बेटी जिंदा होती तो आज उसका पुलिस भर्ती का मेडिकल दिलवाने जाता : गोल्डी के पिता

Update: 2018-12-28 04:54 GMT

जिस प्रकार उन्नाव मामले में भाजपा विधायक सेंगर को बचाने में सरकार ने खुलकर हिमायत की, उसने अपराधियों के हौसले इस कदर बढ़ा दिए हैं कि कानपुर में पुलिसकर्मी तक की बेटी के साथ बलात्कार कर थाने के सामने फेंक दिया जाता है और हत्यारे हत्या के बाद परिजनों को अपने कुकर्म बताने की हिमाकत करने लगे हैं...

लखनऊ, जनज्वार। उत्तर प्रदेश के उन्नाव स्थित मौरावां की ग्रामसभा अकोहरी के मजरा सेवकखेड़ा की रहने वाली गोल्डी की 24 दिसंबर की सुबह चाकू से गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने गांव के ही सतीश कुमार व सुभाष के खिलाफ हत्या की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। इस मामले में मुख्य हत्यारोपी सतीश कुमार उर्फ मुलायम को गिरफ्तार कर लिया गया है।

जानकारी के मुताबिक हत्यारा सतीश और मारी गई छात्रा गोल्डी त्रिवेणी काशी इंटर कॉलेज बिहार के छात्र थे। गोल्डी बारहवीं और सतीश ग्यारहवीं में पढ़ता था। दोनों ने एक साथ पुलिस भर्ती का फार्म भी डाला था, जिसमें गोल्डी सफल हुई थी जबकि सतीश फेल। भर्ती परीक्षा में फेल होने के बाद से ही सतीश गोल्डी पर शादी करने का दबाव डाल रहा था। शादी का जबरन दबाव डालने पर गोल्डी ने उसे भगा दिया, जिसका बदला उसने गोल्डी की जान लेकर लिया। 24 दिसंबर की सुबह जबगोल्डी शौच के लिए घर से निकली थी, उसी समय घर लौटने पर पहले से ही मौजूद सतीश ने उसकी गर्दन पर चाकू से ताबड़तोड़ वार कर ​उसकी जान ले ली।

छात्रा की निर्ममता से हत्या के बाद रिहाई मंच ने परिजनों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब, सचेन्द्र प्रताप यादव, शकील कुरैशी, विनोद यादव, रविश आलम, जगदीश और राजीव यादव शामिल थे।

मारी गई छात्रा गोल्डी के परिजन कहते हैं, 9 बजे के करीब मालूम चला कि उनकी बेटी घर से थोड़ी दूर सीताराम बाग में समाधि के पास बेहोश पड़ी है। उसके पिता शिवकुमार और मां भाग कर गए तो देखा कि उनकी बेटी लहूलुहान हालत में पड़ी थी। धारदार हथियार से गर्दन और हाथ पर हमला किया गया था। जहां से खून निकल रहा था। उन्होंने खून रोकने की कोशिश की पर खून रुकने का नाम नहीं ले रहा था।

गोल्डी के पिता बताते हैं उनके दो बेटे और एक बेटी गोल्डी थी। बेटी बहुत होनहार थी। बड़ा बेटा और उसकी पत्नी पुलिस में है। छोटा बेटा और बेटी भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। बेटी की पुलिस में नियुक्ति के लिए 27 दिसंबर को मेडिकल था, अगर होती तो लखनऊ लेकर जाते। भाई धीरज बताते हैं कि 2 साल से वो और उनकी बहन गुरुबख्शगंज कोचिंग करने के लिए जाते थे।

गोल्डी के चाचा पुत्तू लाल बताते हैं कुछ लोगों ने बाद में बताया कि चिल्लाने की आवाज आई थी, पर लोग इसका अंदाजा न लगा सके कि इतना बड़ा हादसा हो गया है। वे बताते हैं कि 9 बजे के करीब हत्यारोपी सतीश ने उनको फोन किया था। बुआ रामप्रीत कहती हैं कि दिनदहाड़े बेटी को मार डाला। गर्दन से लेकर पूरा शरीर खून से लथपथ था। उसने खुद को बचाने की पूरी कोशिश की, उसकी हथेली इस हालत में जख्मी हो गई।

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब के मुताबिक उन्नाव हो या आगरा पूरे सूबे में अपराधियों के हौसले इतने बढ़ गए हैं कि हत्या करने के बाद वो परिजनों तक को फोन कर इस बात का एहसास करा रहे हैं कि उनका कुछ नहीं होने वाला है। जिस प्रकार उन्नाव मामले में भाजपा विधायक सेंगर को बचाने में सरकार ने खुलकर हिमायत की, उसने अपराधियों के हौसले इस कदर बढ़ा दिए हैं कि कानपुर में पुलिसकर्मी तक की बेटी के साथ बलात्कार कर थाने के सामने फेंक दिया जाता है।

उन्होंने कहा कि आसिफा हो या संजलि बेटी बेटी होती है। धर्म जाति की नजर से देखने वाली राजनीति जब आसिफा के बलात्कार आरोपियों के पक्ष में जुलूस निकालती है तो उसे इस बात को समझना चाहिए कि बलात्कार को बढ़ावा देने की यह जेहनियत उनकी बेटियों के लिए खतरनाक होगी। इसी जेहनियत ने पिछले दिनों बुलंदशहर में सुबोध कुमार की हत्या कर दी।

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