जय भीम कहना सीख लो, वरना चुप रहना सीख लो !

Update: 2018-07-30 04:14 GMT

इसी जोश होश के साथ, स्वाभिमान जीना सीख लो, जिगर में तेज पैदा कर, जय भीम कहना सीख लो...

सूरज कुमार बौद्ध की कविता

जिगर में तेज पैदा कर

जय भीम कहना सीख लो।

वरना चुप थे, चुप हो,

चुप ही रहना सीख लो।

तुम्हारी चुप्पी मजबूत करती है

उन्हें, उनके गिरोहों को, हथकंडों को।

अपने कौम के निर्धारक तुम हो,

शोषण उत्पीड़न के कारक तुम हो।

कहीं यह चुप्पी तुम्हारी कायरता तो नहीं?

अगर हां तो यह बहुत डरावना है,

मुर्दा लाश से भी अधिक डरावना।

सीखो अत्याचार अंधाधुंध से,

सीखो मधुमक्खियों के झुंड से,

सीखो अपनी गुलामी पर विचार करना,

सीखो इस गुलामी का प्रतिकार करना।

यही सवाल पर चिंतन हमारी छाप छोड़ेगी,

आगामी नस्ल के लिए एक जवाब छोड़ेगी।

इसी जोश होश के साथ

स्वाभिमान जीना सीख लो,

जिगर में तेज पैदा कर

जय भीम कहना सीख लो।

(रचनाकार भारतीय मूलनिवासी संगठन के राष्ट्रीय महासचिव हैं।)

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