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शिक्षा

देहरादून के दो कॉलेजों ने किया कश्मीरी छात्रों के लिए एडमिशन बैन

Prema Negi
18 Feb 2019 5:24 AM GMT
देहरादून के दो कॉलेजों ने किया कश्मीरी छात्रों के लिए एडमिशन बैन
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BFIT के प्रिंसिपल कहते हैं, एबीवीपी, विहिप और बजरंग दल के क़रीब 400-500 लोगों ने दोपहर के 1 बजे से लेकर शाम 5 बजे कॉलेज के सामने उग्र धरना-प्रदर्शन किया। वे लगातार हमसे कश्मीरी छात्रों को संस्थान से निकालने की मांग कर रहे थे...

जनज्वार। जम्मू—कश्मीर के पुलवामा में आत्मघाती आतंकी हमले में शहीद हुए 42 जवानों के बाद देश में गुस्से और तनाव का माहौल बना हुआ है। इसकी आंच कश्मीरियों को भी जलाने लगी है। कथित रूप से कुछ कश्मीरियों द्वारा पुलवामा हमले को सही ठहराया गया था, जिसके बाद से सभी कश्मीरियों को निशाने पर लिया जा रहा है। इसी बात को आधार बना छात्रों के भारी विरोध के चलते देहरादून के दो कॉलेजों ने किसी भी कश्मीरी छात्र को अगले सत्र से कॉलेज में एडमिशन न देने की लिखित में घोषणा कर दी है।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित चिटकारा विश्वविद्यालय के एक कश्मीरी छात्र तहसीन गुल ने पुलवामा हमले को अंजाम देने वाले फिदायीन आतंकी आदिल अहमद की फेसबुक पोस्ट पर कमेंट किया था। उसने लिखा था- अल्लाह आपको सलामत रखे। इस पोस्ट के सामने आने के बाद 16 फरवरी को उसे देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के लिए 28 फरवरी तक जेल भेज दिया गया। उसके साथ रहने वाले दो अन्य कश्मीरी छात्रों को भी पुलिस ने अपनी हिरासत में लिया है।

इसके अलावा बेंगलुरु की एक शिक्षिका और गुवाहाटी में कॉलेज प्रोफेसर को भी देश विरोधी टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है तो जयपुर में पैरामेडिकल की 4 कश्मीरी छात्राओं को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (निम्स) ने निलंबित कर दिया है। इन छात्राओं पर आरोप है कि ये छात्राएं कथित रूप से पुलवामा हमले का जश्न मना रही थीं और मैसेजिंग ऐप पर देश विरोधी मैसेज भेज रही थीं।

इन्हीं तमाम घटनाओं की खबरें सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचने के बाद कश्मीरियों के खिलाफ देश में बहुत उग्र माहौल बन चुका है। तमाम दक्षिणपंथी संगठन कश्मीरियों पर हो रही हिंसा और ज्यादती में अहम रोल निभा रहे हैं। इन्हीं के दबाव में देहरादून के दो कॉलेजों ने ऐलान कर दिया है कि वे किसी भी कश्मीरी को अगले सत्र में एडमिशन नहीं देंगे। तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए कश्मीरी कॉलेज छोड़कर अपने घर लौटने लगे हैं।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक देहरादून में तमाम हिंदुवादी संगठन और डीएवी पीजी कॉलेज के छात्रसंघ ने कश्मीरी छात्रों पर राष्ट्र-विरोधी गतिविधि में शामिल होने का आरोप लगाते हुए मांग की है कि उन्हें तत्काल बाहर किया जाए, इसके लिए शिक्षण संस्थानों के बाहर धरना प्रदर्शन भी ​किया गया।

छात्रों के भारी विरोध को देखते हुए डीएवी पीजी कॉलेज के छात्रसंघ को लिखे एक समझौता पत्र में बाबा फरीद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (BFIT) के प्रिंसिपल डॉक्टर असलम सिद्दिकी ने 15 फरवरी को लिखा कि 'छात्रसंघ के अध्यक्ष, हम आपको सुनिश्चित कराते हैं कि यदि राष्ट्र-विरोधी गतिविधि में कोई भी कश्मीरी छात्र शामिल पाया जाता है तो उसे शिक्षण संस्थान से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। नए सत्र में किसी भी कश्मीरी छात्र को दाखिला नहीं दिया जाएगा।'

टाइम्स आफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक ​एबीवीपी, विहिप और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों ने इस दौरान किए धरना—प्रदर्शन में लगभग 12 कश्मीरी छात्रों को पीटा भी। डरकर कश्मीरी छात्रों ने खुद को हॉस्टल के कमरों और जहां वे किराए पर रहते हैं वहां बंद कर लिया। अंदाजन देहरादून में अलग-अलग कॉलेजों में कश्मीर के 1000 से भी ज्यादा छात्र पढ़ाई करते हैं।

