गोधरा कांड के किसी दोषी को नहीं मिलेगी फांसी की सजा

Update: 2017-10-09 16:29 GMT

गुजरात नरसंहार से पहले हुए गोधरा ट्रेन कांड के दोषियों को 2011 में फांसी की सजा मिली थी जिसमें हाईकोर्ट ने उम्र कैद में बदल दिया है...

अहमदाबाद, जनज्वार। दो साल तक ट्रायल कोर्ट के मुकदमें पर चली हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद आज हाईकोर्ट ने सजा कम कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि जिन विशेष निचली अदालत ने जिन 11 दोषियों को फांसी की सजा दी थी, उनको अब फांसी की सजा नहीं होगी। हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया है।

इसके अलावा गोाधरा कांड के जिन 20 दोषियों को उम्र कैद की सजा मिली है, उस सजा को हाईकोर्ट ने जस का तस रखा है। साथ ही उच्च न्यायालय ने इस मामले में 63 लोगों के बरी किए जाने को भी सही बताया है, जिसमें से एक मुख्य अभियुक्त की मौत 2013 में हो चुकी है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार को इस घटना में मरने वालों के परिवार को 10 लाख का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है.

अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि राज्य सरकार और रेल अधिकारी 27 फरवरी 2002 को कानून व्यवस्था बहाल करने में असमर्थ रहे. 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन के पास ही फैजाबाद से आ रही साबरमति ट्रेन में आग लगा दी गयी थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गयी थी। मरने वालों में सभी के सभी राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के कार्यकर्ता पदाधिकारी थे जो फैजाबाद से संघ के कार्यक्रम से लौट रहे थे। अगले दिन से इसकी प्रतिकिया में गुजरात नरसंहार हुआ जिसमें करीब 1 हजार से अधिक मुस्लिमों की मौत हुई।

1 मार्च 2011 को विशेष अदालत द्वारा गोधरा कांड के दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। बचाव पक्ष के वकील आईएम मुंशी ने इस फैसले को अजीब करार दिया था। गुजरात नरसंहार से ज़ुड़े वकील मुकुल सिन्हा ने भी मीडिया उस समय आए फांसी के फैसले को गलत माना था।

 

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