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गुड़गांव से लौटे दलित मजदूर को यूपी पुलिस ने इतना पीटा कि कर ली आत्महत्या
कोरोना से हुए लॉकडाउन के बाद गुड़गांव से अपने गांव लौटा दलित युवक रोशनलाल कर रहा था क्वेरंटाइन के सभी नियमों का पालन, मगर फिर भी पुलिस ने बुरी तरह प्रताड़ित कर पीटा तो तंग आकर कर ली आत्महत्या...
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार। गुड़गांव में मजदूरी करने वाले दलित युवक रोशन लाल ने पुलिस पर बुरी तरह पीटने का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली। अपनी आत्महत्या से पहले उसने एक आडियो जारी किया है, जिसमें उसने पुलिस पर बुरी तरह पीटने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है और कहा है कि इसी ज्यादती से तंग आकर वह आत्महत्या कर रहा है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी का रहने वाला रोशनलाल लॉकडाउन की घोषणा के बाद अपने घर पहुंच था। वहां सभी को एक स्कूल में रखा गया था। घर का राशन खत्म होने पर युवक राशन लेने चला गया। रोशनलाल हने जो आडियो जारी किया है उसमें आरोप लगाया है कि पुलिस के एक आरक्षी ने उसकी एक न सुनते हुए बुरी तरह पिटाई कर दी, जिससे उसका एक हाथ टूट गया। वह इस तरह बिना किसी गलती के हुई अपनी हुई पिटाई के बाद बेहद क्षुब्ध होकर मौत को गले लगा रहा है। मरते मरते युवक ने उक्त सिपाही पर कार्रवाई की भी मांग की है।
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बेटे की आत्महत्या के बाद रोशनलाल के पिता रामचरण ने पुलिस के पास शिकायत भी दर्ज करायी है, जिसमें उसने आत्महत्या के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है और इस मामले में उचित कार्रवाई की मांग की है।
https://www.facebook.com/janjwar/videos/276206650037678/
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के दलित जाति का रोशनलाल लॉकडाउन के बाद गुड़गांव से अपने गांव फरिया पिपरिया आया था। रोशनलाल का भाई कहता है, 'मेरा भाई गुड़गांव में बिजली के टावर खड़ा करने में लेवर सप्लाई करता था। लॉकडाउन के चलते वह 29 मार्च को अपने गांव वापस आया था। यही नहीं मेरा भाई रोशनलाल स्वेच्छा से जब तक सरकारी व्यवस्था नहीं हुई तब तक अपने आपको क्वेरनटाइन करने के लिए खेत में बने छप्पर में रहने के लिए चला गया था, लेकिन 30 मार्च को जब प्रशासन द्वारा सभी को स्कूल में रहने का आदेश आया तो वह भी अपने आप स्कूल पहुंच गया।'
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वह आगे कहता है, 'शाम के समय रोशनलाल अपनी भाभी के कहने पर चक्की से आटा उठाकर घर पर देने के लिए स्कूल से निकला था। पुलिस के स्कूल में पड़ताल करने पहुंचने पर रोशनलाल जब मौके पर नहीं मिला, तो पुलिस उसे ढूंढते हुए चक्की पर पहुंच गई। वहीं पर पुलिस ने रोशनलाल को बुरी तरीके से अपमानित करते हुए पिटना शुरू कर दिया, जिससे उसका एक हाथ पर बुरी तरह चोट आयी। रोशनलाल आडियो में कहते हुए सुनायी भी दे रहा है कि शायद मेरा हाथ टूट गया है, क्योंकि यह उठ नहीं रहा। दूसरे हाथ में भी चोट लग गई। साथ ही उसके हिप्स और पैरों पर भी लाठियों के निशान पाये गये थे।'
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जनज्वार को पुलिस की मार से क्षुब्ध होकर आत्महत्या करने वाले रोशनलाल के तीन ऑडियो टेप मिले हैं, जिसमें वह कह रहा है 'मैं रोशनलाल, मेरी गलती बस इतनी है कि मैं दो दिन पहले गुड़गांव से वापस आया था। मैं स्कूल में बैठा हुआ था, मेरे घर मे खाने को कुछ नहीं था। मेरी भाभी ने मुझसे पीसना पिसवाकर लाने को कहा, जिसके बाद मैं स्कूल में न बैठकर पीसना पिसवाने चला गया।'
अपने दूसरे टेप में युवक कह रहा है, 'मामला लखीमपुर खीरी की औरंगाबाद चौकी का है। अनूप कुमार सिंह नाम के आरक्षी ने मेरा नाम पूछा, मैने कहा 'रोशन'। नाम सुनते ही आरक्षी ने मुझे बेहताशा पीटना शुरू कर दिया, और मुझे इतना मारा कि मेरा एक हाथ काम नहीं कर रहा है। मारने—पीटने के बाद सिपाही अनूप ने चौकी इंचार्ज से मेरी बात कराई। मैंने चौकी इंचार्ज से अपना इलाज करवाने की बात कही, पर उन्होंने मेरी कोई मदद नहीं की। मेरे गांव के एक लड़के व मेरे चाचा ने मुझे दवाई लाकर दी, बाकी किसी ने मेरी कोई मदद नहीं की।'
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आगे युवक अपने तीसरे टेप में कहता है कि 'अगर किसी को मेरी बात पर भरोसा न हो तो मेरे मरने के बाद मेरी पैंट खोलकर देख सकता है, खून ही जमा मिलेगा। यदि किसी को लगता है कि मुझे कोरोना था तो, मैं जांच करवा चुका हूं। सभी लोग देख सकते हैं। मैं सिर्फ सिपाही अनूप कुमार सिंह की ज्यादती से क्षुब्ध होकर आत्महत्या कर रहा हूँ।
युवक आडियो में यह भी कहता सुनाई दे रहा है, 'मेरी कमाई का जमा 80 हजार रुपये, बैंक में जमा 20 हजार रुपये और जो 25 हजार रुपये जो ठेकेदार के पास जमा हैं, ये पूरा रुपया मेरी मौत के बाद मेरी माँ को दिया जाए। बाकी अब मुझे कुछ नहीं कहना है, बस मेरी मौत के बाद अनूप कुमार सिंह पर कार्रवाई होनी चाहिए।' पीड़ित की पिटाई करने वाले आरक्षी का नाम अनूप कुमार सिंह चौहान बताया जा रहा है।
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इस मामले में आत्महत्या करने वाले मृतक रोशनलाल के चाचा जसवंत कहते हैं कि मेरा भतीजा गुड़गांव में बिजली विभाग की मजदूरी का काम करता था। वह लॉकडाउन होने के बाद 29 मार्च को घर लौटकर आया था। आदेशों के अनुशार रोशन अपने खेत के बने छप्पर में जाकर रुक गया। बाद में सभी 7-8 लोग जो आये थे, उन्हें गांव के एक स्कूल में रोक दिया गया। घर का अनाज खत्म होने पर रोशन की भाभी ने उसे फोन कर आटा पिसा देने को कहा, क्योंकि घर मे कोई था नहीं। वह आटा पिसाने चला गया, वहीं चौकी के कॉन्सटेबल अनूप कुमार सिंह ने उसका नाम पूछकर उसे बुरी तरह मारा। उसे इतना पीटा की उसका शरीर काम करना बंद कर चुका था। जिसके बाद उसने पिटाई से क्षुब्ध होकर आत्महत्या कर ली।
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