इंडियन एक्सप्रेस को BFIT के प्रिंसिपल डॉक्टर असलम सिद्दिकी ने बताया कि, “ABVP, VHP और बजरंग दल के क़रीब 400-500 लोगों ने दोपहर के 1 बजे से लेकर शाम 5 बजे कॉलेज के सामने धरना—प्रदर्शन किया। उन्होंने हमसे कश्मीरी छात्रों को संस्थान से निकालने की मांग की। मैंने उन्हें समझाया कि पढ़ाई के बीच में उन्हें संस्थान से बाहर निकालना उनके करियर के लिए घातक होगा, मगर बावजूद उसके ये उग्र छात्र नहीं मान रहे थे ​तो आखिरकार कश्मीरी विद्यार्थियों की सुरक्षा के मद्देनजर मुझे लिखित में देना पड़ा कि अगले सत्र से कश्मीरी छात्रों का दाखिला हमारे कॉलेज में नहीं किया जाएगा।' गौरतलब है कि BFIT में कश्मीर के करीब 250 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं, सवाल है कि इस तरह कॉलेज कश्मीरियों से हाथ पीछे खींच लेंगे, तो ये आखिर कहां जाएंगे।

न सिर्फ BFIT बल्कि देहरादून के ही Alpine College of Management and Technology के डायरेक्टर एसके चौहान ने भी डीएवी छात्रसंघ को कश्मीरी छात्रों का दाखिला अगले सत्र से अपने संस्थान में नहीं करने के संबंध में लिखित दिया है। इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक ही एसके चौहान ने बताया, 'मैंने लिखित में डीएवी छात्रसंघ से कहा है कि अगले सत्र से हम कश्मीरी छात्रों का दाखिला अपने इंस्टीट्यूट में नहीं लेंगे। गर राज्य के सभी इंस्टीट्यूट कश्मीरी छात्रों के दाखिले का बहिष्कार करते हैं तो हमें भी ऐसा करना पड़ेगा।' हालांकि चौहान ने यह भी बताया कि यह फैसला संस्थान ने चेयरमैन अनिल सैनी की हामी के बाद लिया है।

सवाल है कि कुछ की कथित देश विरोधी हरकतों का खामियाजा क्या पूरे कश्मीर को भुगतना पड़ेगा। जब कश्मीर हमारा है तो कश्मीरी हमारे क्यों नहीं का सवाल भी उठ रहा है। अभी तक तो सिर्फ दो कॉलेजों ने ऐलान किया है कि हम अगले सत्र से कश्मीरियों को एडमिशन नहीं देंगे, मगर हिंदुत्ववादियों के दबाव में अगर सारे कॉलेज—विश्वविद्यालय ऐसा निर्णय ले लेंगे तो आखिर कहां जाएगी कश्मीरी की ये अगली पीढ़ी, कौन सा विकास होगा उसका, क्या ये परिस्थितियां जिम्मेदार नहीं होगी उनके किसी आतंकवादी गुट में शामिल होने के लिए।

जानकारी के मुताबिक 15 फरवरी को कई दक्षिणपंथी छात्र संगठनों—संगठनों ने अल्पाइन कॉलेज के सामने कश्मीरियों को निकाल बाहर करने के लिए उग्र विरोध प्रदर्शन किया था और मांग की थी कि शिक्षण संस्थान में पढ़ने वाले 300 कश्मीरी छात्रों को तत्काल बाहर निकाल किया जाए।

इंडियन एक्सप्रेस को डीएवी छात्रसंघ अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिष्ट जो कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हैं, ने बताया, 'हम अभी तक सभी शिक्षण संस्थानों से संपर्क नहीं कर पाए हैं, लेकिन हम ऐसा करेंगे और उनसे लिखित में आश्वासन लेंगे कि अगले सत्र से वे किसी भी कश्मीरी छात्र का दाखिला किसी भी ​कीमत पर न करें।' वहीं बजरंग दल नेता विकास वर्मा कहते हैं, 'हम उत्तराखंड के शिक्षण संस्थान में किसी भी कश्मीरी मुस्लिम का दाखिला नहीं चाहते हैं, क्योंकि ये लोग भारत-विरोधी गितिविधियों में शामिल हैं।'

ताज्जुब की बात यह है कि जहां तमाम दक्षिणपंथी संगठनों और एबीवीपी ने कश्मीरियों को निकाल बाहर करने के लिए कमर कसी है, वहीं राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आश्वस्त करते हैं कि उत्तराखंड में पढ़ने वाले किसी भी कश्मीरी छात्र को भयभीत होने की आवश्यक्ता नहीं है। जो भी कानून-व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अब जबकि दो कॉलेज अगले सत्र से कश्मीरियों के लिए एडमिशन बैन कर चुके हैं, मुख्यमंत्री महोदय कब कोई कार्रवाई करेंगे समझ से परे है। यह भी कि क्या भाजपा उत्तराखण्ड में किसी बड़ी अनहोनी के इंतजार में है।

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