केजरीवाल की पार्टी में एक और विद्रोह

Update: 2017-07-17 08:38 GMT

पहले प्रतिपक्ष नेता का पद छोड़ा, अब फूलका केजरीवाल की पसंद के राष्ट्रपति को नहीं देंगे वोट

दिल्ली से स्वतंत्र कुमार की रिपोर्ट

आम आदमी पार्टी की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आये दिन कभी दिल्ली, कभी पंजाब में पार्टी में कुछ न कुछ चलता रहता है। इस बार फिर से पंजाब से आप के लीडर एचएस फूलका सुर्खियों में हैं।

पहले पंजाब के लीडर ऑफ अपोज़िशन के पद से इस्तीफा देने के बाद अब फूलका ने राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार मीरा कुमार को वोट न देने की घोषणा कर पार्टी के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। क्योंकि पार्टी मीरा कुमार को समर्थन देने का फैसला कर चुकी है।

फूलका ने पहले 84 के दंगों का केस न लड़ने देने के दिल्ली बार कौंसिल के फैसले को देखते हुए पंजाब के लीडर ऑफ अपोजिशन के पद से इस्तीफा दे दिया था। क्योंकि दिल्ली बार कॉउंसिल ने फूलका के लीडर ऑफ अपोज़िशन के पद को लाभ का पद बताते हुए फैसला फूलका पर 84 के केस लड़ने पर बैन लगा दिया था।

अबकी बार फूलका ने कांग्रेस की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार को वोट न देने का फैसला करके पार्टी से बिलकुल अलग लाइन खींच दी है।

84 के दंगों के लिए एसआईटी का गठन करने वाली आप को भी फूलका ने एक तरह से कठघरे में खड़ा कर दिया है। फूलका ने पार्टी के लिए संकट खड़ा कर दिया है। फूलका ने मीरा कुमार को सपोर्ट न करने का फैसला कर अपनी ही पार्टी को ऐसा लपेटा है, जिसका पंजाब में ये मेसेज जा रहा है कि आप उस पार्टी का साथ देने जा रही है जिसके माथे पर 84 के दंगों का कलंक है।

फूलका ने ऐसा क्यों किया कि जिस पार्टी ने उन्हें विधायक बनाया उस पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर। इसके पीछे अलग—अलग राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

गौरतलब है कि आप के 2014 के लोकसभा चुनाव में 4 सांसद आये थे, चारों पंजाब से थे। लेकिन पार्टी के साथ दो ही रहे। बाकी दो पार्टी से निलंबित हैं। पंजाब में आप में बगावत शुरू से ही रही है। फूलका उसी कड़ी का हिस्सा है्ं या उन्हें दिल्ली छोड़कर चंडीगढ़ जाना रास नहीं आ रहा, इसका पता आने वाले दिनों में चलेगा।

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