अलर्ट: कोरोना वायरस में हुए लॉकडाउन के कारण पूरे देश में इंटरनेट सेवा बंद होने का संकट

Update: 2020-03-25 06:27 GMT

आमतौर पर इंटरनेट पर जितना डाउनलोड होता था आज का डेटा डाउनलोड उससे कई गुना अधिक बढ़ गया है। कम से कम डेढ़ गुना तक जिस कारण इंटरनेट का सारा ढांचा भरभराकर गिर सकता है। हमारी दुनिया कोरोना वायरस के साथ-साथ संचार और सूचना के एक बहुत बड़े संकट में चली जा सकती है...

जनज्वार। कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते संक्रमण और उससे ग्रस्त होने की आशंका में आज दुनिया का बहुत बड़ा हिस्सा अपने घरों में बंद है। ऐसी स्थिति में इंटरनेट हम सबके लिए ऑक्सीजन जैसा बन गया है। लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के समय में इंटरनेट के बिना सामान्य जिंदगी की कल्पना करना बेहद मुश्किल है। अगर इंटरनेट बंद होता है तो मनोरंजन से लेकर बातचीत तक और सूचनाएं पाने से लेकर दफ्तर का कामकाज निपटाने तक में हम सक्षम नहीं रहेंगे। अगर इंटरनेट हमारे लिए भोजन से ज्यादा नहीं है। तो कमोबेश भोजन जैसी ही एक बड़ी जरूरत बन गया है।

लेकिन जिस अंदाज में पूरी दुनिया में लोग अपने स्मार्टफोन और कंप्यूटर पर इंटरनेट का बहुत ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। उसकी वजह से ऐसा भी हो सकता है कि इंटरनेट पर बढ़ता बोझ सारे तकनीकी ढांचे को ही कहीं ले न बैठे हो सकता है कि इंटरनेट की बढ़ती मांग को पूरा कने में नाकाम हो जाए और ये भी हो सकता है कि हमारे 4जी तथा ब्रॉजबैंड कनेक्शनों की बैंडविड्थ इतनी ज्यादा खर्च हो जाये कि तब हमारे पास वीडियो देखने और चैट करने के लिए तो छोड़िये बेहद जरूरी सरकारी कामों और इलाज में मदद के लिए भी इंटरनेट कनेक्टिविटी की गुंजाइश न रह जाये।

जिन लोगों को आनेवाले संकट का पता है या उसका अनुमान लगा पा रहे हैं। वे स्वाभाविक रूप से चिंतित हैं। भारत के सेलुलर आपरेटर एसोसिएशन ने दूरसंचार मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि वीडियों स्ट्रीमिंग तथा ओवर द टॉप एप्स का संचालन करने वाली कंपनियों को यह निर्देश दिया जाये कि वे अपनी स्ट्रीमिंग का रिजोल्यूशन कम करें ताकि दबाव कम हो सके। अगर देशभर के लोगों से कहा जाये कि वे कम रिजोल्यूशन पर वीडियो या फिल्में देखें तो शायद उसका इतना जल्दी और सटीक परिणाम नहीं मिल पाये। परंतु अगर चंद कंपनियां जो इस बाजार को कंट्रोल करती हैं। वे अपने स्तर पर फैसला कर लें तो बैंडविड्थ की खपत को कम किया जा सकता है।

न दिनों इंटरनेट पर उन्हीं चीजों की सबसे ज्यादा खपत है रही जिस पर सबसे ज्यादा बैंडविड्थ या डेटा खर्च होता है। जैसे कि वीडियों कॉल, नेटफ्लिकस जैसे ओटीटी एप्स की फ्लिमें और कार्यक्रम, यूट्यूब के वीडियो, वर्क फ्रार्म होम के टूलस, छात्रों की कक्षाएं भी ऑनलाइन हो गई है। इन सबके बीच जो सबसे जरूरी चीज है। वह इंटरनेट और आपका डेटा प्लान हो सकता है कि आपको यह मजाक लगे लेकिन आपने ऐसी बहुत सारी खबरें पढ़ी ही होंगी कि जब बहुत ज्यादा डिमांड या खपत होने लगती है। तो बहुत बड़े इंटरनेट ठिकाने भी ठप हो जाते है।

