सीजेआई को यौन शोषण में क्लीनचिट पर इंदिरा जयसिंह ने उठाई थी आवाज, सुप्रीम कोर्ट से जारी हुआ नोटिस

Update: 2019-05-09 08:14 GMT

लॉयर्स कलेक्टिव ने लगाया आरोप इंदिरा जयसिंह को बनाया जा रहा है निशाना, क्योंकि उन्होंने की थी उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ़ यौन उत्पीड़न के मामले में इनहाउस इंक्वायरी कमेटी की जांच के तरीकों की आलोचना...

वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह के खिलाफ दायर जनहित याचिका को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। इसके अलावा उच्चतम न्यायालय ने इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर से भी इस संबंध में जवाब मांगा है। याचिका में अडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहीं इंदिरा जयसिंह पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने इस अहम और संवेदनशील पद पर रहने के दौरान विदेशों से फंडिंग हासिल की थी। इंदिरा जयसिंह 2009 से 2014 में यूपीए सरकार के दौरान अडिशनल सॉलिसिटर जनरल थीं।

लॉयर्स वॉइस नाम के संगठन की ओर से पेश सीनियर अधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने गृह मंत्रालय के 31 मई, 2016 और 27 नवंबर, 2016 के आदेश का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर ने विदेशी चंदा अधिनियम का उल्लंघन कर धन हासिल किया। इसके अलावा दोनों ने देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करते हुए सांसदों और मीडिया के साथ लॉबिंग कर कई महत्वपूर्ण निर्णयों और नीति निर्धारण को प्रभावित करने की कोशिश की।

याचिका में कहा गया है कि यह सबकुछ तब किया गया, जब इंदिरा जयसिंह अडिशनल सॉलिसिटर जनरल के पद पर थीं। इस पद पर तैनात व्यक्ति अपनी कानूनी राय के जरिए सरकार के नीतियों को प्रभावित कर सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में जांच कराने में असफल रही है।

वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न मामले में क्लीनचिट दिए जाने की मुखर विरोधी रही हैं। अब उच्चतम न्यायालय में एक आपराधिक मामले में उन्हें प्रतिवादी बना दिया गया है और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की तैयारी की गई है। इसके साथ ही उनके पति और वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर को भी आपराधिक याचिका में लपेट लिया गया है।

ग्रोवर ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ एनजीओ के निदेशक हैं, जो मानवाधिकार मुद्दे से जुड़े कार्यों के क्षेत्र में काम करती है। एनजीओ पर आरोप हैं कि इसने विदेशी चंदे को ग़लत उपयोग किया है।याचिका के बाद नोटिस जारी किया गया है।

एनजीओ ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ ने उन सारे आरोपों को खारिज किया है। एनजीओ ने अपने ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि हमें 2016 के बाद से किसी प्रकार की कोई फंडिंग नहीं मिली थी,क्योंकि लॉयर्स कलेक्टिव का विदेशी अनुदान पंजीकरण (एफसीआरए) गृह मंत्रालय ने रद्द कर दिया था।

एनजीओ ने कहा है कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि इंदिरा जयसिंह उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ़ यौन उत्पीड़न के मामले में इन हाउस इंक्वायरी कमेटी की जांच के तरीकों की आलोचना की थी।

एनजीओ ने जारी किए गए बयान में आरोप लगाया कि यह याचिका उच्चतम न्यायालय के उस निर्देशों का उल्लंघन करती है, जिसमें सूचीबद्ध किए जाने संबंधी नियम दिए गए हैं। न्यायालय की वेबसाइट के मुताबिक यह याचिका 6 मई को शाम 3:19 बजे डाली गई। फिर इसमें कई आपत्तियां थीं, जिन्हें 7 मई को हटा लिया गया।

आरोप है कि यह मामला कोर्ट में 7 मई को मौखिक रूप में पेश नहीं हुआ, लेकिन 8 मई को कोर्ट नंबर 1 में इसे सूचीबद्ध किया गया था। यह सूचीबद्ध करने को लेकर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन था। यह भी कहा गया है कि हमारे संज्ञान में यह लाया गया है कि अदालती कार्रवाई के दौरान हालांकि याचिकाकर्ता के वकील ने किसी तरह के अंतरिम आदेश को मौखिक रूप में नहीं मांगा था, फिर भी उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश पारित किया है कि याचिका का लंबित होना इस मामले में किसी भी तरह से सरकारी एजेंसियों के लिए बाधा नहीं बनेगी।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता ने गृह मंत्रालय को भी नोटिस जारी किया तथा उसे आरोपों पर अपना जवाब देने को कहा। लॉयर्स कलेक्टिव द्वारा हासिल किए गए धन का इस्तेमाल राजनीतिक गतिविधियों में किए जाने का भी आरोप है।

याचिका में केंद्र के आदेशों का जिक्र है, जिसके जरिए लॉयर्स कलेक्टिव का लाइसेंस साल 2016 में सस्पेंड कर दिया गया था और विदेशी चंदा (नियमन) अधिनियम के कथित उल्लंघन को लेकर बाद में स्थायी रूप से रद्द कर दिया गया था। यह जनहित याचिका एडवोकेट्स के एक एनजीओ लॉयर्स कलेक्टिव ने दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इनके द्वारा जुटाए गए धन का देश के खिलाफ गतिविधियों में दुरूपयोग किया गया।

वर्ष 2016 में ही चंदा लेने पर लगी थी रोक

गौरतलब है कि दिसम्बर 2016 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंदिरा जयसिंह के एनजीओ लॉयर्स कलेक्टिव पर विदेश से चंदा लेने पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। एनजीओ पर यह रोक विदेशी चंदा विनियमन कानून (एफसीआरए) का कानून उल्लंघन करने के कारण लगाई गई थी। इस एनजीओ को 2006-07 और 2013-14 के बीच विदेशी चंदा मिला था। गृह मंत्रालय को एनजीओ के वार्षिक रिटर्न फाइल करने में विसंगति नजर आई, इस एनजीओ में इंदिरा जयसिंह सचिव के रूप में काम कर रही थी।

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