स्वतंत्र पत्रकार रिजवाना तबस्सुम ने की आत्महत्या, पिता ने दर्ज कराया आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा

Update: 2020-05-04 09:32 GMT

रिजवाना तबस्सुम के पिता अजीजुल हकीम द्वारा एफआईआर में कहा गया है कि बार-बार मेरी बेटी को शमीम नोमानी तंग करता था, जिससे परेशान होकर मेरी बेटी ने आत्महत्या की है....

जनज्वार, वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी से तमाम डिजि​टल मीडिया माध्यमों में स्वतंत्र पत्रकारिता करने वाली रिजवाना तबस्सुम ने आज 4 मई की सुबह आत्महत्या कर ली। आत्महत्या की घटना आज सुबह साढ़े दस बजे उस समय सामने आयी, जब पुलिस ने परिजनों के सामने रिजवाना के कमरे का दरवाजा तोड़ा।

गौरतलब है कि रिजवाना की आत्महत्या का संदेह परिजनों को उस समय हुआ जब रिजवाना दिन के 10 बजे तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकलीं। कई बार दरवाजा खटखटाने के बाद जब रिजवाना ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो परिजनों को संदेह हुआ और पुलिस को फोन किया।

मौकास्थल पर पहुंचकर पुलिस ने रिजवाना के कमरे का दरवाजा तोड़ा तो कमरे में रिजवाना की पंखे से लटकती लाश नजर आयी। जानकारी के मुतााबिक रिजवाना जिस कमरे में सोईं थीं उसी कमरे से पुलिस को अखबार का एक टुकड़ा मिला है है, जिस पर लिखा है, शमीम नोमानी इसके लिए जिम्मेदार है।

रिजवाना के पिता अजीजुल हकीम ने लोहता थाना पहुंचकर इसी अखबार के टुकड़े के आधार पर बनारस के ही रहने वाले शमीम नोमानी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज करा दिया है। शमीम नोमानी पुलिस की गिरफ्त में हैं, जिनके खिलाफ बनारस के लोहता थाने में धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) का मुकदमा पुलिस ने दर्ज कर लिया है।

photo : Rizwana tabssum FB

रिजवाना तबस्सुम के पिता अजीजुल हकीम द्वारा दर्ज करायी गयी एफआईआर में कहा गया है कि बार-बार मेरी बेटी को शमीम नोमानी तंग करता था, जिससे परेशान होकर मेरी बेटी ने आत्महत्या की है।

सोशल मीडिया पर आ रही जानकारी के मुताबिक रिजवाना के पिता अजीजुल हकीम ने जिस शमीम नोमानी को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, वह समाजवादी पार्टी से जुड़ा बताया जा रहा है। अभी पुलिस उसके बारे में भी जांच कर रही है।

रिजवाना की आत्महत्या के आरोपी शमीम नोमानी इस मामले में किस तरह संलिप्त हैं, इस बारे में पुलिस ने कुछ भी कहने से इनकार किया है। पुलिस का कहना है कि जांच में ही साफ हो सकेगा कि आत्महत्या का कारण असल में क्या है? पुलिस इस मामले में जुड़े सभी पहलुओं की जांच में जुटी है।

रिजवाना पिछले कुछ महीनों से जनज्वार के लिए फ्रीलांस कर रही थीं। उनकी हाल में 30 अप्रैल को तेज बारिश और ओलावृष्टि से तरबूज-खरबूज के किसानों की लाखों की फसलें बर्बाद ​जनज्वार में रिपोर्ट छपी थी। जनज्वार के अलावा वह कुछ अन्य मीडिया माध्यमों में भी लिखती थीं।

नको जानने वाले पत्रकार नित्यानंद गायेन श्रद्धांजलि देते हुए लिखते हैं, 'रिज़वाना से हमारी मुलाक़ात बनारस में हुई थी जब वहां काज़ की ओर से ग्रामीण पत्रकारिता पर वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ का भाषण था। उनसे मिलकर या उनकी रिपोर्ट पढ़ कर कभी लगा नहीं कि वह आत्महत्या भी कर सकती हैं। किंतु दबाव जब दिमाग पर हावी हो जाता है तो शायद कुछ ऐसा करने पर इंसान मजबूर हो जाता है।'

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न्यूज़क्लिक वेबसाइट से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार मुकुल सरल रिजवाना की आत्महत्या को लेकर कुछ गड़बड़ी की आशंका जाहिर करते हुए अपने फेसबुक पर लिखते हैं, ' तमाम वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखन कर रहीं हमारी साथी रिज़वाना तबस्सुम के बारे में आत्महत्या की ख़बर आ रही है...रिज़वाना बेहद बहादुर लड़की थीं, बेहद सुलझी हुई समझदार रिपोर्टर। उनकी ख़बरें इसकी गवाही देती हैं। उन्होंने रात ही मुझे 9.27 पर कोरोना में बनारस के हाल पर स्टोरी भेजी। आज मैंने उसे दूसरे साथी को एडिट करने को कहा तो यह ख़बर मिली। मुझे यक़ीन नहीं कि इतनी बहादुर लड़की आत्महत्या कर सकती है। अगर ये सच है तो ज़रूर कुछ रहस्य है, ज़रूर कुछ गड़बड़ है।'

 

रिजवाना तबस्सुम की आत्महत्या की खबर इसलिए भी चौंकाती है, क्योंकि कल प्रेस दिवस पर उन्होंने अपने फेसबुक पर जो स्टेटस लिखा था उससे कहीं से भी आभास नहीं होता कि आत्महत्या जैसा कदम उठाने वाला इंसान ऐसा स्टेटस लिख सकता है, जिसमें समाज की चिंता निहित हो। रिजवाना अपने अंतिम स्टेटस में लिखती हैं, "यूएई यानि संयुक्त अरब अमीरात मध्यपूर्व एशिया में स्थित एक छोटा सा देश है। इस देश ने हमारे लिए, हमारे डॉक्टरों के लिए और हमारे देश के लिए जो किया है, उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए। कोरोना वायरस महामारी से मुकाबला कर रहे भारत की सहायता के लिए इस देश ने शनिवार को सात मीट्रिक टन चिकित्सीय सामग्री भारत भेजी। नई दिल्ली स्थित यूएई के दूतावास ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि विमान के जरिये भेजी गई सामग्री से लगभग सात हजार चिकित्सा कर्मियों के लिए सहायक होगी। एक तरफ हम अपने देश में हिन्दू-मुस्लिम करने पर लगे हुए हैं, मुस्लिमों से सब्जियाँ नहीं खरीदी जा रही है, मुसलमान कोरोना फैला रहे हैं, वही दूसरी तरफ एक मुस्लिम देश ही हमारी मदद कर रहा है, क्या हम उसकी मदद नहीं लेंगे? या उससे इलाज नहीं होगा?'

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सोशल मीडिया पर कई अन्य लोग भी रिजवाना की आत्महत्या की बातों पर यकीन करना मुश्किल बता रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि जो लड़की रात 10 बजे तक स्टोरी पर डिस्कस कर रही थी वो एकाएक खुदकुशी जैसा कदम कैसे उठा सकती है।

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