हिंडाल्को की मनमानी के चलते लोग हो रहे दमा और टीवी के मरीज

Update: 2018-03-12 10:47 GMT

कंपनी कमा रही प्रतिमाह करोड़ों का मुनाफा, आम लोगों के लिए सिर्फ धूल भरी जिंदगी, कोलाहल, बीमारी, दुर्घटना, मौत और प्रदूषण की सौगात...

रांची, जनज्वार। आदित्य बिरला समूह की कंपनी हिंडालको गुमला और लोहरदगा जिले में बॉक्साइट माइनिंग का काम वर्षों से करती आ रही है। कंपनी द्वारा अपने लीज क्षेत्र में खनन कार्य किया ही जाता है, वन भूमि में भी अवैध रूप से खनन कर उसे वैध करने का काम खनन क्षेत्र के निवासियों से कंपनी कराती है। कपंनी द्वारा नियमों को ताक पर रखा जा रहा है।

सिर्फ खनन क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि बॉक्साइट रेलवे साइडिंग लातेहार जिले के चंदवा में भी नियमों को ताक पर रख कर काम किया जा रहा है। कंपनी द्वारा इस साइडिंग में खान एवं खनिज विकास एवं विनियमन एमएमडीआर एक्ट-1957 का भी उल्लघंन कर बॉक्साइड का भंडारण किया जा रहा है। स्थानीय लोगों के द्वारा कई बार इस संबंध में शिकायत करते के बाद भी कंपनी पर कार्रवाई करने से जिला प्रशासन लातेहार बचते आ रहा है। आमजन के स्वास्थ्य से खेला जा रहा है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

चंदवा के पर्यावरण निवारण संघर्ष समिति के मनोज चौधरी कहते हैं, हिंडाल्को कंपनी द्वारा वर्षों से नियम विरूद्ध एवं मनमाने ढंग से बॉक्साइड साइडिंग का संचालन कर बॉक्साइड लोडिंग एवं अनलोडिंग का कार्य किया जा रहा है। इससे कंपनी जहां प्रतिमाह करोड़ों रुपये का मुनाफा कमा रही है, वहीं हम आम चंदवावासियों को धूल भरी जिंदगी, कोलाहल, बीमारी, दुर्घटना, मौत और प्रदूषण की सौगात दे रही है।

कंपनी साइडिंग संचालन में सरकार द्वारा बनाये गये पर्यावरण संरक्षण के नियम कानून को ताक पर रख कर कार्य कर रही है। रेलवे साइडिंग में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986, जल प्रदूषण अधिनियम-1974, वायू प्रदूषण अधिनियम-1981 मोटर व़्सहेकील एक्ट-1988 आदि नियम कानूनों का घोर उल्लघंन हो रहा है। इसके बाद भी लातेहार जिला प्रशासन कंपनी पर मेहरबान है।

बॉक्साइड रेलवे साइडिंग के कारण जलस्रोत भी हो रहे प्रदूषित
कंपनी के द्वारा रेलवे साइडिंग के पास सॉलिड वेस्ट पदार्थ को निपटाने की कोई व्यसवस्था नहीं की गयी है। सॉलिड वेस्ट साइडिंग वाले स्थान पर ही छोड़ दिया जाता है। वह बारिश के दिनों में बहता हुआ जगराहा डैम में चला जाता है। बता दें कि साइडिंग के नजदीक अलौदिया नाला भी मरणासन्न स्थिति में पहुंच गया है। पर्यावरण बोर्ड के निर्देशानुसार साइडिंग को नदी, नालों एवं जलस्त्रोत से दूर होना चाहिए पंरतु कंपनी की यह साइडिंग चंदवा शहर के मुख्य जलस्त्रोत अलौदिया नाले के पास है।

वायू प्रदूषण के मानकों की अनदेखी की जा रही है
चंदवा में बॉक्साइड रेलवे साइडिंग के क्षेत्र में पार्टिक्यूलेट मैटर पीएम 10 और पीएम 2।5 धूल कणों का प्रदूषण लेबल सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय वायू प्रदूषण क्वालिटी लिमिट स्टैंडर्ड के अनुसार होना चाहिए, परंतु इस नियम और मानक का भी कंपनी द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है। इसकी वजह से काम करने वाले मजदूर और स्थानीय लोग खांसी, दमा, टीबी आदि बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। दर्जनों लोग इन बीमारियों के शिकार हो कर काल के गाल में समा गये हैं।

पर्यावरण प्रबंधन इकाई का नहीं किया है गठन
प्रदूषण से बचाव के लिए चंदवा बॉक्साइड रेलवे साइडिंग के लिए पर्यावरण प्रबंधन इकाई का गठन करना था, जो कि 50 वर्ष से चल रही साइडिंग में आज तक नहीं किया गया है। पर्यावरण की सुरक्षा साइडिंग मालिकों की जिम्मेवारी होती है। साइडिंग मालिक को स्थानीय व्यक्तियों, समूहों, मंचों आादि से मिलकर पर्यावरण प्रबंधन इकाई का गठन करना आवश्यक है, जो प्रदूषण की शिकायतों, जन शिकायतों के निवारण के लिए साइडिंग संचालकों को सलाह देती है। जिसपर अमल करना साइडिंग मालिकों की जिम्मेवारी होती हे। परंतु कंपनी द्वारा आज तक प्रबंधन इकाई का गठन नहीं किया गया है। इसके अलावा जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थानीय लोगों, समूहों एवं मंचों से मिलकर करना चाहिए था, लेकिन कंपनी द्वारा इस क्षेत्र में जनशिकायतो के हल के लिए आज भी कोई उपाय नहीं किया गया है।

इस मसले पर लातेहार के जिला खनन पदाधिकारी कहते हैं, हिंडालको के बॉक्साइट रेलवे साइडिंग में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी, लेकिन कंपनी को सारे पर्यावरण क्लीयरेंस मिले हुए हैं। इस विषय में विभाग के वरीय पदाधिकारी ही कुछ कर सकते हैं।

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