JNUSU को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत, अब पुरानी फीस के आधार पर ही होगा रजिस्ट्रेशन
जेएनयूएसयू की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने फीस वृद्धि को लेकर की सुनवाई, कोर्ट ने कहा पुरानी फीस के आधार पर ही होगा छात्रों का रजिस्ट्रेशन, छात्रों से न ली जाए लेट फीस...
जनज्वार। दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले दो महीनों से जवाहरलाल नेहरू में फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन कर रहे छात्रों और जेएनयूएसयू को बड़ी राहत दी है। जेएनयू छात्रसंघ ने विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बढ़ाई गई हॉस्टल फीस के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने पुरानी फीस के आधार पर रजिस्ट्रेशन करने की इजाजत दे दी है।
कोर्ट ने कहा कि छात्रों से किसी भी तरह की कोई लेट फीस भी नहीं ली जाए। छात्र संगठन की ओर से मामले की पैरवी कर रहे वकील कपिल सिब्बल ने फीस बढ़ोतरी को गैर कानूनी बताया। उन्होंने कहा कि जेएनयू की हाई लेवल कमेटी को हॉस्टल मैनुअल में बदलाव करने का अधिकार नहीं था।
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जेएनयूएसयू की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के एक जज की बेंच ने कहा कि जो छात्र अभी तक रजिस्ट्रेशन फीस को जमा नहीं कर पाए हैं। उन्हें फीस भरने दिया जाए। साथ ही इन छात्रों से किसी तरह की लेट फीस न ली जाए। कोर्ट ने कहा कि अगर रजिस्ट्रेशन फीस जमा करने वाले बच्चों की संख्या 10 प्रतिशत है तो उन्हें एक सप्ताह में पुरानी फीस पर रजिस्ट्रेशन करने दिया जाए। मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 28 फरवरी तय की गई है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल जेएनयू प्रशासन ने हॉस्टल फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी थी जिसमें सिंगल रूम रेंट को 20 रुपए से बढ़ाकर 600 रुपए कर दिया गया था। साथ ही डबल रूम रेंट को भी बढ़ाकर 10 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए कर दिया गया था।
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हॉस्टल मैनुअल के खिलाफ जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आईशी घोष के द्वारा याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए जेएनयू प्रशासन को नोटिस जारी किया गया था। नए हॉस्टल मैनुअस में लाइब्रेरी का समय और रात में छात्रावास में प्रवेश के लिए समय सीमा तय की गई है जिसका छात्र पिछले तीन महीने से विरोध कर रहे हैं।
जेएनयू के नए हॉस्टल मैनुअल के खिलाफ भी प्रेजिडेंट आईशी घोष ने याचिका दी थी। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए जेएनयू प्रशासन को नोटिस जारी किया है। नए हॉस्टल मैनुअल में लाइब्रेरी का समय और रात में छात्रावास में प्रवेश के लिए समय सीमा तय की गई है, जिसका छात्र पिछले 2 महीने से विरोध कर रहे हैं।