जनज्वार की खबर का असर, मजदूर को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले दोनों सिपाही लाइन हाजिर
दोषी सिपाहियों के लाइनहाजिर किए जाने से मृतक का परिवार नहीं है संतुष्ट, कहा कि हमारे बच्चे को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वालों को मिले कड़ी से कड़ी सजा...
मनीष दुबे
जनज्वार, लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के औरंगाबाद क्षेत्र में पुलिसिया ज्यादती से तंग आकर एक युवक द्वारा आत्महत्या करने का मामला सामने आया था। इस खबर को आज 2 अप्रैल की सुबह ही जनज्वार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जिस पर पुलिस अधिकारियों ने युवक को आत्महत्या को मजबूर करने के लिए दोषी पुलिसकर्मियों को लाइनहाजिर कर लिया है।
गौरतलब है कि खीरी स्थित मैगलगंज चौकी के फरिया पिपरिया गांव का रहने वाला दलित युवक रोशनलाल गुड़गांव में मजदूरी का काम करता था। देश में कोरोना वायरस के बाद घोषित किये गये लॉकडाउन के चलते वह अपने गांव आ गया था। स्वेच्छा से जब तक सरकारी व्यवस्था नहीं हुई तब तक अपने आपको क्वेरनटाइन करने के लिए खेत में बने छप्पर में रहने के लिए चला गया था, लेकिन 30 मार्च को जब प्रशासन द्वारा सभी को स्कूल में रहने का आदेश आया तो वह भी अपने आप स्कूल पहुंच गया था।
रोशनलाल का कसूर सिर्फ इतना था कि वह घर का राशन खत्म होने के बाद गांव में ही आटा पिसवाने चला गया। इतनी सी बात पर सिपाही अनूप कुमार सिंह ने उसे इस कदर पीटा की उसने क्षुब्ध होकर आत्महत्या कर ली।
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पुलिस की ज्यादती से मरने वाले दलित युवक ने मरने से पहले तीन ऑडियो टेप रिकॉर्ड किये थे, जो जनज्वार के पास भी आए थे। ऑडियो टेप में मृतक रोशन ने साफ-साफ शब्दों में अपनी आत्महत्या करने का कारण स्पष्ट किया है। साथ ही मृतक ने पीटने वाले सिपाही का भी नाम लिया है और उसने यह भी कहा है कि वह सिपाही की पिटाई से लज्जित होकर आत्महत्या कर रहा है और सिपाही को सजा मिलनी चाहिए।
जनज्वार पर खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ और फौरी तौर पर दो पुलिसवालों को लाइन हाजिर कर दिया है। यूपी पुलिस और खीरी पुलिस ने जनज्वार के संपादक अजय प्रकाश के ट्विटर हैंडल पर खबर को रिट्वीट करते हुए दो सिपाहियों को लाइन हाजिर करने की पुष्टि की है। खीरी पुलिस ने कहा है कि 'प्रकरण के संबंध में दोनों पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है, तथा इस संबंध में क्षेत्राधिकारी मितौली से जांच कराई जा रही है। जांचोपरांत अग्रेतर कार्यवाही की जाएगी।'
वहीं पुलिस की पिटाई से क्षुब्ध होकर आत्महत्या करने वाले लड़के रोशन के चाचा का कहना है कि उन्हें अभी तक नहीं पता कि दो पुलिसकर्मियों को लाइनहाजिर कर दिया गया है। हमें तो जब न्याय मिलेगा तब ही जानकारी हो पाएगी। अपने पिता की मौत के बाद मेरा भतीजा रोशन गुड़गांव में नौकरी करके पिता की मौत के बाद परिवार का भरण पोषण करता था। उसको बिना वजह बुरी तरह मारा पीटा गया। बीमार वो नहीं ये लोग थे, जिन्होंने उसे जानवरों की तरह पीटा। उसने आत्महत्या नहीं कि बल्कि उसकी हत्या की गई है और पुलिस वालों ने उसकी हत्या की है।
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रोशन के चाचा रोते हुए फोन पर जनज्वार संवाददाता को बताते हैं, हमारा मुकदमा तक नहीं लिखा गया है। हम पर समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा था। लड़के ने 31 तारीख को सुसाइड किया था, तीन दिन तक उसकी लाश रखी रही। लाश में बदबू आने लगी थी, तब आज 2 अप्रैल को दिन में 11 बजे जाकर श्मशान घाट पर उसका अंतिम संस्कार किया गया। हम बस यही चाहते हैं कि सरकार दोषी पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करे तथा उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।
पूरे मामले में पीड़ित परिवार के कदम दर कदम साथ रहने व मदद करने वाले सपा नेता क्रांति कुमार का कहते हैं, 'मृतक रोशनलाल की पुलिस उत्पीड़न से आत्महत्या खुले तौर पर योगी मोदी सरकार की नाकामी की नजीर है। विदेशों से लाई गई इस बीमारी को एयरपोर्ट पर आये लोगों को, अमीरों को क्वेरंटाइन नहीं किया गया, जबकि उन्हें कनिका कपूर जैसे कितने लोगों को देश में इस बीमारी को फैलाने के लिए समाज में जाने दिया गया। जब मजदूरों और बड़े शहरों में काम करने गए लोगों को लॉकडाउन के बाद उन्ही शहरों में रोक लेना चाहिए था। केंद्र और प्रदेश सरकार ने न शेल्टर होम खोल कर लोगों के लिए खाने की व्यवस्था की, न ही उनकी जांच की और उन्हें गांवों की तरफ भेज दिया गया।
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सपा नेता क्रांति कुमार सिंह आगे कहते हैं, 'इस बीमारी से कोई संक्रमित हो न हो, पर आम जनमानस में मजदूर और गरीब गलत नजरों से देखा जाने लगा। सरकार की उसी विफलता का नतीजा है कि लोगों को आइसोलेट करने के नाम पर मजदूरों और गरीबों का ही उत्पीड़न शुरू हो गया। इसी के नतीजे के रूप में एक जवान लड़के की आत्महत्या का मामला हमारे सामने है। अब इतनी बड़ी घटना होने के बाद स्थिति ये है कि योगी सरकार बेशर्मी पर उतर आई है। मृतक के चोट के निशान और ऑडियो होने के बावजूद मुकदमा न लिखकर परिवार के लोगों पर ही वापस मुकदमा लिखने की धमकी दी जा रही है, जबकि दोषियों को सजा देने के साथ ही पीड़ित परिवार को मुआवजा देना चाहिए था।'