाबाद से मुजफ्फरपुर के लिए चली विशेष श्रमिक ट्रेन में कटिहार जिले आजमनगर थाना के आजमनगर निवासी अरबीना खातून की मौत के बाद 3 वर्षीया रहमत और चार वर्षीय अरमान अनाथ हो गए हैं।

रबीना के पति इस्लाम की पहले ही मौत हो चुकी है। अरबीना अपनी बहन कोहिनूर खातून व बहनोई वजैर आलम के साथ अहमदाबाद की स्टील फैक्ट्री में मजदूरी करती थी। प्लेटफॉर्म संख्या तीन पर अरबीना के शव के पास अपने एक और अरबीना के दो बच्चों के साथ कोहिनूर खातून विलाप करती नजर आई। बताया कि वह मानसिक रूप से भी बीमार चल रही थी।

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