जेएनयू की सभी सीटों पर जीते वामपंथी छात्र संगठन

Update: 2017-09-10 09:59 GMT

सोशल मीडिया पर वामपंथी झुकाव वाले लेखकों—पत्रकारों का लगा छात्रसंघ पदाधिकारियों को बधाई देने का तांता, वहीं कुछ ने कहा कॉमरेडो अगर बापसा (बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट एसोसिएशन) और एबीवीपी की अगले साल हो गई एकता तो कैसे बचाओगे लालगढ़

दिल्ली, जनज्वार। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुए छात्रसंघ चुनाव में लेफ्ट गठबंधन को चारों सीटों पर जीत हासिल हुई है। अध्यक्ष पद आइसा की गीता कुमारी, उपाध्यक्ष पद पर सीमोन जोया खान, महासचिव के पद पर दुग्गीराला श्रीकृष्णा और संयुक्त सचिव के पद पर सुभांशु सिंह की जीत हुई है। वहीं जेएनयू के चर्चित छात्रनेता कन्हैया कुमार जिस छात्र संगठन एआईएसएफ से जुड़े थे, उसकी प्रत्याशी अपराजिता राजा पांचवे स्थान पर रही।

जीते हुए सभी छात्र कैंडिडेट आॅल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट फेडरेशन आॅफ इंडिया (एसएफआई) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट फेडरेशन (डीएसएफ) के संयुक्त प्रत्याशी थे।

इस चुनाव में कुल 4620 वोट में से छात्रसंघ अध्यक्ष बनी गीता कुमारी को 1506 वोट मिले थे। 1042 वोटों के साथ निधि दूसरे नंबर पर रहीं। इन चुनावों के लिए 8 सितंबर को 58.69% वोटिंग हुई थी। कुल 7904 वोटर्स में से 4639 ने वोट डाले थे। अध्यक्ष पद पर जीतीं आइसा से जुड़ी गीता कुमारी हरियाणा के फौजी की बेटी हैं और इतिहास से एमफिल कर रहीं हैं।

उपाध्यक्ष पद के लिए लेफ्ट पैनल की सिमोन जोया खान 1876 वोटों के साथ पहले नंबर पर रहीं और एबीवीपी के दुर्गेश कुमार 1028 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे। जनरल सेक्रेटरी पद पर भी लेफ्ट के दुग्गीराला श्रीकृष्णा ने 2082 वोटों से जीत हासिल की। कैंडिडेट निकुंज मकवाना के 975 वोटों के साथ एबीवीपी यहां भी दूसरे नंबर पर रहीं। जॉइंट सेक्रेटरी के चुनाव में भी 1755 वोटों के साथ लेफ्ट के सुभांशु सिंह पहले नंबर पर और 920 वोटों के साथ एबीवीपी के पंकज केशरी दूसरे नंबर पर रहे।

जेएनयू में लेफ्ट को मिली जीत पर फेसबुक पर आनंद बाबू लिखते हैं, 'जेएनयू के छात्रसंघ चुनाव में जीत पर गदगद वामपंथी छात्रों को मुगालते में नहीं रहना चाहिए। अगर भविष्य में संघ और बामसेफ का कोई गठबंधन सामने आता है तो आप कांस्य पदक पाने की स्थिति में भी नहीं होगे। एवीबीपी और बापसा के कुल वोट वाम छात्र संगठन से ज्यादा है।'

इस संभावना से इसलिए भी इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि बापसा सैद्धांतिक तौर पर सवर्णों के जातीय वर्चस्व को तोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। वैचारिक घेरा उसके लिए पहली प्राथमिकता नहीं है। दो बार से बापसा जेएनयू में दूसरे—तीसरे स्थान पर रही है। ऐसे में जीत के लिए अगले चुनाव में बापसा यह रणनीति अपना सकती है। 

जेएनयू में भी भाजपा की जुमलेबाजी
जेएनयू में चुनाव परिणाम से पहले ही एबीवीपी को विजेता घोषित कर बीजेपी महामंत्री कैलाश विजयर्गीय फजीहत और मजाक झेल रहे हैं। उन्होंने ट्वीट कर लिखा जेएनयू में एबीवीपी की अध्यक्ष पर जीत राष्ट्रवाद की जीत है। विजयवर्गीय यहीं नहीं रुके बल्कि अति उत्साह में उछलते हुए उन्होंने अगला ट्वीट लिखा, 'भारत के टुकड़े करने वालों की हार हुई और भारत माता की जय करने वालों की जीत। कार्यकर्ताओं को हार्दिक बधाई।'

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