अंधविश्वास की हाईट : बिहार और यूपी में शिव और नंदी की मूर्तियों ने पिया दूध
पीलीभीत और वाराणसी के बाद शामली के शिव मंदिरों में भगवान शिव की सवारी नंदी महाराज के दूध पीने का मामला सामने आया। शामली के अलग-अलग मंदिरों में नंदी के दूध पीने की खबर फैली, जिसके बाद मंदिरों में भक्तों का तांता लग गया...
जनज्वार। बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में मूर्तियों के दूध पीने का अंधविश्वास एक बार फिर बाहर निकल आया है। इससे पहले 2012 में गणेश की मूर्ति के दूध पीने का अंधविश्वास फैला था। अब शिवजी और नंदी की मूर्ति के दूध पीने की अफवाह फैल गई है, जिसके बाद मंदिर में लोगों की भीड़ जुटने लगी। अब इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश में एक बार फिर मूर्तियों के दूध पीने का सिलसिला शुरू हो गया। शुरुआत बिहार के सीतामढ़ी से हुई जो उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में फ़ैल गयी।
सीतामढ़ी के सुरसंड पथ के मोहनपुर चौक स्थित मंदिर में शिव व नंदी की मूर्ति के दूध पीने की बात पर मंदिर के पास हजारों लोगों की भीड़ जुट गई। सूचना मिलने पर भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस बल मंदिर परिसर में पहुंच गया। मंदिर के पुजारी ने कहा कि अचानक शनिवार की देर शाम अफवाह फैली की शिव मंदिर में स्थित शिव व नंदी की मूर्ति दूध पी रहे हैं। थोड़ी देर में हजारों भक्त मंदिर पहुंचकर मूर्ति को दूध पिलाने का प्रयास करने लगे।
बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में भी कई मंदिरों में यही नजारा देखने को मिला। पीलीभीत और वाराणसी के बाद शामली के शिव मंदिरों में भगवान शिव की सवारी नंदी महाराज के दूध पीने का मामला सामने आया। शामली के अलग-अलग मंदिरों में नंदी के दूध पीने की खबर फैली, जिसके बाद मंदिरों में भक्तों का तांता लग गया। लोगों का कहना था कि यह एक चमत्कार है।
शामली के झिंझाना स्थित शिव मंदिर में नंदी महाराज के दूध पीने की खबर फैलने पर शिवभक्तों की मंदिर के बाहर तक लाइन लग गयी। लोग नंदी महाराज को दूध पिलाने के लिए उत्सुक दिखे। शामली जनपद के अलग-अलग जगहों से दूध पीने की खबर आ आई। दूध पीने की खबर शहर में आग की तरह फैली और सैकड़ों की संख्या में लोग दूध और चम्मच लेकर मंदिर पहुंच गए।
गौरतलब है कि वर्ष 1995 की 21 सितंबर को भी देशभर में अफवाह फैली थी कि भगवान गणेश की मूर्तियां दूध पी रही हैं। तब भी गणेश मंदिरों पर भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा था। हर मंदिर के बाद अगले दो दिन तक इस चमत्कार की अफवाह के कारण भक्तों की भीड़ इकट्ठा होती रही थी। बाद में पता चला कि तांत्रिक चंद्रास्वामी के आश्रम से ये अफवाह उड़ाई गई थी।
इसके बाद भी साल 2012 में राजस्थान के कई मंदिरों में भगवान गणेश की मूर्ति के दूध पीने की अफवाह फैलने के बाद वहां भी मंदिरों में भक्तों की भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हो गई थी। साल 2015 में प्रयागराज में भी अफवाह फैली थी कि नंदी की मूर्ति दूध ग्रहण कर रही है। इसके बाद मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा था।
वैज्ञानिकों कहते हैं जहां तक मूर्तियों के दूध पीने का अंधविश्वास है तो उसके पीछे कारण होता है मूर्तियों में तमाम पोर्स या छोटे-छोटे छिद्र होते हैं, जिससे लिक्विड अंदर की ओर सक हो जाता है। न सकिंग पोर्स के पास कोई भी लिक्विड या दूध जब लाया जाता है तो वो इन्हीं छिद्रों से होता हुआ मूर्ति के अंदर चला जाता है। इस बार भी ऐसा ही कुछ हुआ होगा, जिसके लिए पुजारी ने ही सबसे पहले अफवाह फैलाई कि मूर्ति दूध पी रही है, जिसके बाद भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।