मतौर पर इंटरनेट पर जितना डाउनलोड होता था आज का डेटा डाउनलोड उससे कई गुना अधिक बढ़ गया है। कम से कम डेढ़ गुना तक जिस कारण इंटरनेट का सारा ढांचा भरभराकर गिर सकता है। हमारी दुनिया कोरोना वायरस के साथ-साथ संचार और सूचना के एक बहुत बड़े संकट में चली जा सकती है।

सी आशंका के मद्देनजर यूरोपीय संघ ने कुछ दिन पहले सभी वीडियों शेयरिंग वेबसाइटों और प्लेटफॉर्माे से अपील की थी कि वे हाइ डेफिनेशन वीडियों की स्ट्रीमिंग करना बंद कर दें। जब जरूरी न हो तब एचडी वीडियों का इस्तेमाल न किया जाये। ऐसका उन्होंने आग्राह किया है। फेसबुक भी कह चुका है कि भारी मांग के कारण ुसकी सेवाओं पर असप पड़ रहा है। इस समय भारत में औसतन प्रति व्यक्ति 10.7 गीगाबाइट का डेटा का मासिक इस्तेमला किया जा रहा है। अगले एक महीन में यह कम से कम डेढ़ गुना बढ़ सकता है।

मारे देश में मौजूदा दूरसंचार ढ़ांचा इतना सक्षम नहीं है कि वह तेजी से बढ़ी मांग का सामना कर सके और समुचित स्पीड से नेटवर्क एवं कनेक्टिविटी मुहैया करा सके। सरकार की ओर से दूरसंचार कंपनियों को दी गयी तमाम चेताविनयों के बावजूद भी यही हालत इंटरनेट सेवाओं के साथ हो सकती है। और तुरंत इस आशंका के के समुचित समाधान के लिए पहलकदमी नहीं हुई तो घर में बंद रहते हुए रोजमर्रा के जीवन को काटना भी मुश्किल होगा और घर से दफ्तर का काम करना भी जरूरू सेवाओं को मुहैया कराने और संक्रमण की रोकथाम पर नकरात्मक असर पड़ेगा।

यूरोपीय संघ के इस आग्रह के जवाब मं कंटेंट पेश करनेवाली इंडस्ट्री ने अपनी तरफ से कुछ कदम उठाना शुरू कर दिया है। वीडियों स्ट्रीमिंग करने वाली तथा ओवर द टॉप या ओटीटी कही जाने वाली वेबसाइटों तथा एप्स ने अपने वीडियों स्ट्रीमिंग की क्ववालिटी के मामले में बात एकदम विपरीत है। नेटफ्लिकस ने ऐलान किया है कि वह अगले एक महीने के लिए अपने वीडियों की बिट रेट घटाने जा रही है। यूट्यूब, अमेजॉन और एप्पल ने भी अपने अपने प्लेटफॉर्माे पर वीडियो स्ट्रीमिंग की क्ववालिटी घटाने का फैसाल किया है। इससे काफी फर्क पड़ जाना चाहिए अलबत्ता ऐसी विकट स्थिति में यह बहुत आवश्यक है कि आप और हम भी अगर इंटरनेट की खपत में किफायत बरतें तो इसका अनंत काल तक इस्तेमाल करते रह सकते है। जैसे पानी के लिए कहा जाता है कि ुसकी बूंद बूंद बचाइये, वैसे ही मैं कहता हूं कि हमें इंटरने का एक-एक एमबी डेटा बेवजह खर्च करने से बचाना है।

(ये लेख प्रभात खबर में बालेंदु शर्मा दाधीच द्वारा लिखा गया है। बालेंदु तकनीकी विशेषज्ञ है।)

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