यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने करीब 68 किमी लंबी फोर लेन इनर रिंग रोड के किनारे आठ नए टाउनशिप बसाने की की थी घोषणा, जो हुई है हवा हवाई साबित, क्योंकि रिंग रोड ही नहीं बनेगी तो बसेगी कौन सी टाउनशिप...
वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट
प्रयागराज में वर्ष 2016 से चल रही इनर रिंग रोड परियोजना अंततः झुनझुना ही सिद्ध हुई, क्योंकि इसे केंद्र सरकार की प्राथमिकता सूची से अलग कर दिया गया है। इससे प्रयागराज के विकास की इस बड़ी परियोजना के निर्माण की दिशा में कदम रुक गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने भूमि अधिग्रहण संबंधी सर्वे की प्रक्रिया स्थगित कर दी है। दरअसल इनर रिंग रोड परियोजना केंद्र सरकार की आर्थिक खस्ताहाली का शिकार हो गयी है। कहते हैं न जब घर में नहीं दाने तो अम्मा चली भुनाने।
दरअसल अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मोदी सरकार के पास वित्तीय संकट से निपटने का कोई खाका नहीं है। ताजा आंकड़ों के अनुसार कृषि, वानिकी, मत्स्यपालन, खनन, बिजली, गैस विनिर्माण, औद्योगिक उत्पादन आदि की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। इन सभी क्षेत्रों में आर्थिक वृद्धि दर में ढलान है।
कॉरपोरेट जगत की बिक्री पिछले पांच सालों के निचले स्तर के दूसरे पायदान पर पहुंच गई है। आधारभूत ढांचे के लिए पैसे की किल्लत है। उत्तर प्रदेश सरकार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है क्योंकि अभी पिछले कैबिनेट में ही बैंकों से पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए दो हज़ार करोड़ का ऋण लेने की मंजूरी दी है।
गौरतलब है कि करोड़ों रुपये की लागत वाली इस इनर रिंग रोड का एनलाइनमेंट हो चुका था। प्रस्तावित परियोजना के मुताबिक इस पर चार आरओबी और तीन पुलों का निर्माण होना था। इसमें दो पुल गंगा पर और एक यमुना पर बनाए जाने थे। हालांकि अब इस परियोजना की उपयोगिता को लेकर नए सिरे से रिपोर्ट बनाकर केंद्रीय सड़क-परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को भेजी गई है, ताकि इसे शुरू कराने पर सहमति बनाई जा सके।
केंद्र सरकार की ओर से इस परियोजना को प्राथमिकता सूची से बाहर किए जाने के बाद सर्वे और भूमि अधिग्रहण संबंधी प्रक्रिया रोक दी गई है। हालांकि वर्ष भर पहले केंद्रीय सड़क, परिवहन व राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ही इस इनर रिंग रोड परियोजना की घोषणा की थी। इसके बाद इसका एनलाइनमेंट कराया गया और कैबिनेट से प्रस्ताव पास कराकर केंद्र को भेज दिया गया था।
प्रस्ताव के मुताबिक कौड़िहार से सहसो तक जाने वाली इनर रिंग रोड अब तक शहर से कटे गंगा-यमुना के कछारी इलाके के लोगों को ध्यान में रखकर बनाई जानी थी। इस इनर रिंग रोड को कौड़िहार के पास सलहा से पुराने एनएच-2 से होकर दांदूपुर से निकाला जाना था। इसके बाद महुआरी और सरस्वती हाईटेक सिटी के बीच से होकर अंदावा होते हुए इसे सहसो के पास मिलाने की योजना तैयार की गई थी।
हाल में ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने करीब 68 किमी लंबी इस फोर लेन इनर रिंग रोड के किनारे आठ नए टाउनशिप बसाने की घोषणा की थी, पर सब हवा हवाई ही साबित हुआ।
26 सितंबर 2018 को एक खबर अख़बारों में छपी कि शहरवासियों के लिए इनर रिंग रोड के रूप में अनोखी सौगात जल्द मिलेगी। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के प्रस्ताव को केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। 7 फरवरी को परेड ग्राउंड में आयोजित 5632 करोड़ के कार्यों के लोकार्पण, शिलान्यास एवं शुभारंभ समारोह में नितिन गडकरी शामिल हुए थे। तब उप मुख्यमंत्री केशव प्रसादड मौर्य ने उनके समक्ष इनर रिंग रोड की मांग उठाई थी। गडकरी ने कहा था वह केशव की मांग को जल्द पूरा कराएंगे।
इसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने सर्वेक्षण के बाद इनर रिंग रोड का प्रस्ताव केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को भेज दिया है। इस इनर रिंग रोड पर चार नए आरओबी और तीन पुलों का निर्माण प्रस्तावित है। इसमें दो पुल गंगा पर और एक यमुना पर बनाया जाएगा। मंजूरी मिलते ही भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी।
सबसे पहले 17 सितंबर 2016 को केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इलाहाबाद में भी रिंग रोड बनाने की घोषणा की थी । लखनऊ में आउटर रिंग रोड के शिलान्यास कार्यक्रम में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में नितिन गडकरी ने मंच से इलाहाबाद में रिंग रोड बनाने की बात कही थी।
यातायात की बढ़ती समस्या से निजात दिलाने के लिए इलाहाबाद में रिंग रोड की जरूरत अरसे से महसूस की जा रही है। यूपी के ज्यादातर बड़े शहरों में रिंग रोड या तो बन चुकी है या मंजूर हो चुकी है, लेकिन इलाहाबादियों की दशक भर पुरानी मांग पर अब तक सरकार ने गौर नहीं किया।