राजस्थान की मेवाड़ यूनिवर्सिटी में कश्मीरी छात्रों से मारपीट, पीड़ित छात्र बोले किया जाता है हमारे साथ भेदभाव
चित्तौड़गढ़ के मेवाड़ विश्वविद्यालय में चार कश्मीरी छात्रों पर हमला, एक की हालत गंभीर, अस्पताल में भर्ती, छात्रों ने लगाया भेदभाव का आरोप...
धारा 370 खत्म करने के बाद राजस्थान में कश्मीरी छात्रों के साथ मारपीट के दो मामले आ चुके हैं सामने, हालांकि देशभर में कश्मीरियों के उत्पीड़न की खबरें हैं आम...
जनज्वार। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के मेवाड़ विश्वविद्यालय में 22 नवंबर को 4 कश्मीरी छात्रों बिलाल अहमद, इश्फाक अहमद कुरैशी, मोहम्मद अली और ताहिर माजिद की बुरी तरह पीटा गया। इस हमले में तीन छात्रों को चोटें आई हैं, जबकि ताहिर माजिद गंभीर रुप से घायल हो गए। हालांकि पुलिस प्रशासन ने आरोपी हमलावर छात्रों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। आरोपी बिहार के रहने वाले बताए जा रहे हैं।
दरअसल पूरा मामला एंट्री पास को लेकर हुआ। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कश्मीरी छात्रों को तो एंट्री पास दे दिया था, लेकिन बिहार के छात्राओं को एंट्री पास नहीं दिया, जिसके कारण बिहार के नाराज छात्रों ने कश्मीरी छात्रों के साथ लाठी डंडों से मारपीट शुरू कर दी। पुलिस ने आरोपी छात्रों खिलाफ धारा 323, 334 और 341 के मामला दर्ज किया और उनकी गिरफ्तारी की। बिहार मूल के गिरफ्तार छात्रों को जमानत पर उसी दिन रिहा कर दिया गया।
घटनाक्रम के मुताबिक, एक कश्मीरी छात्र को यूनिवर्सिटी से गेट पास मिल गया, लेकिन बिहार के रहने वाले एक लड़के को नहीं मिल पाया. इसके चलते बहस शुरू हो गई। इसके बाद बिहार के छात्रों ने मिलकर रात में कश्मीरी छात्रों पर चाकू और रॉड से हमला कर दिया। उन्हें आतंकी कहकर बुलाने की बात भी सामने आयी। पीड़ित कश्मीरी छात्रों ने कहा कि उनके साथ यूनिवर्सिटी में अक्सर भेदभाव किया जाता है।
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जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट एसोसिएशन के महासचिव मुरस्ल ने जनज्वार से हुई बातचीत में कहा कि इस घटना के बाद से हम सब परेशान हैं, क्योंकि जिस जगह पर शिक्षा दी जाती है वहां पर ऐसी घटना होना काफी निंदनीय है, जहां लोगों के साथ प्यार से मिल-जुलकर रहने की बात सिखाई जाती हो, वहां ऐसी घटना का होना प्रशासन के ऊपर सवाल उठाता है। हमले के बाद छात्र काफी डरे हुए हैं।
मुरस्ल ने आगे कहा, 'जब तक हम जम्मू कश्मीर के छात्रों को ये एहसास नहीं करायेंगे कि आप हममें से ही एक हैं, तब तक हम उनको अपने करीब नहीं ला पाएंगे, लेकिन छात्रों के साथ मारपीट करके हम लोग इनको अपने से दूर कर रहे हैं। हमले के बाद यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले बाकी कश्मीरी छात्र भी काफी डरे हुए हैं। अगर कश्मीर के छात्रों से कोई गलती हुई तो उन्हें समझाया भी जा सकता था, लेकिन मारपीट किसी भी समस्या का हल नहीं हैं।'
मुरस्ल ने पुलिस का भी आभार जताया और कहा कि स्थानीय पुलिस ने समय में पहुंचकर छात्रों को सुरक्षा दे दी थी, जिसको लेकर पुलिस प्रशासन और डीएसपी का शुक्रिया करते हैं। मुरस्ल आगे कहते हैं, जम्मू कश्मीर के छात्रों के साथ देश की हर यूनिवर्सिटी में भेदभाव किया जाता है। एडमिशन के दौरान छात्रों के साथ मिल-जुलकर रहा जाता है, लेकिन कॉलेज शुरू होने के बाद छात्र और कॉलेज प्रशासन कश्मीरी छात्रों के साथ भेदभाव करने लगते हैं।
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इस मामले को लेकर जनज्वार ने जब पुलिस से बातचीत की तो चित्तौड़गढ़ के सीओ बाबूलाल मिश्रा ने बताया कि चारों आरोपी छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया था और मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा, 'ये पूरी घटना एंट्री पास को लेकर हुई है। कश्मीर के छात्रों को एंट्री पास मिल गए थे, लेकिन बिहार के छात्रों को एंट्री पास नहीं मिले जिसके कारण वो गुस्सा हो गए और उन्होंने कश्मीर के छात्रों पर हमला कर दिया। इसमें तीन छात्रों को छोटी मोटी चोटें आई हैं और एक छात्र गंभीर रुप से घायल हो गया है। गंभीर रूपसे घायल छात्र को अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया। साथ ही आदिल नौमानी, महताब आलम और दो अन्य छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि आरोपी छात्रों को उसी दिन रात केा जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
इस घटना को लेकर पीड़ित कश्मीरी छात्र बिलाल ने जनज्वार को बताया, विश्वविद्यालय में 22 नवंबर को कुछ छात्रों ने हमारे ऊपर हमला कर दिया था। पूरा मामला आउट पास को लेकर था, जिसमें विश्वविद्यालय के ही कुछ छात्रों ने डंडों से हमको मारना शुरू कर दिया।
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बिलाल ने आगे कहा, 'हमारे एक साथी भी गंभीर रूप से घायल हुआ जिसे बाद में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इसके बाद मेस में जाने के दौरान कुछ छात्रों ने हमारे ऊपर आपत्तिजनक बातें भी कहीं जिसे हमनें नजरअंदाज कर दिया, लेकिन अब पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले को संभाल लिया है और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।'
मेवाड़ यूनिवर्सिटी में कश्मीर के रहने वाले करीब 30 छात्र पढ़ते हैं। पहले भी कई बार इन पर हमले की खबर सामने आई चुकी है। अनुच्छेद 370 को बेअसर किया जाने के बाद राजस्थान में कश्मीरी छात्रों पर हमले की यह दूसरी घटना है।