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उत्तर प्रदेश

लाचार-गरीब बाप लगा रहा गुहार, कोई मेरे बीमार बेटे की कोरोना जांच करवा दो, उसकी हालत है गंभीर

Prema Negi
2 April 2020 12:14 PM IST
लाचार-गरीब बाप लगा रहा गुहार, कोई मेरे बीमार बेटे की कोरोना जांच करवा दो, उसकी हालत है गंभीर
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लाचार-गरीब पिता शासन-प्रशासन तक हर जगह गुहार लगा कर थक गया है कि मेरे बच्चे में हैं कोरोना जैसे लक्षण उसकी जांच करवा दो, उसे बचा लो, मगर कहीं नहीं हो रही सुनवाई...

मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार। यूपी का महोबा निवासी देवकरण पुत्र रामाधीन हर किसी से गुहार लगा रहा है। वह गरीब है और अनपढ़ है। बस उसे इतना पता है कि कोरोना वायरस फैला हुआ है। उसके 19 साल के बेटे निर्दाेष कुमार को कोरोना जैसे ही कुछ लक्षण है। लाचार पिता शासन-प्रशासन तक हर जगह गुहार लगाकर थक गया है, लेकिन अभी तक उसकी सुनवाई नहीं हुई है। बेटे की मेडिकल जांच की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया है।

क तरफ शासन-प्रशासन दावा कर रहा है कि किसी भी संदिग्ध की जांच करवायी जायेगी, उसे हरसंभव मदद दी जायेगी। देवकरण अपने बेटे की हालत के बारे में सबको बता चुका है, मगर कोई उसकी मदद को आगे नहीं आ रहा। ऐसी हालत तब है जबकि सरकार की तरफ से ऐसे मामलों की जानकारी देने के लिए इमरजेंसी नंबर तक जारी किये गये हैं। अगर देवकरण के बच्चे को कुछ होता है या फिर वह कोरोना पॉजिटिव निकलता है तो निश्चित तौर पर इसके लिए हमारा पूरा सिस्टम दोषी होगा।

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देवकरण कहते हैं, उनका बेटा निर्दोष कुमार 21 मार्च को गुजरात के अहमदाबाद से गांव आया था। आने के दो दिन बाद निर्दोष कुमार को बुखार आने लगा। उसके सीने में दर्द है और गले में लगातार खरास बनी हुयी है। तबीयत खराब होने पर वह बेटे को 25 तारीख को कुलपहाड़ स्वास्थ्य केंद्र में गया। यहां डाॅक्टर से निवेदन किया कि बेटे का कोरोना टेस्ट करा लिया जाये, लेकिन वहां उसकी बात किसी ने नहीं सुनी। बस बुखार, जुकाम की दवा देकर घर चलता कर दिया।

बेटे के इलाज की गुहार लगाते हुए जिलाधिकारी को लिखा रामकरण का पत्र

लाज करने वाले डॉक्टर ने बस यह बोल दिया कि बीमार बेटे को अलग कमरे में रखा जाये। दूसरी ओर निर्दोष कुमार की हालत तेजी से बिगड़ती गयी। 28 मार्च को उसे महोबा के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन यहां भी दवा देकर उसे चलता कर दिया गया। लाचार पिता ने बताया वह क्या कर सकता है। उसने हर जगह गुहार की, मगर अभी तक उसकी समस्या की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया है।

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ससे परेशान पिता ने अब डीएम महोबा का एक पत्र लिखा है। इसमें भी उन्होंने यही बताया है कि बेटा बाहर से लौटकर आया है। वह बीमार है। कोरोना जैसे कुछ लक्षण भी नजर आ रहे हैं, इसलिए उसकी जांच करायी जाये।

स मामले में जब डीएम महोबा से बातचीत करने के लिए उनके कार्यालय में काल किया तो वहां से टेलीफोन आपरेटर ने बताया कि इस मामले में अच्छा होगा कि सीएमओ से बातचीत कर लीजिये।

नज्वार संवाददाता ने जब सीएमओ को 8005192679 पर काल किया तो वहां से बताया गया कि इस मामले में वह तुरंत ही एक्शन लेंगे। सीएमओ ने यह भी बताया कि इस मामले में हम तुरंत ही परिवार से संपर्क कर रहे हैं।

गौरतलब है कि महोबा में बड़ी संख्या में पलायन किये मजदूर अपने गांवों में लॉकडाउन के बाद वापस आये हैं, लेकिन यह मजदूर डर के मारे अपने बारे में जानकारी नहीं दे रहे हैं।

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लेकिन जो अपनी जांच कराना चाह रहा है, सिस्टम उसे इस तरह से तंग कर रहा है। देवकरण कहते हैं, यदि उनके बच्चे को कोरोना है तो यह बीमारी गांव में भी फैल सकती है। हर कोई इसकी चपेट में आ सकता है। इसके बावजूद हेल्थ विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

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देवकरण ने जनज्वार से फोन पर हुई बातचीत में कहा, मैं शासन-प्रशासन हर जगह गुहार लगाकर थक गया हूं, आखिर मैं क्या करूं। मेडिकल टेस्ट तो प्रशासन की ओर से ही कराये जायेंगे। मैं तो अपने बच्चे के बारे में सिर्फ जानकारी ही दे सकता है। इसके बाद भी कोई मेरा सहयोग नहीं कर रहा। मेरा बच्चे की हालत बिगड़ रही है, मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही।'

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हीं कोरोना का इलाज कर रहे चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर इस मामले पर कहते हैं, 'जिस तरह के हालात बताये जा रहे हैं, यदि सच में ऐसा है तो यह बहुत गंभीर बात है। उस मरीज की तुरंत ही जांच होनी चाहिए, क्योंकि यदि उसे कोरोना है तो वह अभी तक काफी लोगों को संक्रमित कर चुका होगा। उसका पिता यहां—वहां बेटे के इलाज के लिए भटक रहा है, जाहिर है इस तरह से वह अनजाने में वायरस भी फैला रहा है। होना तो यह चाहिये, इस मरीज की तुरंत जांच हो। तब तक पूरा परिवार और आसपास के घरों को निगरानी में रखा जाना चाहिए।'

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