खदान धंसने से 3 महिलाओं समेत एक बच्ची की मौत

Update: 2018-01-10 09:57 GMT

दो जून की रोटी के जुगाड़ का लालच अक्सर खींच लाता है गरीब महिलाओं को प्रतिबंधित कोयला खदान तक... 

भोपाल। मध्य प्रदेश के बैतूल जनपद स्थित पाथाखेड़ा में स्थित डब्ल्यूसीएल की एक कोयला खदान ने 4 जिंदगियां लील लीं। खदान धंसने से 3 महिलाओं समेत 1 नाबालिग बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई।

जानकारी के मुताबिक बैतूल जिले के सारणी स्थित पाथाखेड़ा में 7 जनवरी के दिन में वर्षों से बंद डब्ल्यूसीएल की कोयला खदान धंस गई। जब यह खदान धंसी उस समय हादसे की शिकार हुई तीनों महिलाओं और बच्ची कोयला खोद रही थीं। हालांकि इस हादसे में एक महिला को बचा लिया गया, मगर उसकी हालत भी काफी गंभीर है। 

जिस महिला संध्या डेहरिया की जान खदान में धंसने के बाद भी बचा ली गई, वह मिट्टी में फंस गई थी। उसने बचाने के लिए गुहार लगाई, तो आसपास मौजूद लोग हादसे की जगह पर पहुंचे और महिला को बचा लिया। जबकि हादसे में जान गंवा चुकी महिलाओं और बच्ची पूरी तरह से मिट्टी में समा गईं थी।

हालांकि घायल संध्या डेहरिया को बचाने के बाद वहां मौजूद लोगों ने पुलिस को घटना की जानकारी दी। मगर तब तक चारों लोगों की सांसें थम चुकी थी। जेसीबी मशीन की मदद से उनकी लाशों को धंसी खदान में से निकाला गया।

गौरतलब है कि शासन—प्रशासन ने उस खदान में खुदाई पर रोक लगाई हुई है, जहां हादसा हुआ है। मगर बावजूद इसके चोरी—छिपे लोग यहां कोयला खोदने आती रहती हैं।

बंद पड़ी खदानों के बाहर लोगों को चेतावनी देने के लिए बोर्ड भी लगाए गए हैं, मगर दो जून की रोटी का जुगाड़ करने के लालच में गरीब परिवारों की महिलाएं यहां अक्सर कोयला खोदने आती हैं।

हादसे की भेंट चढ़ने वालों में 11 वर्षीय बच्ची तायल देशमुख, 45 वर्षीय शीलू चौरसिया, 32 वर्षीय मीना शिवपाल और 35 वर्षीय नानीबाई पारे शामिल हैं।

मगर असल सवाल यह है कि ऐसी घटनाएं होती ही क्यों हैं। ऐसे मामलों में प्रशासन क्या कदम उठाता है, आखिर ऐसे क्या इंतजामात किए जाते हैं कि ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाई जा सके। क्यों नहीं सरकार द्वारा इन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जाता कि इन गरीबों की रोजी—रोटी का जुगाड़ हो जाए और ये अपनी जान को हथेली पर लेकर चोरी—छुपे कोयला खोदने न आएं।

घटना के बाद बैतूल के कलेक्टर शशांक मिश्र कहते हैं, हादसे में मरे लोगों के परिवार वालों को बीपीएल सहायता के तहत 20-20 हजार रुपए दिए गए हैं। हम बंद खदानों की फेसिंग कराने के लिए डब्ल्यूसीएल से बात करेंगे, जिससे ऐसे हादसों पर रोक लगाई जा सके।'

कलेक्टर साहब कहते हैं कि बंद खदानों की फेसिंग कराई जाएगी। आखिर प्रशासन किस बात का इंतजार कर रहा है यह कदम उठाने से पहले, क्या इस हादसे का इंतजार था या फिर ऐसे ही कुछ हादसे और हो जाएं तब शासन—प्रशासन की नींद खुलेगी और इस दिशा में सख्त कदम उठाए जाएंगे।

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