हवाई हमले की टीआरपी के जोश में मीडिया दबा गयी 6 बड़ी खबरें

Update: 2019-02-27 04:45 GMT

हवाई हमला देश की बड़ी खबरों में से एक था, लेकिन अयोध्या विवाद, 35ए, राफेल, अडाणी को 50 साल के लिए एयरपोर्ट बेचना और अरविंद केजरीवाल का दिल्ली को पूर्ण राज्य का हक दिलाने की मांगे क्या इतनी हवाई थीं कि मीडिया ने कोई ध्यान नहीं दिया

क्या इसे मोदी सरकार को पांच साल के वादों से निजात दिलाने की तरकीब मानी जाए कि हवाई हमलों की आड़ में अयोध्या की सुनवाई और 35ए जैसे संवेदनशील मसले को मीडिया ने कल तवज्जो ही नहीं दिया

वरिष्ठ पत्रकार एस. राजू का विश्लेषण

भारतीय मीडिया के लिए बड़े शुभ दिन चल रहे हैं। पुलवामा हमले के बाद और अब पाकिस्तान ठिकानों पर भारतीय वायुसेना के हमले को भारतीय मीडिया पूरी तरह भुनाने में लग चुका है।

पहले पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों के परिजनों को प्रलाप दिखाकर मीडिया ने खूब टीआरपी बटोरी। कुछ बच गए तो उन्होंने कुछ रिटायर फौजियों के माध्यम से पाकिस्तान को धमकी दिलवाई और अब तो ऐसे लग रहा है कि मोदी सरकार ने इन मीडिया देशभक्तों की दहाड़ती आवाज को सुन लिया और पाकिस्तान पर बम गिरा दिया।

हालांकि अभी तक सरकार की ओर से इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि पाकिस्तान को कितना नुकसान हुआ है, लेकिन इन अंतर्यामी चैनल एंकर्स के पास पुख्ता खबरें हैं कि 300 से 400 आतंकियों को भारतीय वायुसेना ने मार गिराया है।

क्या पत्रकारिता का यह तरीका साबित नहीं करता कि मीडिया का देशहित से कोई लेना देना नहीं, बल्कि अपने मुनाफे के लिए लोगों में सनक भरकर विवेकहीन बनाना ही पत्रकारिता का मूलधर्म बनता जा रहा है

यह तो हुई भारतीय मीडिया की देशभक्ति की बात, लेकिन इस देशभक्ति की आड़ में यह मीडिया अपनी मोदीभक्ति का फर्ज भी अदा कर रहा है और पाकिस्तान हमले के बहाने कई ऐसी बड़ी खबरों को छुपा गया, जिसके बारे में जनता को जानने का हक है।

आपने शायद ही किसी चैनल या अखबार में पढ़ा होगा कि सोमवार 25 फरवरी को देश के 5 एयरपोर्ट मोदी जी के चहेते गौतम अडाणी को 50 साल के लिए सौंप दिए गए हैं। वहीं, मंगलवार 26 फरवरी को टीवी न्यूज चैनल सुप्रीम कोर्ट से आ रही तीन बड़ी खबरों को पचा गए और अपनी स्क्रीन पर वायुसेना के हवाई हमले के फर्जी वीडियो चलाते रहे।

कल जो खबरें दब गयीं उनमें से एक बड़ी खबर अयोध्या विवाद को लेकर थी। यह ऐसी खबर है, जो कम से कम मोदी भक्तों के लिए अच्छी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अयोध्या विवाद को दोनों पक्ष आपस में बैठकर सुलझाएं।

मोदी भक्त इंतजार कर रहे थे कि कोर्ट राम मंदिर को बनाने की इजाजत दे दे। ऐसे में यदि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन्हें परेशान कर सकता है, शायद इसीलिए किसी ऊपरी इशारे के चलते गोदी मीडिया ने यह खबर फ्लैश नहीं की। कुछ चैनलों ने चलाया भी, लेकिन केवल टिकर बनाकर।

ऐसी ही एक खबर राफेल को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे को क्लीनचिट देने के फैसले को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका को मंजूरी दे दी है। दरअसल, दो रिव्यू पीटिशन डाली गई थी। इसमें एक प्रशांत भूषण, अरुण शौरी व यशवंत सिन्हा द्वारा दायर की गई थी, तो दूसरी पीटिशन आप नेता संजय सिंह द्वारा दायर की गई थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगाई, जस्टिस केएम जोसफ और संजय किशन कौल ने यह रिव्यू पीटिशन ओपन कोर्ट में सुनने की मंजूरी दे दी। यह खबर भी गोदी मीडिया के लिए अच्छी नहीं है। इसलिए इसे भी पचा दिया गया।

ऐसी ही एक महत्वपूर्ण खबर धारा 35ए को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट इस सप्ताह इस मसले की सुनवाई कर सकता है, लेकिन यह खबर मीडिया से गायब है। केंद्र सरकार चाहती थी कि कोर्ट इस मसले को मार्च में सुनें।

दरअसल, यह ऐसा मसला है, जिसे छेड़कर मोदी सरकार कश्मीर के मुद्दे पर देश में फैले अपने भक्तों को संदेश देना चाहती है कि वह धारा 370 व 35ए को खत्म करना चाहती है। इसे थोड़ा लटका कर सरकार चुनाव से पहले माहौल बनाना चाहती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला मोदी सरकार के पक्ष में नहीं आया तो खबरें चैनलों से गायब हैं।

इन सबके बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने को लेकर आमरण अनशन करने वाले थे। आम आदमी पार्टी को उम्मीद थी कि अरविंद केजरीवाल का आमरण अनशन दिल्ली के राजनीति में हाशिए पर जा रही आप को संजीवनी का काम करेगा और केंद्र की भाजपा सरकार को पूर्ण राज्य के दर्जे को लेकर कुछ न कुछ आश्वासन देना पड़ेगा।

चूंकि अरविंद केजरीवाल की पार्टी महागठबंधन का भी हिस्सा है, ऐसे में दूसरे दर्जनों दलों के प्रमुख और नेता केजरीवाल के मांगों के समर्थन में पहुंचते, जिससे मोदी के सामने एक बड़ी राजनीतिक चुनौती खड़ी हो सकती थी। पर कल के पाकिस्तान में किए गए हवाई हमले के बीच यह खबर भी हवा हो गयी और अरविंद केजरीवाल के अनशन पर नहीं बैठने के खबर को भी कोई तवज्जो नहीं दी गयी।

वरिष्ठ टीवी पत्रकार अजित अंजुम लिखते हैं, 'मिराज ने बम तो सरहद को उस पार देश के दुश्मनों के ठिकानों पर गिराए हैं, लेकिन इस पार मोदी के सियासी दुश्मनों के खेमे में भी सन्नाटा है। न निगलते बन रहा है, न उगलते। चुनाव के दो महीने पहले इस कार्रवाई ने उनके हौसलों को पलीता लगा दिया है।' अजित अंजुम जो सवाल उठा रहे हैं सोशल मीडिया ऐसी टिप्पणियों से भरा पड़ा है।

खैर! सभी चैनल व अखबार पाकिस्तान को नेस्तनाबूत करने में जुटे हैं। ऐसा नहीं है कि यह खबर नहीं है। वायुसेना का हमला एक बड़ी खबर है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि इस खबर की आड़ में मोदी सरकार के खिलाफ चल रही खबरों को जगह नहीं दी जाए, लेकिन गोदी मीडिया की आंखों में तो मोदी नाम की ऐसी पट्‌टी चढ़ी हुई है, जिसे केवल मोदी ही दिखते हैं।

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