Begin typing your search above and press return to search.
उत्तर प्रदेश

तेज बारिश और ओलावृष्टि से तरबूज-खरबूज के किसानों की लाखों की फसलें बर्बाद

Manish Kumar
30 April 2020 5:56 PM IST
तेज बारिश और ओलावृष्टि से तरबूज-खरबूज के किसानों की लाखों की फसलें बर्बाद
x

अचानक तेज आंधी-तूफान के साथ हुयी बारिश और ओलों ने तरबूज—खरबूज किसानों के आंखों में ला दिये आंसू, लाखों का नुकसान होने से तबाह हुए किसान...

वाराणसी से रिजवाना तबस्सुम की रिपोर्ट

जनज्वार। कोरोना संकट के साथ बेमौसम बारिश किसानों पर कहर बनकर टूट रही है। पिछले सप्ताह का भीगा गेंहू अभी सूखा भी नहीं था कि मंगलवार 28 अप्रैल को अचानक तेज आंधी के साथ हुयी बारिश और ओले ने किसानों के आंखों में आंसू ला दिए। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अधिकांश किसानों के खेतों में गेहूं की फसल कटी हुई पड़ी है, तो कई जगह पर खेतों में सब्जियां तैयार हैं।

किसान अनिल कुमार बताते हैं, 'हम दो एकड़ जमीन पर तरबूज, खरबूज, शिमला मिर्च, खीरा और कई सब्जियों की खेती करते हैं, रात को अचानक से काफी तेजी से ओले पड़ने शुरू हो गए। करीब पाँच- पाँच सौ ग्राम के ओले पड़ रहे थे। लगभग बीस मिनट तक ओले पड़ते रहे। बीस मिनट बाद हमारी लाखों की फसल तबाह हो चुकी थी, तरबूज और खीरा ओले पड़ने से खेत में ही फट गए हैं, सब्जियों पूरी तरह से गल गई है। हमारा लाखों का नुकसान हो गया है। इतना कहते ही अनिल कुमार अपने तरबूज के खेत में ही सर पर हाथ रखकर बैठ जाते हैं आर सिसक-सिसक कर रोने लगते हैं।

यह भी पढ़ें- केवाइसी के नाम पर हजारों गरीबों के खाते बंद, जो भी दो-चार हजार बैंक में हैं उसे भी निकालना हुआ मुश्किल

निल कुमार चंदौली जिले के हैं। मंगलवार की शाम करीब पौने आठ बजे अचानक तेज हवाएं चलनी शुरू हुई, कुछ ही देर में आंधी के साथ बूंदा-बांदी शुरू हुई। इसी बीच ओलावृष्टि ने कहर बरपाना शुरू कर दिया। जिले के फिरोजपुर, पचफेड़िया और टकटकपुर गांव में खूब तांडव मचाया। करीब बीस मिनट तक जमकर ओले गिरे। सब्जियों के खेत करीब पौन फीट तक बर्फ से ढक गए। ओलों की मोटी चादर ने सब्जी उत्पादकों को कहीं का नहीं छोड़ा।

फिरोजपुर, पचफेड़िया और टकटकपुर के करीब सौ से अधिक किसान पूरी तरह तबाह हो गए हैं। तरबूज और खरबूज की खेती करने वाले मनोज मौर्य कहते हैं कि 'इतने महीने सेवा करने के बाद किसी तरह फसल तैयार होती है, जब फसल तैयार हो गई तो ओलावृष्टि की वजह सब पानी-पानी हो गया। अनिल कहते हैं कि मेरा लगभग 2 लाख रुपए का नुकसान हो गया है।

यह भी पढ़ें – 4 तारीख से अपने घरों को लौट सकेंगे लॉकडाउन में फंसे मजदूर, लेकिन इन शर्तों के साथ

सी जिले के एक अन्य किसान गुरुदेव कई सालों से करैला, बैगन और खीरा की खेती करते आ रहे हैं। गुरुदेव कहते हैं कि ऐसा ओला पड़ा कि सब तबाह हो गया, करैला पूरी तरह गल गया है, खीरा खेत में ही फट गया है, बैगन का पेड़ सड़ने जैसा हो गया है, कुछ भी नहीं बचा है, पूरी आजीविका ही तबाह हो गई है।

ब्जियों की फसल नुकसान के बारे में जब एसडीएम दीपू विनीत से बात की गई तो उन्होने बताया कि आज सुबह ही हम खेतों में गए थे, हम पता करवा रहे कि उनका इंश्योरेंस था या नहीं, और पता करवा रहे हैं कि कृषि विभाग से क्या लाभ दिलवाया जा सकता है। इसके लिए सर्वे करवा रहे हैं कि कितना नुकसान हुआ है, एक बार इस सभी चीजों की गणना हो जाये, उसके हिसाब से जो मुआवजा होगा वो दिला देंगे।

बुधवार 29 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में जमकर बारिश हुई, जिसमें गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ है। कहीं खेतों में रखा हुआ भूसा पूरी तरह भीग गया है, तो कहीं पर खेत में रख हुआ गेहूं का बोझा पूरी तरह डूब गया है। यहां के किसान राम प्यारे बताते हैं कि इस साल पूरे बरस मौसम खराब ही रहा, जब गेहूं की बुआई हुई थी तभी बारिश हो गई थी जिससे गेहूं की खेती बैठ गई थी, उसके बाद बेमौसम बारिश होती रही, इस बार गेहूं की फसल काफी खराब हुई है।

क अन्य किसान सुरेश कुमार बताते हैं कि 'लॉकडाउन का कहर कम था जो बारिश भी हो गया। सुरेश की गेहूं की कटाई हो गई है लेकिन अभी खेत से बोझा उठाया नहीं गया है। सुरेश कहते हैं कि 'बारिश से पूरा गेहूं भीग गया है अब दाना कमजोर और कला हो जाएगा, तौल भी कम हो जाएगा।'

यह भी पढ़ें – बिहार के 38 में से 29 जिलों में पहुंचा कोरोना, राज्य में तेजी से पांव पसार रही महामारी

रामचंद मौर्य के गेहूं के खेत की अभी कटाई नहीं हुई, तेज आई आधी बारिश की वजह से गेहूं का फसल लोट गया है, रामचंद कहते हैं कि 'भीगने से अब फसल को काटने में दिक्कत होगी, इंतज़ार करना पड़ेगा कि खेत सूख जाये, जब सूख जाएगा तो दाना अपने आप गिर जाएगा। रामचंद कहते हैं कि 'बारिश से जो नुकसान हो गया वो तो हो गया, अब गेहूं काटने में, बोझा बनाने में, उसे उठाने में पता नहीं कितना नुकसान होगा, क्या गेहूं बचेगा, क्या हम खाएँगे, क्या कमाएंगे पता नहीं कैसे अगली फसल की तैयारी करेंगे।

वाराणसी में जिला खाद्य विपणन अधिकारी अरुण कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि गेहूं की फसल पर मौसम का काफी प्रभाव पड़ा है, गेहूं के दाने कमजोर हो गए हैं। अधिकारी अरुण कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि इस साल वाराणसी में 69355 हेक्टेयर में जमीन में गेहूं की खेती हुई थी, इसकी उत्पादकता का अनुमान 36.48 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही है, लेकिन इतनी पैदावार हुई नहीं है, पैदावार कम हुई है। बेमौसाम बारिश की वजह से गेहूं के दाने छोटे हो गए हैं। पिछले साल के मुक़ाबले में इस साल गेहूं की उत्पादकता में लगभग 20 प्रतिशत की कमी दिख रही है।

Next Story

विविध