सेंसरशिप: दिल्ली दंगे पर दो TV चैनलों ने RSS और पुलिस की आलोचना, मोदी सरकार ने लगाया बैन
दिल्ली दंगों में रिपोर्टिंग से नाराज़ केंद्र सरकार ने मलयालम के इन दोनों टीवी चैनलों पर दो दिनों का प्रतिबंध लगा दिया है. सात पन्नों के आदेश में कहा गया है कि चैनलों ने रिपोर्टिंग के दौरान ग़ैर-ज़िम्मेदार रवैया दिखाया...
जनज्वार। केंद्र सरकार ने दिल्ली के उत्तर पूर्वी जिलों में दंगों के दौरान "ग़ैर-ज़िम्मेदार रिपोर्टिंग" के लिए मीडिया वन टीवी और एशियानेट न्यूज़ टीवी समाचार चैनलों पर पूरे भारत में किसी भी प्लेटफॉर्म पर प्रसारण पर 48 घंटे के लिए रोक लगा दी है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार, 25 फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा के संबंध में इन दो चैनलों द्वारा प्रसारित की गई रिपोर्टों को इस तरीके से दिखाया गया था, जिसमें पूजा स्थलों पर हमला होना बताया गया था और ‘एक विशेष समुदाय’ का पक्ष लिया था.
यह कहा गया कि 25 फरवरी को मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी के स्पष्ट उल्लंघन में चैनलों को केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के प्रोग्राम कोड का सख्ती से पालन करने की सलाह दी गई थी. , सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की कवरेज को लेकर केरल के दो न्यूज चैनलों के प्रसारण पर शुक्रवार को 48 घंटे की रोक लगाते हुए कहा कि इस तरह की खबर से ‘साम्प्रदायिक विद्वेष बढ़ सकता है'. ये दो चैनल हैं मीडिया वन और एशियानेट न्यूज टीवी. उन्हें शुरूआत में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और उनके जवाब दाखिल करने के बाद मंत्रालय ने पाया कि उन्होंने केबल टीवी नेटवर्क (नियमन) कानून, 1995 के तहत निर्धारित कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन किया है.
मंत्रालय ने देशभर में किसी भी प्लेटफार्म से दोनों चैनलों के प्रसारण एवं पुनर्प्रसारण पर छह मार्च शाम साढ़े सात बजे से आठ मार्च शाम साढ़े सात बजे तक के लिए रोक लगा दी है. दोनों चैनलों को जारी आदेशों में रिपोर्टिंग का जिक्र किया गया है जो नियमों के ख़िलाफ़ हैं और जब स्थिति काफी संवेदनशील है, ऐसे में इस तरह की रिपोर्टिंग देश भर में साम्प्रदायिक विद्वेष को बढ़ा सकता है.
मीडिया वन के खिलाफ दिए गए आदेश में कहा गया कि चैनल की रिपोर्टिंग "पक्षपातपूर्ण" लग रही थी क्योंकि यह "जानबूझकर सीएए [नागरिकता संशोधन अधिनियम] समर्थकों की बर्बरता पर केंद्रित था." आदेश में कहा गया है, "यह चैनल आरएसएस पर भी सवाल उठाता है और दिल्ली पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाता है."
,आगे कहा गया है, "चैनल दिल्ली पुलिस और आरएसएस के प्रति आलोचनात्मक प्रतीत हो रहा है." कार्यक्रम के दौरान एंकर / संवाददाता द्वारा की गई टिप्पणी का हवाला देते हुए सरकार ने कहा, "इस तरह के प्रसारण से हिंसा भड़क सकती है और क़ानून और व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने में ख़तरा पैदा हो सकता है. ख़ासकर जब स्थिति पहले से ही अत्यधिक अस्थिर है और हत्याओं और रक्तपात की रिपोर्ट के साथ क्षेत्र में दंगे होने का आरोप लगाया गया है..."
मंत्रालय ने 28 फरवरी को दोनों चैनलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, उनसे पूछा था कि अपलिंकिंग/डाउनलिंकिंग दिशानिर्देशों के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई, अनुमति की शर्तों और केबल अधिनियम की धारा 20 के प्रावधानों के अनुसार उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए.
3 मार्च, मंगलवार को चैनलों से प्राप्त जवाब से असंतुष्ट होकर सरकार ने शुक्रवार शाम निषेध आदेश जारी किए जिसमें कहा, "इस तरह की महत्वपूर्ण घटना की रिपोर्टिंग करते समय, चैनलों (एशियानेट न्यूज़ टीवी और मीडिया वन टीवी) को अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए थी और इसे संतुलित तरीके से रिपोटिंग करनी चाहिए थी. इस तरह की रिपोर्टिंग से देश भर में सांप्रदायिक विद्वेष बढ़ सकता है, जब स्थिति अत्यधिक अस्थिर हो...मंत्रालय ने सभी समाचार चैनलों को नियमों के प्रावधानों का पालन करने के लिए समय-समय पर सलाह जारी की है."
आदेश में आगे कहा गया है "ऐसी घटनाओं के आधार पर समाचार की रिपोर्टिंग करते समय सावधानी और जिम्मेदारी की उम्मीद की जाती है. हालांकि, यह स्पष्ट है कि चैनल ने कोड कार्यक्रम का पालन नहीं किया है और ग़ैरज़िम्मेदारी दिखाई गई है. मंत्रालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि एशियानेट न्यूज़ टीवी और मीडिया वन टीवी चैनल ने केबल के तहत निर्धारित प्रोग्राम कोड के नियम 6 (1) (सी) और (ई) का और टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा के संबंध में टेलीकास्टिंग द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन किया है."
निषेध 6 मार्च, 2020 शाम 7.30 बजे से लागू किया गया और यह 8 मार्च, 2020 को शाम 7.30 बजे तक प्रभावी होगा.