जेएनयू हिंसा मामले में नहीं तोड़े गए सर्वर रूम और सीसीटीवी कैमरे, आरटीआई में हुआ खुलासा
जेएनयू सिक्योरिटी सर्विसेस की ओर से 5 जनवरी की रात को दर्ज की गई एफआईआर और यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा दिए गए बयान में कई गड़बड़ियों और अस्पष्टताओं को उजागर करता है...
जनज्वार। दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में 5 जनवरी को हुई हिंसा को लेकर सूचना के अधिकार के तहत अहम बातें सामने आई है। नेशनल कैंपेन फॉर पीपुल्स राइट टू इन्फॉर्मेशन के सदस्य सौरव दास की ओर से 9 जनवरी को दायर की गई आरटीआई के जवाब में यूनिवर्सिटी के कम्युनिकेशन एंड इन्फॉर्मेशन सर्विस की तरफ से जवाब दिया गया है।
आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि 5 जनवरी की रात और दोपहर में जब छात्रों और शिक्षकों पर कैंपस के अंदर हमला किया गया था। उस दौरान की जेएनयू के मेन गेट पर मौजूद सीसीटीवी की लगातार फुटेज उपलब्ध नहीं है।
सौरव दास ने अपनी आरटीआई याचिका में 30 दिसंबर 2019 से 8 जनवरी 2020 तक सीआईएस दफ्तर में तोड़े गए बायोमेट्रिक सिस्टम की कुल संख्या के बारे में जानकारी मांगी थी। सीआईएस की तरफ से जवाब में बताया गया है कि हिंसा के दौरान एक भी बायोमेट्रिक सिस्टम को नष्ट नहीं किया गया है। जेएनयू कैंपस के नॉर्थ या मेन गेट पर चार सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है।
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हालांकि यूनिवर्सिटी ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए सीसीटीवी कैमरों की जगह का पूरा ब्यौरा देने से इनकार कर दिया। जब सीआईएस से सीसीटीवी कैमरों में हुई तोड़फोड़ को लेकर ब्यौरा मांगा गया तो एक बार फिर उनका जवाब एक भी सीसीटीवी के नहीं टूटने के रुप में आया। इसके अलावा जहां सीआईएस के दफ्तर में सीसीटीवी कैमरों के सर्वर के बारे में पूछा गया तो सीआईएस के जवाब में कहा गया कि वे सीआईएस दफ्तर में मौजूद नहीं है लेकिन डेटा सेंटर में स्थित है।
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यूनिवर्सिटी के कम्युनिकेशन एंड इन्फॉर्मेशन सर्विसेस (CIS) की ओर से आरटीआई के जवाब में जो बातें कही गई हैं, वो जेएनयू सिक्योरिटी सर्विसेस की ओर से 5 जनवरी की रात को दर्ज की गई एफआईआर और यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा दिए गए बयान में कई गड़बड़ियों और अस्पष्टताओं को उजागर करता है.
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जेएनयू के छात्रों के खिलाफ की गई एक एफआईआर में दावा किया गया है कि प्रदर्शनकारी छात्रों का एक ग्रुप 4 जनवरी को दोपहर 1 बजे के आसपास एक ग्लास बैक डोर को तोड़कर सीआईएस दफ्तर में दाखिल हुआ। एफआईआर में कहा गया है कि उन्होंने अवैध तरीके से यूनिवर्सिटी की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए अपराधिक इरादे से सर्वरों को नुकसान पहुंचाया और इसे बेकार कर दिया।
उन्होंने फाइबर ऑप्टिक केबल्स और बिजली की आपूर्ति को गंभीर रूप से नुकसना पहुंचाया और कमरे के अंदर बायोमेट्रिक सिस्टम को तोड़ दिया। इस एफआईर में जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष समेत कई छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है।