पूर्व CJI रंजन गोगोई बने राज्यसभा सदस्य, शपथ ग्रहण के दौरान लगे shame-shame के नारे

Update: 2020-03-19 08:09 GMT

पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने गुरुवार को राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ ली. रंजन गोगोई जब शपथ ले रहे थे तो कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के कुछ सांसदों ने हंगामा किया. उन्होंने शेम-शेम के नारे भी लगाए...

जनज्वार। पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई राज्यसभा के सदस्य बन गए हैं। गुरुवार को उन्होंने सदन की सदस्यता ग्रहण की। हालांकि इस दौरान कांग्रेस, डीएमके, सीपीएम और आइयूएमएल के सांसदों ने उनका विरोध भी किया। वे ‘शर्म करो’ और ‘डील’ के नारे लगाने लगे। किसी सदस्य के शपथ ग्रहण के दौरान पहली बार सदन में नारेबाजी हुई है। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आदेश दिया कि नारेबाजी को सदन की कार्यवाही के रिकॉर्ड में शामिल न किया जाए।

नारेबाजी के बाद विपक्ष ने किया बहिष्कार

स्टिस गोगोई जब सदन के मध्य में जाने लगे तो पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम नारे लगाते हुए सदन से बाहर जाने लगे। इसके बाद दूसरे कांग्रेस नेता और डीएमके, सीपीएम और आइयूएमएल के सांसदों ने भी नारे लगाए। गोगोई के शपथ लेने तक सदन में नारेबाजी चलती रही। यह तभी थमी जब कांग्रेस, डीएमके, सीपीएम और आइयूएमएल के नेता सदन से बाहर चले गए।

अपने विचार सदन से बाहर व्यक्त कीजिएः नायडू

पथ लेने के बाद उन्हें आबंटित अस्थायी सीट नंबर 131 पर गए और हाथ जोड़कर और नमस्ते कहते हुए सभी सदस्यों का अभिवादन किया। भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने उनका स्वागत किया। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, “यह एक संवैधानिक स्थिति है। हम परंपराओं को जानते हैं। हम राष्ट्रपति के अधिकारों को जानते हैं और सदन में इसके बारे में हमें कुछ नहीं कहना चाहिए। आपके जो भी विचार हैं, सदन से बाहर कहिए। उसके लिए आप स्वतंत्र हैं।” इस दौरान गोगोई की पत्नी और उनकी बेटी दर्शक दीर्घा में मौजूद थीं। 65 साल के गोगोई 13 महीने तक भारत के चीफ जस्टिस रहे और पिछले साल नवंबर में रिटायर हुए। बतौर सांसद केटीएस तुलसी के रिटायर होने के बाद राष्ट्रपति ने उन्हें नामित किया है।

गोगोई को राफेल को क्लीन चिट देने के मामले में सफाई देनी चाहिए: सिब्बल

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा सोमवार को राज्यसभा के लिए नामित किए गए जस्टिस गोगोई पर कई सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने उनसे सरकार को राफेल मामले में क्लीन चिट देने के मामले में सफाई देने के लिए कहा है। सिब्बल ने गोगोई की टिप्पणी का जिक्र करते हुए ट्वीट किया था कि ‘रंजन गोगोई ने कहा था कि मैं शपथ लेने के बाद मीडिया को बताऊंगा कि मैंने क्यों राज्यसभा जाने का प्रस्ताव स्वीकार किया। मंगलवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा था कि यही जस्टिस गोगोई ने सीजेआई रहते रिटायरमेंट के बाद पद ग्रहण करने को संस्था पर धब्बा जैसा बताया था और आज खुद ग्रहण कर रहे हैं। हमें इस मामले में कानूनी पहलू पर जाने की जगह पब्लिक परसेप्शन पर ध्यान देना चाहिए। हमें सोचना चाहिए कि इससे ज्यूडिशियल सिस्टम को लेकर जनता में क्या संदेश जा रहा है।

बतौर सीजेआई सुनाए थे कई अहम फैसले

रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अयोध्या मामले के अलावा, असम एनआरसी, राफेल, सीजेआई ऑफिस और आरटीआई के दायरे में जैसे कई ऐतिहासिक फैसले दिए। गोगोई अपने साढ़े 13 महीनों के कार्यकाल के दौरान कई विवादों में भी रहे। उन पर यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप भी लगे, लेकिन उन्होंने उन्हें कभी भी अपने काम पर उसे हावी नहीं होने दिया। वह बाद में आरोपों से मुक्त भी हुए। गोगोई उन 4 जजों में भी शामिल थे, जिन्होंने रोस्टर विवाद को लेकर ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।

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