ट्रेन में एक सीट भगवान शंकर के नाम रिजर्व कर रेल मंत्रालय क्या अंधविश्वास को बढ़ा रहा है ?

Update: 2020-02-17 11:06 GMT

यह पहली बार हुआ है कि भगवान के नाम पर किसी भी ट्रेन में कोई सीट रिज़र्व की गयी हो, काशी महाकाल एक्सप्रेस वही ट्रेन है जिसे रविवार 16 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में हरी झंडी दिखाई थी...

जनज्वार। भारत देश के लोग आज भी धार्मिक अंधविश्वास के शिकार होते दिखाई दे जाते हैं लेकिन अब ये बीमारी भारत सरकार को भी लगने लगी है। भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने काशी महाकाल एक्सप्रेस में बाकायदा एक सीट भगवान शंकर के नाम रिज़र्व कर दी है।

ये काशी महाकाल एक्सप्रेस वही ट्रेन है जिसे रविवार 16 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में हरी झंडी दिखाई थी। उत्तर रेलवे प्रवक्ता दीपक कुमार ने पीटीआई के बताया कि काशी महाकाल एक्सप्रेस के कोच नंबर बी 5 की 64 नंबर सीट "भोले बाबा" के नाम रिज़र्व कर दी गयी और उसे भगवान के लिए खाली छोड़ दिया गया है।

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ह पहली बार हुआ है कि भगवान के नाम पर किसी भी ट्रेन में कोई सीट रिज़र्व की गयी हो। यह ऊपर की सीट है। दीपक कुमार के अनुसार, रिज़र्व सीट पर बाकायदा शंकर भगवान की फोटो लगा कर मंदिर के रूप का आभास दिया गया है ताकि लोगों को लगे कि सीट मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित भगवान महाकाल के लिए रिज़र्व की गयी है।

वाराणसी से इंदौर जाने वाली ये ट्रेन तीन ज्योतिर्लिंगों को जोड़ती है। ये ज्योतिर्लिंग हैं इंदौर के समीप ओंकारेश्वर मंदिर, उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर और वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर। रेलवे अधिकारी अब "भोले बाबा" के लिए स्थाई रूप से सीट आरक्षित करने की संभावना पर भी विचार कर रहे हैं। गौरतलब है कि IRCTC द्वारा संचालित ये ट्रेन रेलवे मंत्रालय की तीसरी कॉर्पोरटे ट्रेन है।

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