गोरखपुर विश्वविद्यालय में एक हफ्ते से नहीं आ रहा पानी

Update: 2018-01-20 11:32 GMT

मुख्यमंत्री योगी के शहर स्थित गोरखपुर विश्वविद्यालय के कैंपस, हॉस्टल और शिक्षक कॉलोनी में पिछले एक सप्ताह से पानी का संकट है और प्रशासन ने कहा है कि एक हफ्ते और करना पड़ेगा इंतजार, पहली बार नहीं है पानी को लेकर संकट, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने में प्रशासन को लग जाते हैं 15—20 दिन

गोरखपुर से विभूति नारायण ओझा की रिपोर्ट

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्रावासों व शिक्षक कालोनी हीरापुरी में बीते गुरूवार से पेयजल संकट बना हुआ है। छात्रावासियों और शिक्षकों में इसको लेकर खासा आक्रोश व्याप्त है।

मालूम हो कि गोरखपुर विश्वविद्यालय में चार पुरूष छात्रावास हैं। जिनमें नाथ चंद्रावत,विवेकानंद,गौतम बुद्ध और संत कबीर छात्रावास हैं। इन हास्टलों में करीब एक हजार से अधिक छा़त्र रहते हैं। इसी परिसर में शिक्षकों के आवास भी हैं, जिसे हीरापुरी कालोनी के नाम से जाना जाता है। विश्वविद्यालय के सैकडों शिक्षक सपरिवार इस कालोनी में रहते हैं। पिछले कुछ महीनों से जलापूर्ति की समस्या इस पूरे परिसर में बनी हुई है।

विश्वविद्यालय का तकनीकि विभाग जुगाड़ से काम चला रहा था। हालांकि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने कुछ सप्ताह पूर्व ही औपचारिक बैठक कर लगातार हो रही बाधित जलापूर्ति के संदर्भ में कुलपति प्रो वीके सिंह से शिकायत भी की थी। कुलपति ने तकनीकि विभाग को तुरंत पानी की व्यवस्था दुरूस्त करने का आदेश भी दिया था। लेकिन कुलपति के आदेश का कोई असर नहीं हुआ।

बीते 11 जनवरी को विश्वविद्यालय के हीरापुरी कालोनी में वर्षों पूर्व लगा पंप पूरी तरह खराब हो गया। पता चला कि जिस बोरिंग से पानी सप्लाई होती है वह पाइप ही फट गई है। लिहाजा नया बोरिंग करना ही समस्या का स्थाई समाधान है। ऐसे में लगभग एक सप्ताह का समय लगने की संभावना है।

अचानक जलापूर्ति ठप होने से छात्रावासियों और शिक्षकों में काफी आक्रोश है। बढ़ती नाराजगी को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन टैंकर से पानी उपलब्ध करवा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि इस भीषण सर्दी में हम लोग बाल्टी लेकर पानी के लिए घूमेंगे या छात्रों को पढाने के लिए विभागों में जाएंगे।

वहीं दूसरी तरफ छात्रावासों में रहने वाले छात्रों का साफ कहना है कि जब हम लोगों की परिक्षाएं सन्निकट हैं तब पानी का रूक जाना भयानक है। इस संकट ने यह साबित कर दिया है कि विश्वविद्यानय प्रशासन छात्रों की समस्याओं को लेकर कत्तई गंभीर नहीं है।अधिकांश छा़त्रावासी अपने घर जा चुके हैं जो हैं वे किसी तरह टैंकर के पानी से काम चला रहे हैं तथा परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं।

छात्रों में काफी निराशा है। उनकी समस्याओं को स्वर देने के लिए उनके पास इस बार छात्रसंघ भी नहीं है। सत्र की शुरूआत में छात्रसंघ चुनाव की मांग करने पर छात्रों पर बुरी से लाठीचार्ज कराया गया था। ऐसे में देखना यह है कि हजारों छात्र और शिक्षक कब तक पानी के लिए परेशान होते हैं। टैंकर और बोतल के पानी के भरोसे कैसे काम चलाते हैं। (फोटो प्रतिकात्मक)।

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