तमिलनाडु में बारिश का भारी कहर, एक दर्जन से ज्यादा की मौत

Update: 2017-11-04 18:31 GMT

बाढ़ जैसे हालातों ने चेन्नई में दिसंबर 2015 में आई भयावह बाढ़ की यादें ताजा कर दी हैं, तब बाढ़ के चलते 500 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी...

चेन्नई। तमिलनाडु में हो रही भारी बारिश से हजारों लोगों की जिंदगी अस्त—व्यस्त हो गई है। अब तक बारिश के चलते तकरीबन 12 लोगों के मरने की खबर है।

हजारों लोगों ने राहत शिविरों में शरण ली हुई है। तमिलनाडु सरकार ने इस बात की पुष्टि की है कि बारिश से लगभग 12 लोग मर चुके हैं। भारी बारिश के कारण 600 करोड़ के प्रोजेक्ट प्रभावित हुए हैं।

मौसम विभाग ने भारी बारिश की आशंका पहले ही व्यक्त की थी। अभी भी मौसम विभाग ने 6 नवंबर तक तमिलनाडु के तटीय इलाकों में भारी बारिश होने की घोषणा की है। पिछले 5—6 दिनों से राज्य के विल्लुपुरम, तिरुवल्लुर और तिरूवरूर जैसे जिलों में लगातार बारिश हो रही है।

रेल और सड़क यातायात इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ है। भारी बारिश को देखते हुए 31 अक्तूबर से ही स्कूल और कॉलेजों में छुट्टी कर दी गई थी। विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। बारिश के चलते कई जगहों पर बिजली आपूर्ति भी ठप्प पड़ी हुई है।

अब राज्य सरकार ने चेन्नई में 12 हजार आईटी कंपनियों समेत अन्य संस्थानों में भी छुट्टी के आदेश जारी किए हैं। बारिश से हुए नुकसान का आकलन करते हुए राज्य सरकार ने कहा है कि बारिश से 600 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट रुक गए हैं। चेन्नई में पिछले 24 घंटे में 18.3 सेमी बारिश हुई, जो 1 दिसंबर 2015 की बाढ़ के बाद एक दिन में सबसे ज्यादा बारिश है। कांचीपुरम में सबसे ज्यादा 62.7 सेमी बरसात दर्ज की गई। कई तटीय जिलों में तो बाढ़ के हालात बन चुके हैं।

कल 3 नवंबर को हालांकि बारिश थोड़ी थमी थी, मगर शाम से फिर बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। राज्य सरकार ने लोगों से घरों में ही रहने की अपील की है। बारिश का सबसे ज्यादा असर नगापत्तनम जिले पर हुआ है जहां के सैकड़ों घरों में पानी घुस गया है और हजारों एकड़ में लगी धान की फसल और नमक वाला क्षेत्र जलमग्न हो गया है। जिले के तकरीबन 10,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर या राहत शिविरों में पहुंचा दिया गया है।

राज्य में बने बाढ़ के हालातों के मद्देनजर मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने भारी बारिश वाले स्थानों का दौरा कर कहा कि सरकार इससे निपटने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है। सरकार कोशिश कर रही है कि जन—धन हानि कम से कम हो।

राज्य में बन रहे बाढ़ जैसे हालातों ने चेन्नई में दिसंबर 2015 में आई भयावह बाढ़ की यादें ताजा कर दी हैं, तब बाढ़ के चलते 500 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। शहर से पानी को हटाने में महीनों लगे थे। हालांकि 2015 में हुई मूसलाधार बारिश का कारण अलनीनो रहा, मगर चेन्नई में हुआ अनियंत्रित शहरी विकास, जल निकासी की ठीक से व्यवस्था न होने के कारण आम जनता को महीनों तक इसका असर झेलना पड़ा था।

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