ये लो- मोदी सरकार में 8 गुना ज्यादा आतंकवादी बने कश्मीर के युवा

Update: 2018-02-08 14:51 GMT

मोदी के सरकार में आने के बाद  बढ़ा है आंकड़ा, 2013 में था मात्र 16

मोदी सरकार में कश्मीर के युवाओं ने सबसे ज्यादा आतंकवादी संगठनों को ज्वाइन किया है। यह आंकड़ा किसी और ने नहीं बल्कि भाजपा की साझेदारी वाली जम्मू-कश्मीर सरकार ने विधानसभा में जारी किया है।

इस आंकड़े से यह साबित हो गया है कि कश्मीर में आतंकवाद रोकने में तो दूर, युवाओं को आतंकवादी बनने से रोकने के मोर्चे पर भी केंद्र की मोदी सरकार फेल हुई है।

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक सवाल का जवाब देते हुए विधानसभा में लिखित रूप से यह आंकड़ा पेश कि 2015 में 66 कश्मीरी युवाओं, 2016 में 88 और 2017 में 126 कश्मीरी युवाओं ने आतंकी गुटों को ज्वाइन किया है।

गौरतलब है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अली मोहम्मद ने लिखित में जम्मू—कश्मीर सरकार से एक सवाल पूछा था कि घाटी में कितने युवा अब तक आतंकी बन चुके हैं। इसी के जवाब में महबूबा मुफ्ती ने यह आंकड़ा विधानसभा में रखा।

इससे यह बात साबित होती है कि 2017 में कश्मीरी युवाओं ने पिछले सात सालों की तुलना में सबसे ज्यादा आतंकी संठनों को ज्वाइन किया है।

वरिष्ठ पत्रकार दिबांग ने इस पर ट्वीट कर कहा कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने चिंताजनक आंकड़े पेश किए। उन्होंने कहा 2016 के मुकाबले 2017 में 44% ज्यादा स्थानीय युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए। 2016 में आंकड़ा 88 था, 2017 में 126. 2014 के बाद बढ़ा ये आंकड़ा, 2013 में था सिर्फ 16, इसे रोकना चाहिए।

हालांकि कश्मीरी युवाओं की बढ़ती आतंकवादी संगठनों में संख्या को जम्मू-कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद सिरे से नकारते हैं। उनके मुताबिक ये आंकड़े भ्रामक हैं, इतनी बड़ी संख्या में कश्मीरी युवा आतंकवादी संगठनों में नहीं पहुंच रहे हैं।

मीडिया में आ रही खबरों और आंकड़ों को सामने रखें तो यह बात साबित होती है कि बुरहान के एनकाउंटर के बाद बड़ी तादाद में कश्मीरी युवा आतंकवादी संगठनों में भर्ती हो रहे हैं। गौरतलब है कि 8 जुलाई, 2016 को सिक्युरिटी फोर्स ने हिजबुल मुजाहिदीन के कथित आतंकी बुरहान वानी को एनकाउंटर में मार गिराया था। बुरहान को कश्मीर का पोस्टर ब्वॉय माना जाता था।

इस मुद्दे पर सिक्युरिटी अफसरों की राय है कि 1990 के दशक और आज के आतंकवाद में बदलाव आया है। पहले की बजाय आज के युवाओं में आतंकवाद की विचारधारा कहीं ज्यादा मजबूत हुई है। उनकी मानें तो घाटी में एक तरह से पैन-इस्लामिज्म का ट्रेंड रहा है। इसमें युवा आतंकवाद का रास्ता इसलिए पकड़ते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे मारे जा सकते हैं। (फोटो प्रतीकात्मक)

Similar News