कश्मीर में 370 हटाने के भारी विरोध की खबर का गृह मंत्रालय ने किया खंडन!
रायटर की खबर के मुताबिक 9 अगस्त को नमाज के बाद श्रीनगर के सौरा क्षेत्र में लगभग 10,000 स्थानीय लोगों ने एकत्रित हो अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध किया तो पुलिस ने इन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पैलेट गन का इस्तेमाल किया, मगर सरकार ने किया इसका खंडन....
महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट
10 अगस्त को समाचार एजेंसी रायटर के हवाले से प्रकाशित एक समाचार के अनुसार शुक्रवार 9 अगस्त को नमाज के बाद श्रीनगर के सौरा क्षेत्र में लगभग 10,000 स्थानीय लोग एकत्रित होकर अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध कर रहे थे। पुलिस ने इन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पैलेट गन का इस्तेमाल किया।
रायटर की खबर में बताया गया था कि इसकी पुष्टि एक पुलिस अधिकारी और दो चश्मदीदों ने की है। दूसरी तरफ तमाम सुरक्षा घेरे में घिरे सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की तथाकथित आम कश्मीरियों से मिलाने की खबर भारतीय मीडिया दिखाकर सरकार के इस दावे की पुष्टि करने में लगा था कि कश्मीर में सबकुछ ठीक है, सारे कश्मीरी खुश हैं।
रायटर की खबर आने के बाद भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने जल्दीबाजी में एक ट्वीट कर इस खबर का खंडन किया और इसे झूठा करार दिया। इसमें बताया गया कि श्रीनगर में 10000 लोगों के विरोध करने की खबर झूठी और मनगढ़ंत है। इसके अनुसार श्रीनगर और बारामुला में कुछ विरोध की खबरें आयी हैं, पर कहीं भी 20 से अधिक लोग एक साथ एकत्रित नहीं थे।
सबसे बड़ी बात यह थी कि सरकारी खंडन में यह नहीं बताया गया कि कितने जगह विरोध किये गए और विशेष तौर पर श्रीनगर के सौरा क्षेत्र में क्या हुआ? गृह मंत्रालय ने तो अपना काम कर दिया, पर रायटर ने थोड़ी देर बार ही अपनी खबर को संशोधित कर मूल खबर के साथ गृह मंत्रालय के खंडन को भी शामिल कर लिया और इसके बाद उसने बता दिया की बीबीसी और अलजजीरा के साइट्स पर एक वीडियो है, जिसमें पुलिस की ज्यादती से बचने के लिए बहुर सारे लोग बदहवास भाग रहे हैं।
इस वीडियो का कोई भी खंडन सरकार की तरफ से नहीं आया, जबकि इसके किसी भी फ्रेम में 20 से अधिक लोग एक साथ भागते दिख रहे हैं। रायटर के समाचार में यह भी बताया गया था कि पैलेट से घायल लगभग 12 लोगों को श्रीनगर के दो अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, इनमें से एक अस्पताल शेरे कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज है। बीबीसी ने भी वीडियो के साथ लिखा है कि गृह मंत्रालय के खंडन के बाद भी ऐसे हालात हैं।
बीबीसी और रायटर की खबरों के अनुसार कश्मीर में अब बहुत सारे लोग आतंकवाद की राह पर चलने को तैयार बैठे हैं, क्योंकि वे सरकार के इस कदम से अपने आप को लुटा हुआ महसूस कर रहे हैं। इन दोनों खबरों में अनेक ऐसे लोगों से भी बात की गयी है, जिन्होंने आतंकवाद छोड़कर सामान्य जीवन व्यतीत करना शुरू कर दिया था।
अन्य समाचार बताते हैं कि सरकार भले ही दावा करे की वहाँ खाद्य सामग्री और दवाओं की किल्लत नहीं है, पर हकीकत में अब लोगों के पास कुछ भी नहीं बचा है। अस्पताल खुले हैं, पर लोग वहां तक पहुँच नहीं पा रहे हैं। सरकार जम्मू की तस्वीरें दिखाकर देशवासियों को बता रही है कि कश्मीर में सबकुछ सामान्य है, कोई विरोध नहीं है, कोई किल्लत नहीं है और लोग खुश हैं, सरकार की वाहवाही कर रहे हैं।