गांधी जयंती पर किसानों का लाठियों और गोलियों से मोदी सरकार ने किया स्वागत
भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले करीब 70 हजार किसान पहुंच रहे थे आज दिल्ली, लेकिन दिल्ली और यूपी की पुलिस ने रोक दिया यूपी बॉर्डर पर ही, स्वागत किया गोलियों, लाठियों और आंसू गैस के गोलों से....
जनज्वार। महात्मा गांधी के नाम पर अहिंसा दिवस मनाने वाले मोदी की किसानों को लेकर निर्दयता, नवटंकी और ढोंग इतना बड़ा है कि शांतिपूर्ण ढंग से अपनी 16 सूत्री मांगों के साथ दिल्ली पहुंच रहे किसान यात्रा का स्वागत पुलिस ने लाठी—डंडे और आंसू गैस के गोले दागकर किया है।
दुनियाभर में शांति के प्रतीक पुरुष कहे जाने वाले महात्मा गांधी की जयंती पर किसानों का मोदी सरकार द्वारा किया गया आज के स्वागत न सिर्फ भारतीय किसान और नौजवान याद रखेंगे, बल्कि पूरी दुनिया याद रखेगी। यह भी याद रखेगी कि जब 2 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी गांधी के नाम पर शांति के मर्सिए पढ़ रहे थे तब उनकी पुलिस उनके ही सरकार के आदेश पर देश के किसानों पर लाठियां और गोलियां बरसा रही थी।
किसान क्रांति यात्रा के नाम से भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले दिल्ली पहुंच रहे किसानों की मुख्य मांग थी कि उनकी फसलों की लागत के हिसाब से फसलों का मूल्य बढ़ाया जाए, बिजली सस्ती हो और किसान लोन सरकार माफ करे।
मोदी सरकार की सहयोगी पार्टी जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने इस पुलिसिया रवैए का विरोध करते हुए कहा कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली के राजघाट आ रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन पर लाठियां बरसाईं और आंसू गैस के गोले दागे।
इसके अलावा किसान चाहते थे कि किसानों का अरबों रुपए डकार कर बैठे चीनी मिलों से भुगतान के लिए सरकार दबाव बनाए और बकाया शीघ्र दिलवाए।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला मोदी सरकार से सवाल करते हैं कि क्या किसान अपना दर्द कहने अपनी सरकार के पास नहीं आ सकता, फिर कहां जाएगा। इस सीजन में गन्ना किसान चीनी मिलों को करीब 135 अरब रुपए का गन्ना देंगे। ऐसे में वह चाहते थे मील सुनिश्चित करें कि वे पिछला बकाया दें और चालू सीजन का भुगतान भी समय से कर दें।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे मोदी सरकार की वादाखिलाफी का परिणाम कहा है। अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार ने अपना वादा नहीं पूरा किया तो यह प्रदर्शन बहुत स्वाभाविक है। हम किसानों की मांगों का पूरा समर्थन करते हैं।
70 हजार किसानों की यह रैली साबित करती है कि मोदी सरकार ने हर साल जो दो करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात की थी, उसकी हकीकत क्या है। महत्वपूर्ण सवाल यह है कि किसान आखिर अपनी मांगों को लेकर सरकार के पास नहीं आएंगे तो कहां जाएंगे।