प्रधानमंत्री मोदी उस संपादक के फॉलोवर जो कर्नाटक में झूठी खबरें फैलाकर करा रहा था दंगे की तैयारी

Update: 2018-03-29 22:53 GMT

कर्नाटक में कांग्रेस है सत्ता में मई में होने हैं चुनाव, बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए भाजपा के मोहरे ने की ये घिनौनी हरकत ताकि हिंदू—मुस्लिम झगड़ा फिर शुरू हो और चुनावों में बीजेपी करे उसे कैश

ट्वीटर पर इस फेक न्यूज की फैक्ट्री को प्रधानमंत्री समेत कई भाजपा नेता करते हैं फॉलो, बस एक्सीडेंट में घायल जैन मुनि के बारे में बताया मुस्लिमों ने की है एक हिंदू संत की ऐसी हालत..

दिल्ली। कर्नाटक में चुनावों की घोषणा हो चुकी है, वहां 12 माई को मतदान की तिथि घोषित कर दी गई है, साथ ही बनने लगा है चुनाव जीतने के लिए सांप्रदायिक माहोल चुनावों की तिथि सामने आते ही धर्म विशेष को साम—दाम—दंड—भेद अपनाकर बदनाम करने का तरीका अपनाया जाने लगा है।

इस बार मुस्लिमों के खिलाफ जहर फैलाने के लिए आरोपित है एक वेब एडिटर। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक वेब पोर्टल पोस्टकार्ड के संपादक महेश विक्रम हेगड़े ने जैन मुनि पर मुस्लिमों द्वारा कथित हमले की खबर पोस्ट की थी, जिसे भाजपा नेताओं और समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया था। कहा जा रहा है कि भाजपा के इशारे पर पोस्टकार्ड ने कर्नाटक में मुस्लिमों के खिलाफ माहौल बनाने के लिए यह खबर प्लांट की थी।

गौरतलब है कि पोस्टकार्ड न्यूज समाचार पोर्टल ने एक घायल जैन मुनि का फोटो ट्वीट करते हुए लिखा है कि कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार में कोई भी सुरक्षित नहीं है। पोस्टकार्ड डॉट कॉम के संपादक महेश विक्रम हेगड़े ने वेबसाइट पर यह फेक न्यूज जोरशोर से चलाई थी। पोस्ट में लिखा गया था, बेंगलुरु में एक जैन मुनि पर कुछ मुस्लिम युवकों द्वारा जानलेवा हमला किया गया। घायल जैन मुनि की फोटो वाली खबर को हजारों लोगों ने शेयर किया, जिससे मुस्लिमों के खिलाफ एक माहौल बनना शुरू हो गया था।

मगर जब संप्रदाय विशेष यानी मुस्लिमों ने इस पोस्ट को झूठा ठहराते हुए जांच की मांग की तो पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। जांच में सामने आया कि जिस जैन मुनि को मुस्लिमों द्वारा पीटा जाना कहकर सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा था वह असल में कनकपुरा में एक एक्सीटेंड में घायल हुए थे। इस बात की पुष्टि जांच में भी हो चुकी है।

आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए पुलिस ने इस मामले में हेगड़े को गिरफ्तार कर लिया है। हेगड़े के खिलाफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 66ए, आईपीसी की धारा 153ए, 120 और 34 के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है। हेगड़े पर आईपीसी की धारा 153ए के तहत धार्मिक समूहों के बीच नफरत भड़काने, धारा 295ए के तहत जान—बूझकर किसी की भावनाएं आहत करने और धारा 120बी के तहत क्रिमिनल कॉस्पिरेसी का मामला दर्ज किया गया हे।

गौरतलब है कि पोस्टकार्ड के संपादक हेगड़े पर पहले भी फेक न्यूज प्रचारित—प्रसारित करने के आरोप लग चुके हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि भाजपा समर्थक हेगड़े को हमारे प्रधानमंत्री मोदी तक ट्वीटर पर फॉलो करते हैं।

जांच कर रही पुलिस ने भी स्वीकारा कि फेक न्यूज के जरिए कर्नाटक में नाव से पहले राज्य में साम्प्रदायिक माहौल बनाने की कोशिश के बतौर फेक खबरों को प्रचारित किया जा रहा था।

महेश हेगड़े की गिरफ्तारी से बीजेपी के माथे पर जरूर बल पड़े हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि कनार्टक में जल्द ही चुनाव होने हैं। बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा ने हेगड़े की गिरफ्तारी के बाद ट्वीट करते हुए महेश विक्रम की गिरफ्तारी पर राज्य की कांग्रेस सरकार की जमकर लताड़ लगाई।

ख्यात वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के अनुसार भाजपा नेता ने जो धारा 66 ए के तहत गिरफ्तार की जानकारी सोशल मीडिया पर दी वह पूरी तरह गलत है। पोस्टकार्ड न्यूज़ संस्थापक महेश विक्रम हेगडे को केआईपीसी की धारा 153ए, 295ए और 120बी के तहत गिरफ्तार किया गया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के प्रयासों से संबंधित है, वहीं धारा 295ए विचारधाराओं को अपमानित करने से संबंधित और आईपीसी की धारा 120 बी में आपराधिक साजिश का उल्लेख मिलता है।

मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक हेगडे का पोस्टकार्ड न्यूज समुदायों के ध्रुवीकरण करने के लिए और स्पष्ट रूप से झूठी खबरों के लिए कुख्यात है। पोस्टकार्ड न्यूज के लिए भाजपा के वरिष्ठ सदस्यों ने तक बार-बार प्रचार किया है। पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे राज्य जहां गैर-भाजपा सरकारें हैं, वहां फेक न्यूज को आमजन के बीच सच की तरह प्रचारित किया जा रहा है।

गौरतलब है कि नवंबर 2017 में एक कथित अपमानजनक पोस्ट के लिए पोस्टकार्ड न्यूज के संपादक के के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। हेगड़े को प्रधानमंत्री मोदी तक फॉलो करते हैं, क्योंकि हेगड़े की पोस्टें भाजपा के समर्थन और आमजन के बीच वैमनस्यता फैलाने का काम करती हैं।

राजनीतिक विश्लेषक इस घटना के सामने आने के बाद कहने लगे हैं कि अब जबकि कर्नाटक में चुनावों की तारीख घोषित की जा चुकी है और भविष्य में इस तरह की और भी कई वेबसाइटें सामने आनी शेष हैं। एलान हो चुका है तो आने वाले समय में पोस्टकार्ड की तरह कई कथित फेक न्यूज़ सामने आ सकती है।

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