हिमाचल में कांगड़ा के चाय उत्पादक किसानों को भारी नुकसान, कोलकाता नहीं भेज पा रहे पत्तियां
चाय की पत्तियां तैयार है। किसान इसे कोलकत्ता तक नहीं ले जा रहे हैं। उनके सामने समस्या यह है कि यदि जल्दी ही इस दिशा में सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा...
जनज्वार ब्यूरो, शिमलाः अक्सर हम तनाव में होते हैं तो एक कप चाय पी कर रिलेक्स होने की कोशिश करते हैं। लेकिन हिमाचल के किसानों के लिए चाय रिलेक्स होने की नहीं बल्कि तनाव की वजह बन रही है।
लॉकडाउन की वजह से उनका माल अटक गया है। अप्रैल के पहले सप्ताह से पत्तियों को तोड़ने का काम तो शुरू हो गया। अब दिक्कत यह है कि तैयार माल कोलकत्ता तक पहुंचे कैसे?
चाय उत्पादक रजनीश ठाकुर ने बताया कि फसल काटने में ही देरी हो गई। इस वजह से उनका कम से कम 30 प्रतिशत तक नुकसान हो गया है। क्योंकि चाय की पत्तियों को तोड़ने का सबसे अच्छा समय मार्च से अप्रैल के बीच में होता है। लॉकडाउन की वजह से तब कटाई का काम नहीं हो पाया था। इस वजह से चाय के पेड़ झाड़ियां जैसे हो गए हैं।
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पत्तों को यदि समय पर तोड़ा न जाये तो उनकी गुणवत्ता खराब हो जाती है। इसका असर चाय के स्वाद पर भी आता है।
किसानों ने फोन पर जनज्वार को बताया कि पहले ही उन्हें बहुत कम मजदूरों के साथ पत्ते तोड़ने की अनुमति दी गई है। क्योंकि खेत में सोशल डिस्टेंस मैंटेन करना है। अब वह किसान तो यह काम कर सकते हैं, जिन्होंने मजदूरों को फार्म में घर बना कर दे रखे हैं। छोटे किसान इस स्थिति में क्या करें? वह कहां से मजदूर लेकर आएंगे। इसलिए उन्हें खुद ही पत्तियां तोड़ने का काम करना पड़ रहा है। इस पर भी उन्हें अधिकारी आकर बार-बार तंग करते हैं।
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किसान महेंद्र शर्मा व सूरज सिंह ठाकुर ने बताया कि यहां से तैयार पत्तियों को कोलकत्ता लेकर जाना पड़ता है। वहां इनकी बिक्री होती है। अब क्योंकि ट्रक बंद है।ऐसे में उनके सामने दूसरी समस्या यह आ रही है कि कैसे वह तैयार माल को वहां तक भिजवाएं। किसानों को इस बात का भी डर सता रहा है कि यदि समय पर चाय कोलकत्ता नहीं पहुंची तो दाम भी कम हो सकते है। यदि ऐसा हुआ तो उन्हें दोहरा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
किसानों ने बताया कि यह मुश्किल वक्त है। उन्हें सरकार कुछ रियायत दे। इसके साथ ही कोलकत्ता तक फसल ले जाने की सुविधा भी प्रदान करें। इस तरह की सुविधा से उनका नुकसान कुछ कम हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि समय पर चाय नहीं बिकती तो उन्हें तो आर्थिक नुकसान होगा ही इसके साथ ही मजदूरों को भी पैसा नहीं दे पायेंगे। इस तरह से हर किसी को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। सूरज ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दूसरे फेज में कृषि क्षेत्र में जो रियायत दी है, इसमें ही उन्हें यह रियायत भी दी जाये कि वह अपनी फसल को कोलकत्ता तक ले जा पाए।