योगीराज में हर तरह के अपराध, भ्रष्टाचार, हिंसा के मामलों में उत्तर प्रदेश बना हुआ है शीर्ष पर, तभी तो सुप्रीम कोर्ट को आजिज आकर कहना पड़ा उत्तर प्रदेश में कायम जंगलराज से तंग आ चुके हैं हम...
जेपी सिंह की टिप्पणी
केंद्र और देशभर के कई राज्यों में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी दावा करती है हमारी सरकार आने के बाद देश का चतुर्दिक विकास हुआ है। इतना ही उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य नाथ की सरकार में रामराज्य के दावे किये जाते हैं, प्रदेश के उत्तम होने और तरक्की होने को लेकर तर्क गढ़े जाते हैं। भाजपा दावा करती है कि शासन व्यवस्था पिछली सभी सरकारों से अच्छी है, भ्रष्टचार पर रोक लग गयी है, लेकिन उच्चतम न्यायालय ऐसा नहीं मानता और बात सच भी यही है कि अपराध, भ्रष्टाचार, हिंसा के मामलों में उत्तर प्रदेश का कोई जोड़ नहीं है।
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार 17 अक्टूबर को कहा कि हम उत्तर प्रदेश सरकार से तंग आ चुके हैं। ऐसा लगता है यूपी में जंगलराज है। आखिर ऐसा क्यों होता है कि अधिकतर मामलों में यूपी सरकार की ओर से पेश वकीलों के पास संबंधित अथॉरिटी का कोई उचित निर्देश नहीं होता। बुलंदशहर के सैकड़ों वर्ष पुराने एक मंदिर से जुड़े प्रबंधन के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह टिप्पणी की।
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जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यूपी सरकार की ओर से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल से पूछा कि क्या यूपी में कोई ट्रस्ट या सहायतार्थ ट्रस्ट एक्ट है? क्या वहां मंदिर व सहायतार्थ चंदे को लेकर कोई कानून है? तो उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने सीधे-सीधे कह दिया कि इस बात की उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
इस पर नाराज होकर पीठ ने कहा, ऐसा लगता है कि राज्य सरकार चाहती ही नहीं कि वहां कानून हो। पीठ ने कहा, लगता है वहां जंगलराज है। हम यूपी सरकार से परेशान हो गए हैं। हर दिन ऐसा देखने को मिलता है कि सरकार की ओर से पेश वकीलों के पास उचित निर्देश नहीं होते हैं। फिर चाहें वह दीवानी मामला हो या आपराधिक। पीठ ने पूछा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 2009 के इस मामले में अब यूपी के मुख्य सचिव को तलब किया है। पीठ ने कहा, हम सीधे मुख्य सचिव से जानना चाहते हैं कि क्या यूपी में मंदिर और सहायतार्थ चंदे को लेकर कोई कानून है? पीठ ने मुख्य सचिव को मंगलवार 22 अक्टूबर को पेश होने को कहा है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के करीब 300 वर्ष पुरानी श्री सर्वमंगला देवी बेला भवानी मंदिर के प्रबंधन से जुड़ा एक मामला कोर्ट में है। विजय प्रताप सिंह ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें मंदिर के चढ़ावे को वहां काम करने वाले पंडों को दे दिया गया है।