आॅक्सीजन की कमी से यूपी में फिर मरे 49 बच्चे

Update: 2017-09-04 14:55 GMT

उत्तर प्रदेश के राम मनोहर लोहिया राजकीय अस्पताल में आॅक्सीजन की कमी से हर 14 घंटे में एक बच्चे के मरने की खबर आई है...

फर्रुखाबाद। अभी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में पिछले महीने 48 घंटे के अंदर 65 बच्चों के दम तोड़ने की घटना ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि अब योगी राज में एक ऐसी ही घटना फिर सामने आयी है।

यह मामला उत्तर प्रदेश फर्रुखाबाद में सामने आया है। यहां डॉ. राम मनोहर लोहिया राजकीय संयुक्त चिकित्सालय में एक महीने के दौरान तकरीबन 49 बच्चों की मौत आॅक्सीजन और दवाओं की कमी के चलते होने की खबर है।

जांच रिपोर्ट में भी साफतौर पर एक महीने के दौरान इतने बड़े पैमाने पर नौनिहालों की मौत की वजह ऑक्सीजन व दवाओं की कमी के साथ—साथ इलाज में लापरवाही बतायी जा रही है।

इस मामले में अब तक प्रशासन ने कदम उठाते हुए फर्रुखाबाद के डीएम और सीएमओ का ट्रांसफर कर दिया है। हालांकि पुलिस ने इस मामले में सीएमएस, सीएमओ और लोहिया अस्पताल के कुछ डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया है।

पर यहां मुख्य सवाल यह उठता है कि हमारा प्रशासन ऐसे मामलों में इतना नाकारा साबित क्यों हो रहा है, क्या आम लोगों के जीवन की कीमत शासकों—प्रशासकों की नजर में कुछ नहीं है।

पुलिस के मुताबिक इतने बड़े पैमाने पर बच्चों की हुई मौत के बारे में जब पीड़ित परिजनों से बात की गई तो परिजनों ने साफतौर पर कहा कि उनके बच्चों की मौत की वजह आॅक्सीजन की कमी है। हालांकि कुछ परिजनों ने यह भी माना कि दवाओं और इलाज के दौरान डॉक्टरों ने लापरवाही बरती, जिससे कई बच्चे असमय काल के गाल में समा गए।

हालांकि लोहिया अस्पताल में एक माह में 49 बच्चों की मौत के मामले में सीएमओ, सीएमएस तथा कुछ डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के विरोध में डॉक्टर खुलकर सामने आ गए हैं। विरोधस्वरूप डॉक्टरों द्वारा ओपीडी छोड़े जाने की भी खबर है।

वहीं बच्चों की मौतों के मामले में अतंरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित रहे गोरखुपर मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान जनवरी से लेकर 31 अगस्त तक 1250 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें सिर्फ अगस्त में मरने वाले बच्चों की संख्या 31 अगस्त तक 325 थी. गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में अगस्त में हुई 325 लोगों की मौत पिछले तीन सालों 2014, 2015 और 2016 में हुई मौतों से कम है। 

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